मेरठ ब्यूरो। आज के दौर में यूथ नशे की चपेट में आ रहे हैं। हाईप्रोफाइल लाइफ स्टाइल जीने की चाहत उन्हें नशे के गर्त में ले जा रही है। हकीकत यह है कि एक बड़ी आबादी नशे की चपेट में हैं। इसमें यूथ करियर, पैसा और भविष्य के साथ साथ सेहत को भी बर्बाद कर रहे हैं। जिनके पास पैसा है वह मन मर्जी का नशा कर रहे हैं, लेकिन जिनके पास पैसा नही भी है वह भी नशे के विकल्प तलाश कर अपना ये शौक पूरा कर ही लेते है। ऐसा ही एक अलग सा ट्रेंड शहर से लेकर गांव देहात तक देखने मिल रहा है। जहां सस्ते नशे के चक्कर में युवा फ्लेवर्ड कंडोम का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस नशे की लत के चलते दवा के बाजार में फ्लेवर्ड कंडोम की मांग भी बढ़ गई है। आंकड़ों की मानें तो इस नशे के चक्कर में 20 से 25 फीसदी तक हर माह डिमांड बढ़ गई है।

नए-नए फ्लेवर बन रहे पसंद
गौरतलब है कि फ्लेवर्ड कंडोम का प्रयोग बतौर गर्भनिरोधक किया जाता है। प्लेजर के साथ खुशबू के चलते ये कंडोम युवाओं के बीच काफी डिमांड में रहते हैं, लेकिन अब यह कंडोम नशे के विकल्प के तौर पर भी बाजार में बिक रहे हैं इसलिए कंपनियां भी डिमांड को देखते हुए लगातार नए नए फ्लेवर के कंडोम बाजार में उतार रहे हैं। इनमें चॉकलेट, स्ट्रॉबेरी, नीम, बनाना, सेब, पिना कोलाडा, चमेली, कोला और एलोवेरा जैसे फ्लेवर वाले लुब्रिकेटेड (एलसी), लुब्रिकेटेड और फ्लेवर्ड (एलएफसी) और लुब्रिकेटेड, फ्लेवर्ड और रंगीन कंडोम (एलएफसीसी) उपलब्ध हैं।

इस तरह बनता है नशा
- फ्लेवर्ड कंडोम को गर्म पानी में भिगोने के बाद उसको पानी में उबालते है।
- उबालने से फ्लेवर्ड कंडोम पर लगे रासायनिक मिश्रण पानी में घुल जाते हैं।

- इस पानी की भाप को बतौर नशा लिया जाता है।

- इस घोल को नशे के लिए पिया भी जाता है।

- इससे यह 10 से 12 घंटे तक नशे में रखता है।


ऐसे बनाते हैं पॉलीयुरेथेन
- फ्लेवर्ड कंडोम में टाइमिंग बढ़ाने और खिंचाव के लिए सिंथेटिक रेजिन पॉलीयुरेथेन का भी प्रयोग होता है।

- ये पॉलीइसोप्रीन से बने होते हैं, जो रबर का एक घटक है। इसके साथ ही कंडोम में एक विशेष स्वाद व गंध देने के लिए ग्लिसरीन का प्रयोग होता है

- एथिलीन ग्लाइकॉल, एक प्रकार का अल्कोहल है। यह तब बनता है जब फ्लेवर्ड कंडोम को पानी में उबालने के बाद छह से आठ घंटे तक अलग रखा जाता है।


- अलग रखने के बाद कंडोम का पॉलीयुरेथेन अलग हो जाता है।

- यह नशे का विकल्प बन जाते हैं और लगातार इस्तेमाल करने से इसकी लत लग जाती है।

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ये भी हैं नशे के सस्ते विकल्प
- पिंचर लगने वाला साल्वेंट, आयोडेक्स, गोंद और अन्य इनहेलेंट जैसे- स्प्रे पेंट, मार्कर और सफाई तरल पदार्थ

सस्ता नशा सेहत पर भारी
भले ही यह नशा आसानी से उपलब्ध हो जाता हो लेकिन ये सस्ता नशा सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचाता है। इस नशे के कारण बोनमैरो को नुकसान, किडनी डैमेज, सुनने की क्षमता में कमी, याददाशत में कमी, अंगों में ऐंठन और मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है। साथ ही शरीर के तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

फ्लेवर्ड कंडोम में केमिकल
डॉक्टर्स के मुताबिक फ्लेवर्ड कंडोम में पैराबेंस, ग्लसरीन या बेंज़ोकेन, टैल्क या कैसिइन, शुक्राणु नाशक नॉनॉक्सिनॉल-9 सी, लैम्बस्किन, लेटेक्स, पॉलीयुरेथेन, पॉलीइसोप्रीन, एल-आर्जिनिन, सिलिकॉन, नाइट्रोसामाइन, पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉन आदि संथेटिक रासायन होते हैं।


फ्लेवर्ड कंडोम में खुशबू के लिए कई एक्सट्रा केमिकल का प्रयोग किया जाता है। मेरे स्टोर से रेग्यूलर कंडोम खरीदने वाले कुछ ग्राहकों ने बताया कि इसका नशे के तौर पर उपयोग किया जाता है। इसलिए भी इसकी डिमांंड बढ़ रही है।
- आशीष कंसल, ड्रग एक्सपर्ट एंव विक्रेता

फ्लेवर्ड कंडोम की पिछले कुछ साल से अत्याधिक मांग बढ़ गई है। कई कारण है उनमें से एक ये भी कारण है कि आजकल के कुछ बालिग व नाबालिग इसका गलत प्रयोग नशे के तौर पर कर रहे हैं।
- रजनीश कौशल, मेरठ कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन


कंडोम में जिस प्रकार के रासायनिक कैमिकल होते हैं वह ऑरली या इन्हेल करने में किसी भी प्रकार से सेफ नही है। ये स्लो पायजन के तौर पर शरीर को नुकसान पहुंचते हैं। इससे कैंसर तक की संभावना बन सकती है।
- डा विश्वजीत बैंबी, सीनियर फिजीशियन