लोग परेशान, दूसरी डोज के लिए आ रही परेशानी
कई कई दिन हो रहे ओवर, नहीं मिल पाता स्लॉट
10 लोगों को वैक्सीन लगती हैं एक वॉयल
70 से ज्यादा सेंटर्स नहीं हो रहे हैं डेली शेड्यूल में
200 तक सेंटर्स बने थे वैक्सीनेशन के शुरूआती दो फेज में
केस-1: नहीं मिल रहा स्लॉट
कंकरखेड़ा निवासी युवक को पहली वैक्सीन की डोज के लिए काफी परेशान होना पड़ा था अब दूसरी डोज के लिए भी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। काफी दिन से स्लॉट नहीं मिल पा रहा है।
केस-2 : 5 दिन हुए ओवर
फाजिलपुर के वीरपाल सिंह यादव को दूसरी डोज लगवानी है। दूसरी डोज लगवाने का समय भी 5 दिन से ओवर हो गया है। लेकिन स्लॉट ही नहीं मिल पा रहा है।
केस-3 : दूसरी डोज में दिक्कत
ऋषिपाल सिंह भी दूसरी डोज लगवाने के लिए परेशान हैं। वैक्सीनेशन सेंटर पर 8 लोगों से कम होने पर वैक्सीन नहीं लगती। जिसकी वजह से उनको काफी परेशानी हो रही है।
Meerut। 1 मई से 18 से 44 साल के सभी लोगों को कोरोना टीका लगवाने के निर्देशों के बाद से ही टीकाकरण बेपटरी होता जा रहा है। एक तरफ जहां केंद्रों की संख्या कम हुई है वहीं पहली और दूसरी डोज के लिए स्लॉट लेने के लिए भी लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। जबकि केंद्रों पर ऑन द स्पॉट डोज के लिए पहुंच रहे लोगो को जबरदस्त भीड़ का सामना करना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में पहुंचे वीरपाल यादव, ओमी व ऋषिपाल तो उदाहरण भर हैं। शहर के अधिकतर वैक्सीनेशन सेंटर्स का यही हाल है।
ऑनलाइन सुविधा नहीं
वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचे लोगों ने बताया ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन या तो मिलता ही नहीं हैं। अगर मिल भी जाए तो वैक्सीन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। एक वायल से 10 लोगों को वैक्सीन लगती हैं। वैक्सीन बचाने के लिए विभाग ने निर्देश दिए हैं कि वायल तभी खोली जाएगी जब पर्याप्त लोग सेंटर पर पहुंच जाएंगे। ऐसे में सबसे ज्यादा लोगों को इस नियम की वजह से परेशान झेलनी पड़ रही है।
कम हो गए सेंटर्स
जिले में वैक्सीनेशन के शुरुआती दो फेज में दो सौ तक सेंटर्स बनाए जा रहे थे। वहीं स्थिति अब ये है कि जिले में डेली शेड्यूल में 70 से ज्यादा सेंटर्स नहीं हो रहे हैं। वहीं बिना कलस्टर अभियान के इनकी संख्या और घट जाती है। इसके साथ ही देहाती क्षेत्रों में सेंटर्स की संख्या काफी कम हैं। दूर-दराज के लोगों को अपने घर से दूर आकर वैक्सीन लगवानी पड़ रही है। रोजाना वैक्सीन सेंटर पर लोगों की भीड़ जुट रही है।
हमारे पास मैन पावर कम है। वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर ही सेंटर्स बनाएं जाते हैं। स्लॉट भी उसी हिसाब से तय होते हैं। हमारी पूरी कोशिश है कि अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन मिल जाएं
डा। पीके गौतम, डीआईओ, मेरठ