मेरठ। दैनिक यात्रियों और आमजन को सस्ता व सुलभ परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने का जिम्मा रोडवेज ने उठाया हुआ है। मेरठ रीजन में करीब 800 से अधिक बसें यात्रियों को सुविधा उपलब्ध कराती है, लेकिन स्थिति यह है कि अधिकतर रोडवेज और उससे अधिक अनुबंधित बसों की हालत इस कदर कबाड़ है कि इन बसों में सफर कभी आराम दायक साबित नही होता। यह स्थिति देहात रूट की सडक़ों पर ओर अधिक खराब हो जाती है जब सडक़ो की हालत भी जर्जर हो। इन बसों में सुरक्षा के मानक तो दूर सुविधा के नाम पर सही सलामत सीट तक यात्रियों को नही मिल पाती है।
फस्र्ट एड किट है पर दवा नही
इसके अलावा बस में फस्र्ट एड किट समेत फायर सिस्टम लगाया गया था ताकि आपात स्थिति में आग पर काबू पाया जा सके और सफर के दौरान यात्री को प्राथमिक उपचार भी मिल सके। लेकिन अधिकतर बसों में फस्र्ट एड किट के नाम पर खाली बक्स लगे हुए हैं। फायर सिस्टम कबाड़ की तरह कुछ बसों में लगे हुए हैं तो अधिकतर बसों से गायब हैं। अधिकतर बसों में ये बेसिक सुविधाएं नाममात्र को उपलब्ध हैं।
226 से अधिक खटारा बसें
हाल ही जारी परिवहन विभाग की सूची के अनुसार 10 साल पूरी कर चुकी रोडवेज बसों की संख्या हर साल बढ़ रही है। इस सूची में 226 यूपी एसआरटीसी की सरकारी और अनुबंधित बसें शामिल हैं। इसमें भी रोडवेज की अनुबंधित बसों की संख्या काफी अधिक है जिनकी संख्या 188 से अधिक हैं। ऐसे में यदि रोडवेज की खटारा आउटडेटेड बसों पर ही लगाम लगा दी जाए तो काफी हद तक शहर की आबोहवा को दूषित होने से बचाया जा सकता है।
बीएस 6 की रही अधूरी कवायद
वहीं गत वर्ष रोडवेज बसों और प्रदूषण की स्थिति सुधारने के लिए गुजरात और कर्नाटक की तर्ज पर गत वर्ष बीएस 6 बसों को शामिल करने की शुरुआत की गई थी। बीएस-6 मॉडल की हाईटेक बसें यात्रियों के लिए सुरक्षित होती है। इन हाईटेक बसों को इस तरह तैयार किया गया है कि इनसे 80 फीसदी प्रदूषण कम होगा। साथ ही किसी भी तरह की तकनीकी गड़बड़ी, शॉर्ट सर्किट से आग, टायर फटने जैसे हादसों की पूर्व सूचना इसमें लगे सॉफ्टवेयर के माध्यम से मिल जाती है। गत वर्ष 50 के करीब बसें मेरठ रीजन को मिली थी। लेकिन इसके बाद यह सिलसिला रूक गया।
दो साल बाद भी हालत वही
हालांकि यात्रियों की लगातार बढ़ रही शिकायतें और बसों की जर्जर हालत के कारण यात्रियों को हो रही असुविधाओं को देखते हुए परिवहन निगम के प्रबंधक निदेशक के स्तर पर दो साल पहले रोडवेज की निगम और अनुबंधित बसों के भौतिक दशा को सुधारने का आदेश जारी किया गया था। इस आदेश अनुसार प्रत्येक बस के भौतिक सत्यापन के बाद ही उसका संचालन किया जाना था लेकिन यह कवायद भी अधूरी ही रह गई।
ये सुविधाएं नहीं
- बॉडी कंडीशन
- बस का पेंट
- रिफ्लेक्टिव टेप
- डेस्टिनेशन बोर्ड
- अगली व पिछली विंड शील्ड
- खिडकियों के शीशे
- बस की बाहरी व अंदर की साफ सफाई
- फर्श की स्थिति
- छत की दशा
- हैटरेस्ट और लगेज रैक
- विशिष्ट जनों की सीट मार्किंग
- फायर एक्सटिंग्यूशर की स्थिति
सभी डिपो के एआरएम को रोडवेज बसों स्थिति का समय समय पर निरीक्षण करने और दुरुस्त कराने के निर्देश दिए हुए हैं। बसों की पूरी फिटनेस के बाद ही रूट पर संचालित की जाती है। बाकि नई बसें भी जल्द रीजन को मिलने वाली हैं।
- लोकेश राजपूत, स्टेशन प्रभारी मेरठ डिपो