मेरठ ब्यूरो। शिक्षा के अधिकार यानि आरटीई के तहत मेरठ के नामचीन स्कूलों में फर्जी आधार कार्ड के सहारे एडमिशन कराए जा रहे हैं। कई स्कूलों में तो एक ही आधार नंबर के दो आधार कार्ड एडमिशन के लिए यूज किए गए। स्कूलों में आरटीई के तहत एडमिशन कराने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट लगाए जा रहे हैं।आखिर इनका जिम्मेदार कौन है। आधार कार्ड में फर्जीवाड़ा करके एडमिशन लेने की जुगत लगाई जा रही है। कैसे इस फर्जीवाड़े को तूल मिल रहा है और इन पर कुछ कार्रवाई होती भी है या नहीं, ये सवाल आपके भी जहन में आ रहे होंगे, फिलहाल यह तो कहा जा सकता है एडमिशन की जांच के नाम पर बड़ा ड्रामा चल रहा है।
कहां बन रहे ऐसे फर्जी आधार कार्ड
गौरतलब है कि स्कूलों में फर्जी डाक्यूमेंट के सहारे आरटीई के तहत एडमिशन लेने की कोशिश चल रही है। कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें एक ही आधार नंबर के कार्ड बने हैं। इसके अलावा एक ही बच्चे की दो अलग-अलग जन्मतिथि भी बनी है। यहीं नहीं, आधार कार्ड पर गलत एड्रेस भी जमा किया जा रहा है। इन केसों की जांच जब स्कूल कर रहे हैं तो ये फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। भौतिक सत्यापन में उस पते पर कोई नहीं मिलता है।
दूरी भी बता रहे है फर्जी
केवल आधार कार्ड नहीं बल्कि ऐसे केस भी स्कूलों के पास आ रहे हैं, जिनमें एक किलोमीटर की दूरी का पता लिखा है। लेकिन जांच करने के बाद स्कूलों से घर तक पांच से दस किलोमीटर तक का भी फासला पाया गया है। ऐसे स्कूलों का कहना है कि ऐसे केस की रिपोर्ट तैयार की है जो डीएम को सौंपने की तैयारी है। अभी बीते माह ही कैंट स्थित एक स्कूल में फर्जी एडमिशन पकड़े जाने पर ऐसे पांच बच्चों के केस स्टडी स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर लगा दिए गए थे। इनकी रिपोर्ट प्रशासन को भी स्कूल के माध्यम से भेजी गई थी।
उठ रहे है ये सवाल
- जब स्कूलों को फर्जी एडमिशन करवाने में जिनका दोष है उनपर कार्रवाई नहीं करनी है तो फिर जांच ही क्यों कर रहे हैं
- अगर जांच की है तो उनकी शिकायत किसी प्रशासनिक अधिकारी से क्यों नहीं की
- अगर अधिकारी से शिकायत की है तो उनपर क्या कार्रवाई प्रशासनिक अधिकारियों ने की।
- बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मुुकम्मल जांच क्यों नहीं की जा रही है।
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केस 1: एक ही नंबर केदो आधार कार्ड
कैंट स्थित एक स्कूल में एक ही आधार कार्ड नंबर से अलग-अलग क्लास में एडमिशन की कोशिश की गई। दोनों में आधार नंबर सेम है। बच्चे का नाम सेम है। वहीं, आधार कार्ड पर गार्जियंस का नाम कुछ और है। वहीं, दूसरे पर कुछ और है। दोनों की डेट ऑफ बर्थ में अंतर है। एड्रेस में अंतर है। ऐसे में एक ही नंबर के दो आधार कार्ड हैं।
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केस 2. नंबर एक, आधार कार्ड पर नाम दो
शास्त्रीनगर स्थित एक स्कूल में दो आधार कार्ड लगाए गए। उनके नंबर सेम है। बच्चे का नाम एक है और पेरेंट्स के नाम गलत है। एड्रेस भी अलग-अलग है। ऐसा कैसे संभव है यह कैसे संभव है।
स्कूलों को जारी किए गए लेटर में साफ लिखा है कि अगर जांच में डॉक्यूमेंट फर्जी पाए जाते हैं या कोई जानकारी गलत होती है तो एडमिशन निरस्त किया जाए। अगर कोई फर्जीवाड़ा हो रहा है तो स्कूल आवाज उठा सकते है। प्रशासन को शिकायत कर सकते हैं।
हरेंद्र शर्मा, आरटीई, जिला समंवयक
आधार कार्ड में गड़बड़ी करके एडमिशन लेने के केस आते हैं तो उस मामले में जांच की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा। उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी। स्कूलों के तरफ से इस तरह की कोई शिकायत आएगी तो जरूर संज्ञान में लिया जाएगा।
दीपक मीणा डीएम मेरठ
इसके पीछे बहुत बड़ा गेम है जो समझना होगा, ऐसे फर्जी केसेज में स्कूल्स बस एडमिशन निरस्त करते हैं जो न्याय नहीं है। फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है। इसके लिए स्कूलों को प्रशासन को शिकायत करनी चाहिए, प्रशासन को भी इन केस में संबंधित दलाल या कागजात बनाने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
राहुल भारद्वाज, पेरेंट्स
इस संबंध में हम अपने स्तर से बीएसए विभाग को एडमिशन संबंधित रिपोर्ट बनाकर दी जाती है। ऐसे एडमिशन निरस्त कर दिए जाते हैं।
एके दुबे, प्रिंसिपल, दीवान पब्लिक स्कूल
इस संबंध में एक सप्ताह के अंदर डीएम से मिलने की तैयारी है। उनको सारी स्थितियों के बारे में बताया जाएगा, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके।
कवलजीत सिंह, प्रेसिडेंट, ऑल इंडिया स्कूल लीडर्स एसोसिएशन
इस संबंध में हम बीएसए विभाग को रिपोर्ट बनाकर देते है और ऐसे बच्चों के एडमिशन निरस्त हो जाते हैं, हमने इनकी रिपोर्ट तैयार की है जो डीएम को भी सौंपने की तैयारी है। जल्द ही विभिन्न स्कूल्स डीएम से मिलने वाले है।
डॉ। कमेंद्र सिंह, अध्यक्ष, मेरठ सहोदय
इस तरह के केस में हम संबंधित एडमिशन नहीं लेते है और विभाग को इसकी रिपोर्ट देते है, बाकी कार्रवाई विभाग के स्तर पर की जाती है। हमारे लेवल पर केवल जांच कर रिपोर्ट दी जाती है।
राहुल केसरवानी, अध्यक्ष, मेरठ सहोदय स्कूल्स कॉम्लेक्स
इसमें कही न कहीं शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधक दोनों की मिलीभगत है, इसके अलावा कुछ ऐसे लोगों का रोल है जो मोटे पैसे लेकर कागजात बना रहे हैं, इसको लेकर प्रशासन को निष्पक्ष जांच करने की आवश्यकता है।
कपिल राज, अध्यक्ष, पब्लिक स्कूल अभिभावक संघ यूपी