मेरठ ब्यूरो। एक दौर था जब पेरेंट्स टीचर्स से कहते थे कि आप सिर्फ मेरे बच्चे को अच्छा इंसान बना दीजिए, इसके लिए आप कुछ भी करिए, उसकी गलत आदतों पर खूब डांटिए-फटकारिए। उसकी पिटाई भी करिए। मगर अब वक्त बदल चुका है। पढ़ाई के तौर तरीके बदले हैं तो पेरेंट्स-टीचर्स के बीच का रिश्ता भी बदल सा गया है। अब पेरेंट्स अपने बच्चों को जरूरत से ज्यादा लाड़ प्यार कर रहे हैं। इसके चलते वे टीचर्स को बच्चों को डांटने से भी मना करते हैं। इससे बच्चों के बिहैवियर में बदलाव भी आ रहा है। अब बच्चे न सिर्फ मिसबिहैव करते हैं, बल्कि कभी-कभी गलत कदम भी उठाते हैं।
अब टीचर्स हो रहे परेशान
अब स्कूलों में हालत यह है कि टीचर्स के डांटने-फटकारने पर पेरेंट्स लड़ाई तक करने चले आते हैं। शिकायत के दौरान विवाद इतना बढ़ जाता है कि पेेरेंट्स टीचर्स के खिलाफ केस तक दर्ज कराने की बात कहते हैं। इससे कई टीचर्स अवसाद जैसी स्थिति में आ जाते हैं। बीते एक साल में सीबीएसई हेल्पलाइन में 220 केस आए हैं। इनमें यूपी के करीब 93 केस हैं। वहीं, मेरठ में अब तक 21 केस आ चुके हैं। बच्चों के पेरेंट्स के मिसबिहैवियर के कारण अब टीचर्स डिप्रेशन जैसी स्थिति में आ गए हैं।
ज्यादा प्यार से बिगाड़ रहे लाडले
सीबीएसई काउंसलर और मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम देवदत्त कहती हैं कि आज के दौरान पेरेंट्स ही टीचर्स को न डांटने का प्रेशर बना रहे हैं। उनको केस आदि करने की धमकी देते हैं। इससे बच्चों को लगता है कि टीचर उनके दबाव में आ गए हैं। इससे बच्चा मनमानी हरकतें करने लगता है। इसका असर यह होता है कि कभी - कभार हिंसक हरकतें भी करता है। बच्चों को बिगाडऩे में पेरेंट्स का अहम रोल है।
बाद में पछताते हैं पेरेंट्स
काउंसलर डॉ। पूनम देवदत्त ने बताया कि बीते छह माह में मेरठ में ही 18 ऐसे केस सामने आए हैं, जिनमें पेरेंट्स ने बच्चों को न डांटने का प्रेशर टीचर्स पर बनाया। इससे ज्यादा लाड़ प्यार में बच्चे वही गलती दोहराने लगे। वो मिसबिहैव करने के साथ-साथ हिंसक भी हो गए। कई बार वो घर में भी मारपीट कर बैठते हैं। ऐसे कई बच्चों की काउंसलिंग चल रही है। ऐसे मामलों के जिम्मेदार पेरेंट्स ही हैं। बाद में जब वही बच्चा बड़ी गलती या अपराध करता है तो पेरेंट्स पछताते हैं।
पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट कपिल राज कहते हैं कि शासन से भी बच्चों को डांटना- फटकारना, मारना-पीटना, बेइज्जत करना, परिसर में दौडऩा आदि पनिशमेंट पर रोक है। सभी बच्चों को यह बताना चाहिए कि शारीरिक पनिशमेंट के विरुद्ध वे अपनी आवाज उठा सकते हैं। वहीं, अगर बच्चा कुछ गलत कर रहा है तो टीचर उसे समझा सकते हैं। फिर भी अगर कोई पेरेंट्स टीचर पर दबाव बना रहे हैं तो गलत है।
--------------
हमारे स्कूल में यही कोशिश होती है कि बच्चों को समझा-बुझाकर गलती का एहसास कराया जाए। कोई भी टीचर बच्चों को अपमानित नहीं करता है, अगर सिर्फ समझाने पर भी पेरेंट्स धमकी दें तो वो गलत है।
संजीव अग्रवाल, प्रिंसिपल, बीएनजी इंटरनेशनल
पेरेंट्स को भी समझना चाहिए कि अगर बच्चे को टीचर समझा रहे हैं, उसको कुछ कह रहे हैं और बच्चे को कोई ऐसा अपमान नहीं हो रहा है तो बच्चे को भी समझाएं कि टीचर आपको समझा रहे हैं। गलत नहीं है। लेकिन कुछ पेरेंट्स बिना किसी बात के टीचर को धमकी देकर टार्चर करें तो वो गलत है।
वीनू अग्रवाल, प्रिंसिपल, मेरठ सिटी पब्लिक स्कूल
टीचर्स को बच्चों को मारना नहीं चाहिए। बच्चों को प्यार से उनकी गलती बतानी चाहिए। ऐसा होता भी है। कई बार केवल गलती बताने पर ही पेरेंट्स लडऩे आते हैं, ऐसे में वहीं बच्चा आगे जाकर बिगड़ जाता है और क्रिमिनल तक बन जाता है, ऐसे में पेरेंट्स को भी सोचना चाहिए।
डॉ। शिमोना जैन, प्रिंसिपल सेंट जोंस सीनियर सेकेंड्री स्कूल
केस-1: लडऩे के लिए आए पेरेंट्स कैंट स्थित एक स्कूल में अमित कक्षा पांच में पढ़ता है। टीचर ने होमवर्क न करने पर क्लास में बेंच में खड़ा कर दिया। घर जाकर अमित ने यही बात पेरेंट्स को बताई। दूसरे दिन पेरेंट्स पहुंचे और टीचर ने लडऩे लगे, यही नहीं, उन पर केस तक करने की धमकी दी। इससे महिला टीचर डिप्रेशन में आ गई। अब वो काउंसिलिंग करा रही है।
केस-2: केस करने की धमकी दी
शास्त्रीनगर स्थित एक स्कूल में साजिद कक्षा आठ में पढ़ता है। उसके पिता वकील हैं। किसी गलती पर टीचर ने साजिद को डांट दिया। इसी बात को लेकर साजिद के पिता स्कूल पहुंच गए और टीचर से लड़ाई की। इसके साथ ही टीचर के खिलाफ केस करने की धमकी दी। दो माह से टीचर की काउंसिलिंग चल रही है।
केस-3 : पिता पर हमला किया
कंकरखेड़ा स्थित एक स्कूल में सुमेश कक्षा 10 का छात्र है। बीते दो नवंबर को जरा सा डांटने पर उसने पिता के सिर में पत्थर से हमला कर दिया। पता चला कि उसके पिता खुद ही बच्चों को न डांटने के लिए पहले टीचर पर दवाब बनाते थे। उसी का परिणाम है कि बच्चा लाड-प्यार में हिंसक हो गया।