मेरठ ब्यूरो। आपने इरफान खान की मूवी हिंदी मीडियम देखी होगी, जिसमेें वे अपनी बेटी का एडमिशन नामचीन स्कूल में गरीब कोटे यानि आरटीई के तहत कराना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें कई पापड़ बेलने पड़ते हैं। कई गलत डॉक्यूमेंट बनवाते हैं। यही नहीं, वे एक गरीब कॉलोनी में भी रहने लगते हैं। इसके बाद यह खेल खुल जाता है। यह तो फिल्म थी, लेकिन इन दिनों शहर के स्कूलों में भी यही कहानी चल रही है। आरटीई के तहत कई फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर एडमिशन कराए गए हैं। गलत आय प्रमाण पत्र के सहारे हुए एडमिशन की अब जांच हो रही है। इस बाबत अब स्कूलों ने इस मामले में जांच की मांग की है।

करीब 3 हजार आईं शिकायतें
गौरतलब है कि बीते साल से अब तक आरटीई के तहत मेरठ मंडल में 5 हजार बच्चों के दाखिले हुए हैं। इनमें मेरठ से ही करीब तीन हजार कंप्लेन आई हैं। स्कूलों की ओर से इनकी शिकायत बीएसए और शासन को भेजी जा चुकी है। मेरठ के 34 स्कूलों ने इसकी शिकायत की है। स्कूलों का दावा है कि फर्जी डॉक्यूमेंट के सहारे कई पेरेंट्स ने अपने बच्चों के दाखिले कराए हैं।

पेरेंट्स भी कर रहे शिकायत
इधर, पेरेंट्स भी स्कूलों की शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि डॉक्यूमेंट के बावजूद भी स्कूल एडमिशन नहीं ले रहे हैं। पेरेंट्स ने 86 स्कूलों से जुड़ी करीब 809 शिकायतें की हैं। यह शिकायतें मेरठ मंडल के स्कूलों की है। पेरेंट्स के अनुसार स्कूल गेट से ही उनको लौटा देते हैं। इसकी शिकायत डीएम को की है।

80 फीसदी फर्जी डॉक्यूमेंट्स
स्कूल संचालकों का कहना है कि आरटीई के तहत 80 फीसदी पेरेंट्स फर्जी डॉक्यूमेंट्स के सहारे एडमिशन कराते हैं। जांच में जब पोल खुल जाती है। तो पेरेंट्स हंगामा करते हैं। ऐसे में स्कूलों ने बेसिक शिक्षा विभाग को भी जानकारी दी है।

विभाग ने गठित की टीम
बेसिक शिक्षा विभाग ने इस मामले में यूपी में 47 टीमें गठित की हैं। इनमें हर जिले में तीन से चार टीमें जांच करेगी। मेरठ में भी 5-5 सदस्यीय तीन टीमें डॉक्यूमेंट्स की जांच करेंगी। इन टीमों के अलावा सात सैंपलिंग टीमें भी पड़ताल करेंगी। जो इन टीमों के सत्यापन का पुन सत्यापन करने की भी जिम्मेदारी निभाएंगी। इस निरीक्षण के बाद प्राइवेट स्कूलों को निरीक्षण का प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

भौतिक सत्यापन करेंगी
टीमें स्कूलों व होने वाले एडमिशन दोनों का ही सत्यापन करेंगी। निरीक्षण में स्कूल की भौतिक स्थिति, शैक्षिक वातावरण भी जांचा जाएगा। शासन ने इसके लिए शिक्षा विभाग को भी निर्देश दिए हैं।

जिला व ब्लॉक स्तर पर टीम होगी
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीट रिजर्व रहती हैं। मकसद है कि गरीब और जरूरतमंद बच्चे पढाई से महरूम न रह जाएं। ऐसे में कुछ अमीर पेरेंट्स भी फर्जी दस्तावेजों के सहारे स्कूलों में एडमिशन करा रहे हैं। अब ऐसे में बच्चों के दस्तावेज जांच के साथ ही भौतिक सत्यापन का कार्य आरटीई प्रभारी को सौंपा जाता है। ऐसे में अब शिक्षा विभाग ने शेड्यूल तय कर लिया है। प्रदेश में जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक टीम गठित कर निरीक्षण किया जाएगा।

इन बिंदुओं पर जांच करेगा सत्यापन दल
- सत्यापन दल निजी स्कूल की मान्यता के दस्तावेज को जांचेगा।
- निशुल्क प्रवेशी बच्चों के दस्तावेज को जांचा जाएगा, जिसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की जांच की जाएगी।
- निशुल्क प्रवेशी बच्चों में वार्ड वाइज, ग्राम पंचायत, नगर परिषद के प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया गया है। इसकी जांच की जाएगी।
- निशुल्क प्रवेशी बच्चों के अभिभावक से पूछा जाएगा। किताबें और अन्य किसी बहाने से शुल्क तो नहीं वसूला जा रहा है।
- सत्यापन दल निशुल्क प्रवेशी बच्चों का नामांकन निकटवर्ती सरकारी स्कूलों से भी जांचेगा। ऐसे में किसी बच्चे का दोनों जगह प्रवेश पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
- सत्यापन दल निशुल्क प्रवेशी बच्चों के अभिभावकों से पूछेगा कि उनके बच्चों को अलग-अलग तो नहीं बिठाया जा रहा है।
- निशुल्क बच्चों के सभी दस्तावेजों को चेक कर देखा जाएगा कि वो वास्तव में असली है या फर्जी है, शासन को सौंपी जाएगी इसकी टीम द्वारा रिपोर्ट।

केस-1: गलत आय प्रमाण पत्र बनाया
मेरठ के एक पब्लिक स्कूल में शास्त्रीनगर की एक बच्ची का एडमिशन आरटीई यानि शिक्षा के अधिकार के तहत हुआ। बाद में स्कूल को जानकारी मिली कि बच्ची के पिता ने गलत आय प्रमाण पत्र बनवाया था। इसकी जांच डीएम और बेसिक शिक्षा विभाग में की गई। अब इस मामले की जांच हो रही है।
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केस-2 : गलत डॉक्युमेंट दिए गए
मेरठ के कैंट स्थित एक स्कूल ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिकायत की है। स्कूल के मुताबिक कुछ ऐसे एडमिशन हुए हैं, जिनमें पेरेंट्स गलत आय प्रमाण पत्र बनवाया है, जबकि हकीकत में उनकी लालकुर्ती बाजार व सदर बाजार में दुकानें मिली। इसकी शिकायत डीएम को भी की गई है।

आरटीई के तहत एडमिशन के मामले में स्कूलों और पेरेंट्स की ओर से अपने -अपने पक्ष में शिकायतें आ रही है। इसको लेकर शासन स्तर से जांच टीम बनेंगी, जल्द ही जांच होंगी।
विश्व दीपक त्रिपाठी, बीएसए

अभी तक पांच हजार बच्चों के एडमिशन मेरठ में हो चुके हैं, इनमें से 80 प्रतिशत लोग बीते साल किसी न किसी स्कूल में फीस दे रहे थे, अब फर्जी कागजात बनवाकर बच्चों के एडमिशन ले रहे हैं। जांच में भी काफी स्कूल्स ने ऐसा पाया भी है। इसके लिए शासन स्तर से जांच की मांग भी की गई है, ताकि वास्तविक में हकदार बच्चों को हक मिल सकें।
कवलजीत ंिसंह, प्रेसिडेंट, ऑल इंडिया स्कूल लीडर्स एसोसिएशन


इसमें ज्यादातर गलत आय प्रमाण पत्र, एड्रेस और फर्जी आधार कार्ड के सहारे एडमिशन करा रहे हैं। हम जब अपने स्टाफ से जांच कराते हैं तो उस एड्रेस पर बच्चे का परिवार नहीं मिलता है। इससे पता लगता है कि वो फर्जी है। इसकी शिकायत बीएसए से की है। जल्द ही इस मामले को लेकर डीएम से मुलाकात करेंगे।
डॉ। कर्मेंद्र सिंह, अध्यक्ष, मेरठ सहोदय

शिक्षा के अधिकार के तहत चयनित बच्चों को प्राइवेट स्कूल दाखिला नहीं ले रहे हैं, पेरेंट््स को तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। इसको लेकर छह मई को डीएम कार्यालय पर शिकायत पत्र भी दिया गया था।
कपिलराज, अध्यक्ष, पब्लिक स्कूल अभिभावक संघ यूपी

स्कूल एडमिशन नहीं लेते हैं, जो पेरेंट्स हकदार होते हैं उनको उनका हक मिलना चाहिए, इसके लिए कोई कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है।
महेंद्र कौर,पेरेंट्स