मेरठ (ब्यूरो)। औघडऩाथ मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन आचार्य संतोष दास जी महाराज ने कार्तिकेय एवं गणेश जन्म की कथा विस्तार से कही। जिसमें सुंदर भजनों के साथ जन्मोत्सव मनाया गया। भगवान श्री गणेश माता-पिता की पूजा एवं परिक्रमा करके कैसे प्रथम पूज्य बने इसका वर्णन करते हुए आचार्य जी ने कहा कि पहली गुरु माता है फिर पिता और तीसरा स्थान आचार्य का तब चौथे नंबर पर भगवान का स्थान है। उन्होंने कहा कि पहले माता पिता व गुरु हैं।
पिता जीवन का मजबूत स्तंभ
उन्होंने कहा कि माता और पिता हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमारे प्रथम गुरु होते हैं जो हमें जीवन की सभी महत्वपूर्ण सीख देते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मां का आंचल स्वर्ग सामान होता है और वहीं पिता जीवन का एक मजबूत स्तंभ होता है। जो हमेशा हमारी सहायता के लिए तैयार रहते हैं। इसलिए इन दोनों का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। मां-बाप का हम कभी भी कर्ज नहीं चुका पाते। उन्होंने कहा कि माता पिता और गुरु जीवन में होने से मुश्किल राह भी आसान लगने लगती है। इसलिए हम कितने भी बड़े हो जाए मां-बाप के आगे हमेशा छोटे बनकर ही रहना चाहिए, उनका आदर सबसे पहले होना चाहिए। इसके बाद शिवजी के भक्तों के लिए शिवपुराण कथा का महाराज ने वर्णन किया।
सदाचार का पाठ पढ़ाएं
महाराज जी ने बताया कि आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों को सनातन संस्कृति और सदाचार का पाठ बचपन से सिखाएं। इस पर जोर देते हुए महाराज ने समाज में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अपने धर्म पर चलने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को शुरू से ही धर्म से जोड़े मंदिर जरूर ले जाए, संस्कार दें। आचार्य नारायण दत्त शास्त्री द्वारा अनुष्ठान में समस्त देवी-देवताओं का वैदिक पूजन व श्री शिवमहापुराण का मूल पारायण किया गया। इस अवसर पर आयोजक शोभा एवं शम्मी सपरा ने बताया कि आठ अगस्त को कथा का समापन होगा और नौ अगस्त को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर मुख्य रुप से परमानंद सपरा, सागर, आशिमा, शिवा सपरा, सागर सपरा, शैफाली, सौरभ रांचल, समर, सारा आदि का सहयोग रहा। मौके पर गीता सचदेवा, संगीता जुनेजा, गीता अग्रवाल आदि मौजूद रहे।