मेरठ (ब्यूरो)। सरकारी अस्पतालों में पार्किंग की सुविधा न होने के चलते यहां आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोग अपनी इस परेशानी को अब सोशल मीडिया पर साझा करने लगे हैैं। सजग प्रहरी संस्था के सदस्य कुलदीप शर्मा ने सरदार वल्लभ भाई पटेल मेडिकल कालेज और प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में पार्किंग की समस्या को ट्विटर के माध्यम से प्रदेश के सीएम समेत सीएमओ ऑफिस, डीएम और कमिश्नर के सामने उजागर कर पार्किंग व्यवस्था बहाल करने की मांग की है।
30 लाख से अधिक का बकाया
गौरतलब है कि मेडिकल कालेज में हर साल एक साल के लिए पार्किंग का ठेका छोड़ा जाता है। साल 2021-22 का ठेका चार माह पहले मार्च में खत्म हो गया था। लेकिन उसके बाद से अब तक ठेका नहीं छोड़ा गया है। साल 2020 में कोरोना के कारण पूरे साल पार्किंग में नुकसान होने के कारण ठेकेदार पर साल 2020-21 का करीब 30 लाख रुपए का बकाया हो गया था। ऐसे में नया टेंडर काफी अधिक मंहगा होने के कारण किसी ठेकेदार ने पार्किंग का ठेका लेने में रूचि नही दिखाई। जिसके चलते मेडिकल में पार्किंग की व्यवस्था ठप है।
कोरोना में कमाई ठप
कुछ ऐसा ही हाल प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल का है। यहां भी पार्किग खत्म हुए साल भर से अधिक का समय बीत चुका है। मेन गेट पर इमरजेंसी के सामने और दूसरे गेट पर टीबी वार्ड के सामने पार्किंग का स्थल निर्धारित है। लेकिन अब दोनों जगह पार्किंग व्यवस्था खत्म हो चुकी है। दरअसल, कोरोना के कारण दो साल तक जिला अस्पताल को पार्किंग से होने वाली कमाई लगभग ठप हो गई थी। कोरोना के बाद पार्किंग का जो ठेका छोड़ा गया उसके रेट हाई होने के चलते किसी ठेकेदार ने ठेका नहीं उठाया। जिसके चलते पूरे अस्पताल परिसर में इधर उधर दुपहिया व चौपहिया वाहन खड़े रहते है। इसी वजह से कई बार एंबुलेंस को इमरजेंसी तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
वाहनों की चोरी का खतरा
पार्किंग ठेका न छूटने से एक तरफ जहां सरकारी अस्पतालों के प्रबंधन को प्रति माह लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है वहीं दूसरी तरफ बिना पार्किंग के वाहनों को खड़ा करने में लोगों के पसीने छूट रहे हैैं। लोगों को डर लगा रहता है कि कहीं उनका वाहन चोरी न हो जाए।
सरकारी अस्पतालों में पार्किंग होनी बहुत जरुरी है। गांव-देहात से आने वाले लोग कहां अपने दुपहिया वाहन खड़े करेंगे। चोरी का खतरा बना रहता है।
कुलदीप शर्मा
अधिकतर मध्यमवर्गीय लोग ही सरकारी अस्पतालों में आते हंै। उनके लिए वाहन की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। अस्पताल में पार्किंग ना होने से आम आदमी की परेशानी बढ़ रही है।
ममता
10 से 20 रूपए की पर्ची देकर तीमारदार निश्चिंत हो जाते थे कि उनका वाहन सुरक्षित है। लेकिन अब एक शख्स को वाहन की सुरक्षा के लिए साथ में खड़ा रखना पड़ता है।
शाहरुख
टेंडर प्रक्रिया फाइनल हो चुकी हो चुकी है, जल्द टेंडर छोड़े जाएंगे। जिसके बाद पार्किंग की समस्या खत्म हो जाएगी।
आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज