मेरठ (ब्यूरो)। गौरतलब है कि रजिस्ट्रार के पास बीते 6 माह में ऐसी 20 शिकायतें आ चुकी हैं। कुछ दिनों पहले ही 20 टीचर्स ने इस मामले में शिकायत की थी। उनका कहना था कि यूनिवर्सिटी परिसर में सेल्फ फाइनेंस कोर्स में 12 टीचर्स व सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में ऐसे 400 टीचर्स पढ़ा रहे हैं। वे अनक्वालिफाइड हैं, लेकिन उनको क्वालिफाइड टीचर्स से अधिक सैलरी मिल रही है। फिलहाल रजिस्ट्रार ने सभी कॉलेजों से टीचर्स व उनके वेतन का डाटा मांगा है। जल्द ही कॉलेजों से इसके लिए जवाब मांगा जाएगा। इसके बाद ही डाटा मिलने पर जांच की जाएगी।
सैलरी का है बड़ा इश्यू
दरअसल, सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों और विभागों में सैलरी का बड़ा इश्यू है। श्री बांके बिहारी कॉलेज के एक टीचर ने बताया कि उन्होंने नेट पास करने के बाद पीएचडी की है। वे क्वालिफाइड हैं, बावजूद इसके उनकी सैलरी 34 हजार रुपए है। उनके ही विभाग में दो ऐसे टीचर भी पढ़ा रहे हंै जो उनके जूनियर हंै। उनकी सैलरी 45 हजार रुपए है।
हो रहा है भेदभाव
वहीं, रामवतार डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्नोलोजी मवाना के एक टीचर ने बताया कि उनकी सैलरी पीएचडी होने के बाद भी 40 हजार है। उनके विभाग में कई अनक्वालिफाइड टीचर की सैलरी 50 हजार रुपए है। यह भेदभाव हो रहा है।
बनाई थी कमेटी
वैसे तो इस संबंध में हर साल कमेटी बनाई जाती है। बीते साल भी एक कमेटी बनाई गई थी। इसमें 10 से 12 आलाधिकारी व एचओडी भी शामिल थे। बावजूद इसके, अभी तक सुनवाई नहीं हो सकी है।
इस संबंध में जांच की जाएगी। कॉलेजों के डॉक्यूमेंट देखे जाएंगे। जांच कमेटी से भी इसके संबंध में की जाने वाली कार्रवाई के बारे में पूछा जाएगा। कमेटी को भी दोबारा से कहा जाएगा कि वो इस संबंध में जांच करे।
धीरेंद्र कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार, सीसीएसयू