मेरठ ब्यूरो। एनजीटी के आदेश के बाद भले ही जिले में प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर सख्ती से रोक लगी हो, बावजूद इसके खुद सरकारी विभाग ही प्रदूषण के प्रति लापरवाह है। हालत यह है कि सरकारी विभागों में चल रहे उन वाहनों की जो अपनी आयु पूरी होने के बाद भी शहर की सड़कों पर ना सिर्फ दौड़ रहे है बल्कि शहर की आबोहवा को भी दूषित कर रहे हैं। परिवहन विभाग द्वारा विभिन्न विभागों की जारी सूची में ऐसे एक दो नही बल्कि 291 से अधिक सरकारी वाहन शामिल हैं जो अब सड़क पर चलने लायक भी नही हैं।
291 से अधिक सरकारी वाहन आउटडेटेड
226 से अधिक खटारा रोडवेज बसें
परिवहन विभाग द्वारा जारी इस सूची में सबसे अधिक आउट डेटेज यानि 10 साल पूरी कर चुकी रोडवेज की डीजल बसें शामिल हैं। सूची में 226 यूपी एसआरटीसी की सरकारी और अनुबंधित बसें शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न सरकारी बैंकों में लगी 26 से अधिक गाडिय़ां और पीवीवीएनएल, एलआईसी, नगर निगम, कैंट बोर्ड, कृषि विभाग में संचालित चौपहिया वाहन शामिल हैं। अनुबंधित वाहनों की संख्या अधिक इस सूची में सरकारी विभागों में संचालित अनुबंधित वाहनों की संख्या सबसे अधिक है। करीब 237 के करीब अंडर टेकिंग यानि अनुबंधित वाहन सड़कों पर संचालित हैं। इसमें भी सबसे अधिक यूपी रोडवेज की अनुबंधित बसें शामिल हैं जिनकी संख्या 188 से अधिक हैं। ऐसे में यदि रोडवेज की खटारा आउटडेटेड बसों पर ही लगाम लगा दी जाए तो काफी हद तक शहर की आबोहवा को दूषित होने से बचाया जा सकता है। 50 साल से अधिक पुराने वाहन सूची में शामिल वहीं इस सूची में ऐसे वाहन भी शामिल हैं जो 20 से 50 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं। बावजूद इसके स्क्रेप तक नही हुए हैं। इनमें यूपी रोडवेज की 1960 मॉडल गुडस कैरियर नंबर यूपी एस5426, 1980 मॉडल गुडस कैरियर यूआरजे 1315, 1987 मॉडल गुडस कैरियर यूएचएन 2170, 1986 मॉडल गुडस कैरियर यूएचएन 1904, 1985 मॉडल गुडस कैरियर यूएचएन 1258 आदि आधा दर्जन से अधिक वाहन सरकारी विभागों में सजे हुए हैं।
सरकारी विभागों संचालित 10 से 15 साल पुराने वाहनों पर रोक के लिए सूची जारी की जा चुकी है। सूची के अनुसार सभी विभागों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इन वाहनों को स्क्रैप करने की कार्यवाही की जा रही है। इसके अलावा प्राइवेट वाहनों की सभी सूची तैयार की जा चुकी है। - कुलदीप सिंह, एआरटीओ