मेरठ (ब्यूरो)। शासन की लाख कोशिशों के बावजूद शहर के लोगों के उपचार के लिए केंद्र सरकार की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। स्थिति यह है कि केंद्र सरकार की प्रमुख योजना आयुष्मान भारत के तहत पिछले छह साल में कार्ड धारकों का आंकड़ा चार लाख को भी नही पार कर पाया है। अभी तक मात्र 34.57 प्रतिशत के ही गोल्डन कार्ड बन पाए हैं। जबकि योजना के अनुसार जनपद के 12 लाख से अधिक लोगों के गोल्डन कार्ड बनने हैं। वही स्वास्थ्य विभाग यह दावा करता है कि वह घर-घर जाकर गोल्डन कार्ड के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है लेकिन यह दावा आंकड़ों की हकीकत पर खरा नहीं उतर रहा है।
गुमशुदा की हो रही तलाश
स्थिति यह है कि आयुष्मान योजना के पात्रों की तलाश वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक जारी सूची के अनुसार की जा रही है। इनमें से अधिकतर लाभार्थी अपना पता बदल चुके हैं। ऐसे में जिनके नाम स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सूची में डाले गए हैं वह लोग पुराने पते पर नहीं मिल रहे हैैं। वहीं, जो लोग पात्र हैं उनके नाम सूची में शामिल ही नहीं है। जनगणना आधारित सूची और आइडी में लिखे एड्रेस, लाभार्थी या पिता/पति के नाम भी गलत मिल रहे हैं।
यह है आयुष्मान योजना की स्थिति
1296808 पात्र हैं जनपद में आयुष्मान योजना के तहत
848477 लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड अभी तक नहीं बने हैं
300124 जनपद में आयुष्मान के योजना में शामिल कुल पात्र परिवार
155030 अभी तक लाभ पाने वाले पात्र परिवार परिवार
448331 के अभी तक बने गोल्डन कार्ड
7914 अंत्योदय कार्ड में पात्र परिवारों की संख्या
39.41 करोड़ रुपये का भुगतान अस्पतालों को अब तक मिला मरीजों के इलाज के एवज में
85 करोड़ करीब शासन द्वारा योजना के लिए अस्पतालों को अब तक मिला बजट
एक नजर में
99 निजी अस्पताल जनपद के योजना में सूचीबद्ध हुए अभी तक
15 सरकारी अस्पताल शामिल
12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल
243 निजी अस्पताल शामिल
मेरठ में इन सरकारी अस्पतालों में है सुविधा
सरकारी अस्पतालों में एलएलआरएम मेडिकल कालेज, पीएल शर्मा जिला अस्पताल, महिला अस्पताल शामिल।
आयुष्मान का आंकड़ा साल दर साल
वर्ष परिवार गोल्डन कार्ड
2018 22019 61903
2019 41003 120680
2020 22980 68680
2021 15307 44675
2022 45960 119127
2023 7761 33266
आयुष्मान योजना के तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मदद से तेजी से लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ समस्याएं पोर्टल में आ रही थी जिनको काफी हद तक दूर किया जा चुका है।
डॉ। अखिलेश मोहन, सीएमओ