मेरठ (ब्यूरो)। वैसे तो विकास की बहुत बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। कई सारी योजनाएं बनती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि शहर के कई मोहल्लों में आज भी गंदगी पसरी रहती है। कारण यह है कि निगम विकास के नाम पर बजट अपना बजट भी खर्च पाया है। हालत यह है कि एक चौथाई बजट भी निगम खर्च नहीं कर सका है। निगम की इस कार्यप्रणाली पर बीते चार साल से सवाल खड़े हो रहे हैं।

बजट की कमी नहीं
निगम के आंकड़ों के मुताबिक बजट की तो कोई कमी नही है। विकास कार्यों के लिए चार साल में 15वें वित्त आयोग से नगर निगम को 360 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से 246 करोड़ अभी तक बचे हुए हैं।बावजूद इसके विकास कार्य लगभग शून्य है। ऐसे में इस बची हुई भारी भरकम रकम को खर्च करने की भी अभी तक निगम के पास कोई खास योजना तक नही है।

वायु गुणवत्ता की स्थिति
15वें वित्त आयोग से वायु गुणवत्ता सुधार के लिए मिले 139 करोड़ रुपये मिले

वायु गुणवत्ता सुधार पर 36.48 प्रतिशत कुल धनराशि हुई खर्च

वायु गुणवत्ता सुधारने के कार्य में 50.71 करोड़ रुपये खर्च हुए

जबकि 88.47 करोड़ रुपये धनराशि का अभी तक नहीं हुआ उपभोग

सबसे पहले 10 नवंबर 2020 को मिले 36 करोड़ रुपये पूरा बजट हुआ था उपयोग

इसके बाद अंतिम बार 4 मई 2021 को मिली 36 करोड़ की दूसरी किश्त में से मात्र 14.17 करोड़ रूपए निगम खर्च कर पाया जिसमेें से 21.28 करोड़ अभी तक बचे

इसके बाद 2023 तक चार बार मिले बजट का एक भी रूपया निगम वायु गुणवत्ता सुधार पर खर्च नही कर पाया

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति
15वें वित्त आयोग से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए मिले थे 221 करोड़ रुपये मिले

इसमें से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर 28.97 प्रतिशत कुल धनराशि हुई खर्च

यानि 64.04 करोड़ रुपये खर्च हुए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर

इसमें से 156 करोड़ रुपये धनराशि का नहीं हुआ उपभोग

ठोस अपशिष्ट पर भी 12 नवंबर 2020 को 36 करोड की पहली किश्त का पूरा उपयोग किया गया था

इसके बाद 30 मार्च 2021 को मिली 36 करोड़ की दूसरी किश्त में से 28.05 करोड़ हुए खर्च

ऐसा नही है। बजट के अनुसार काम नही हो रहा है। कूड़ा निस्तारण और वायु गुणवत्ता सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। बड़ी संख्या मेंं सड़क व नाला निर्माण के प्रस्तावित कार्यों के टेंडर निकाले गए है।
प्रमोद कुमार, अपर नगर आयुक्त