मेरठ (ब्यूरो)। शहर के पीएल शर्मा रोड निवासी व्यापारी अंकुर बंसल ने आवारा कुत्तों की समस्या को सोशल मीडिया पर उठाया है। उन्होंने ट्विटर पर नगर निगम को टैग करते हुए आवारा कुत्तों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है। अंकुर बंसल ने बताया कि रात के समय आवारा कुत्तों के कारण स्थानीय लोगों का सड़क पर निकलना भी दूभर हो गया है।
नसबंदी अभियान भी अधूरा
हालांकि लगातार बढ़ रहे कुत्तों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने तीन माह पहले आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान शुरू किया था। इसके लिए शंकर आश्रम में कुत्तों की नसबंदी के लिए ओटी चालू हो चुकी है। नगर निगम की टीम शहर के विभिन्न मोहल्लों में जाकर कुत्तों को पकड़कर शंकर आश्रम ले जाकर उनकी नसबंदी कर रही है। लेकिन यह नसबंदी भी खानापूर्ति महज साबित हो रही है। दरअसल, शहर में करीब 55 से 60 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए केवल दो टीमें शहर में सक्रिय हैं। एक टीम में 7 से 8 लोग कुत्तों को पकडऩे का काम कर रहे हैं। पिछले तीन माह में में करीब 4218 कुत्तों को नसबंदी के लिए पकड़ा जा चुका है।
एक नजर में
55 से 60 हजार करीब आवारा कुत्ते 90 वार्डों में
80 से 100 डॉग बाइट के शिकार लोग रोजाना मेडिकल और जिला अस्पताल में पहुंचते हैैं
15 से 20 वॉयल रैबीज की रोजाना होती है इस्तेमाल
एक वॉयल में पांच लोगों को लगाए जाते हैैं इंजेक्शन
80 फीसदी लोगों को लगाया जाता है रोजाना रैबीज का इंजेक्शन
पीएल शर्मा रोड पर कुत्तों के आंतक के कारण शाम होने के बाद घर से बाहर निकलना दूभर हो जाता है। नगर निगम में लगातार शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।
अंकुर बंसल
वीआईपी इलाकों में कुत्तों को पकडऩे की कवायद तक नहीं की जा रही है। बाकि शहर तो राम भरोसे है। वाहन चालकों के पीछे कुत्ते काटने को भागते हैं, जिससे लोग हादसे का शिकार हो रहे हैैं।
आकाश
हमारे क्षेत्र में कुत्ता पकडऩे की टीम आज तक देखी नहीं गई। अभियान कहां चल रहा है पता नहीं पर हमारे क्षेत्र में कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
राहुल जैन
कुत्तों की नसबंदी हो रही है या नहीं इसका तो निगम को पता होगा। लेकिन डॉग बाइट के केस भी रोजाना देखने को मिल रहे हैैं, वहीं सरकारी अस्पतालों में रैबीज के इंजेक्शन की कमी रहती है।
सरदार सरबजीत सिंह
कुत्तों की नसबंदी का काम लगातार किया जा रहा है। जनसुनवाई में भी आम जनता की शिकायत पर तुरंत काम हो रहा है। लेकिन संख्या काफी अधिक है इसलिए समय लग रहा है।
हरपाल सिंह, पशु चिकित्सक एवं कल्याण अधिकारी