Meerut News : जल्दी फैमिली पूरी करने की चाहत में बना रहे आईवीएफ का प्लान, नए जोड़ों में अधिक क्रेज, कुछ फैमिलीज ट्विंस को मानती है शुभ।
केस-1
रोहटा रोड निवासी समीक्षा और सौरभ ने शादी के पांच वर्ष बाद बेबी प्लान किया। दोनों की इच्छा थी कि जुड़वां बच्चे हो जाएं। काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने आईवीएफ करवाने का प्लान बनाया। हालांकि काफी प्रयासों के बाद उन्हें जुड़वां बच्चे हुए।
केस-2
जागृति विहार निवासी श्रुति और रवि दोनों वर्किंग हैं। शादी के तीन वर्ष बाद दोनों ने फैमिली प्लानिंग की। दोनों चाहते थे कि एक बार में ही जुड़वां बच्चे हो जाएं। उन्होंने आईवीएफ की मदद से जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।
केस-3
मीनाक्षी और कपिल की कहानी भी ऐसी है। जुड़वां बच्चों की चाहत में उन्होंने दिल्ली में आईवीएफ करवाया। एक साथ जुड़वां बच्चे हुए। वह कहते हैं कि उम्र अधिक हो रही थी। दोनों बच्चे एक साथ बड़े हो जाएंगे।
मेरठ (ब्यूरो)। कपल्स में इन दिनों ट्विंस यानी जुड़वां बच्चे पाने का क्रेज बढ़ता जा रहा है। खासकर नए कपल्स इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। आईवीएफ तकनीक को वह इसके लिए बेस्ट ऑप्शन मान रहे हैं। शहर में ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि आईवीएफ के जरिए जुड़वां बच्चे होने के चांसेज अधिक रहते हैं। इसी के चलते अब यह लोगों के बीच में ट्रेंड भी बन गया है। एक बार की प्रेगनेंसी में ही कपल्स दो बच्चे पाकर अपनी फैमिली पूरी कर लेना चाह रहे हैं।
आईवीएफ में ढूंढ रहे ऑप्शन
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन में जुड़वां बच्चे का ऑप्शन रहता है। इस कारण से भी कपल्स आईवीएफ के जरिए ट्विंस का ऑप्शन तलाश रहे हैं। इस तकनीक में दो या दो से अधिक भ्रूण को फीमेल यूटरस में इंम्प्लांट किया जाता है। जिससे जुड़वां या इससे अधिक बच्चे होने के चांसेज बढ़ जाते हैैं।
ट्विंस की चाह क्यों
डाक्टर्स बताते हैं कि आईवीएफ के लिए आने वाले कपल्स की काउंसलिंग की जाती है। ट्विंस करने के पीछे कपल्स अलग-अलग कारण बताते हैं जिसमें अधिकतर कहते हैं कि एक बार में दो बच्चे होने से फैमिली पूरी हो जाती है। एक साथ दो या बच्चों का पालन-पोषण करना आसान हो जाता है। कई कपल्स जुड़वां बच्चे इसलिए चाहते हैं। वहीं कुछ फैमिलीज में एक साथ दो बच्चों का होना सौभाग्य का संकेत माना जाता है।
डॉक्टर्स नहीं देते सलाह
आईवीएफ एक्सपर्ट बताते हैं कि वह जुड़वां बच्चे पैदा करने को डिसकरेज करते हैं। ऐसी प्रेग्नेंसी में बच्चे के समय से पहले ही पैदा होने की संभावनाएं बहुत अधिक रहती हैं। कई बार बच्चों में मानसिक और शारीरिक विकार तक हो सकते हैं। जुड़वां बच्चे मां के यूटरस पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। जिससे होने वाली मां को अधिक असुविधा और बीपी, डायबिटीज समेत कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। वहीं गर्भाशय में अत्यधिक खिंचाव, अधिक ब्लीडिंग और सिजेरियन डिलीवरी की संभावनाएं भी काफी अधिक रहती हैं।
ये हो सकते हैं नुकसान
प्री मैच्योर डिलीवरी
यूटरस पर अधिक दबाव
गर्भाशय में अत्यधिक खिंचाव
विकासात्मक समस्याएं
गंभीर बीमारियों का खतरा
इनका है कहना
दस प्रतिशत मामलों में कपल्स जुड़वां बच्चों की ही डिमांड करते हैं। हालांकि हम इसे बढ़ावा नहीं देते हैं। ऐसे प्रेग्नेंसी में कई तरह के कॉम्पलीकेशन रहते हैं। प्री मैच्योर डिलीवरी का डर रहता है। कपल्स की पूरी काउंसलिंग की जाती है।
डॉ। अंशु जिंदल, आईवीएफ एक्सपर्ट
आईवीएफ में एक से अधिक भूण इम्प्लांट किए जाते हैं ताकि सफलता दर पूरी रहे। कपल्स चाहते हैं कि उन्हें ट्विंस हो जाएं। हम काउंसलिंग के जरिए उन्हें इसके अच्छे-बुरे प्रभाव दोनों समझाते हैं।
डॉ। अंजू रस्तौगी, आईवीएफ एक्सपर्ट
जुड़वां प्रेग्नेंसी में होने वाले अधिकतर बच्चे प्री-मैच्योर रहते हैं। इनका वजन कम रहता है। ऐसे बच्चों की ग्रोथ भी प्रभावित होती है। कई मामलों में प्री-टर्म होने के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास देरी से होता है।
डॉ। नवरत्न गुप्ता, एचओडी, बाल रोग विभाग, मेडिकल कॉलेज