मेरठ (ब्यूरो)। पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। ज्योतिषाचार्या डॉ। अनुराधा गोयल के अनुसार देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास की गणना होती है। वहीं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक इसकी अवधि मानी जाती है।

मांगलिक कार्य करने की मनाही
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं। वे देवोत्थान एकादशी के दिन अपनी योग निद्रा से बाहर आते हैं। इस चार माह के दौरान सृष्टि का संचालन भोलेनाथ करते हैं। इन महीनों में किसी प्रकार का मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है।

देवी देवताओं का आह्वान
वहीं ज्योतिष अमित गुप्ता के अनुसार शास्त्रों में बताया गया है कि हर शुभ कार्यो में भगवान विष्णु समेत देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है। साथ ही इन महीनों में सूर्य, चंद्रमा व प्रकृति का तेजस कम हो जाता है, चतुर्मास का आरंभ हो गया है जो कि चार नवम्बर देव उठानी एकादशी पर जाकर समाप्त होगा।

क्या करना चाहिए चतुर्मास में
व्रत, साधना, जप-तप, ध्यान, पवित्र नदियों में स्नान, दान, पत्तल पर भोजन करना विशेष फलदायक है।

इन दिनों में कुछ लोग एक ही समय ही भोजन करते हैं और राजसिक व तामसिक भोजन का त्याग करते हैं।

चार मास के अंतर्गत भगवान विष्णु केसाथ माता लक्ष्मी, भगवान शिव व माता पार्वती व कृष्ण राधा और रुकमणी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

पितरों का नियमित पिंडदान व तर्पण करना उत्तम है।

इन माह में की गई पूजा का विशेष फल मिलता है।