मेरठ (ब्यूरो)। कोरोना काल से दो साल तक जूझने के बाद अब बीमारियों के इलाज के साथ ही उनके फैलने के कारणों, असर और बचाव तक की जानकारी जुटाना बेहद जरूरी हो गया है। इसी जरूरत के मुताबिक एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में अब वायरोलॉजी लैब तैयार की जाएगी। इतना ही नहीं, इस अत्याधुनिक लैब के जरिए उच्च जोखिम वाले वायरस पर रिसर्च हो सकेगी। इससे मेडिकल कॉलेज की रिसर्च और टेस्टिंग की क्षमता में भी वृद्धि होगी। वहीं, केंद्र सरकार ने इस बाबत डेढ़ करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया है।
सूक्ष्म जीवाणुओं का अध्ययन
वायरल से बने शब्द वायरोलॉजी को हिंदी में विषाणु विज्ञान कहा जाता है, जो सूक्ष्म जैविकी की एक शाखा है। सूक्ष्म जैविकी की इस शाखा में विषाणुओं का वर्गीकरण, सरंचना, विकास, प्रजनन और उनसे होने वाले रोगों का अध्ययन किया जाता है।
एच1एच1 की जांच
मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलोजी लैब में वायरस की जेनेटिक स्टडी की क्षमता है। अभी माइक्रोबायोलॉजी लैब में कोरोना, डेंगू, हेपेटाइटिस सी और चिकनगुनिया आदि की जांच होती है। यह लैब एनआइवी पुणे के संपर्क में रहते हुए एच1एन1 की भी जांच करती रही है। कोरोना काल में इस लैब में आसपास के दर्जनों जिलों को मिलाकर 10 लाख से ज्यादा कोरोना सैंपलों की जांच अब तक की जा चुकी है।
सैैंपल बाहर नहीं भेजने पड़ेंगे
कई बार माइक्रोबायोलॉजी लैब में सैंपलों की संख्या बढ़ जाती है, जैसे कोरोना काल में हुआ था। जिसके बाद सैैंपल्स को जांच के लिए बाहर भेजना पड़ता है। मगर वायरोलॉजी लैब के तैयार हो जाने के बाद भविष्य में ऐसी स्थिति बनने पर नमूनों को जांच के लिए दिल्ली, पुणे और लखनऊ भेजना नहीं पड़ेगा।
हो सकेगी रिसर्च
अभी भी मंकी पॉक्स, रोटा वायरस, हरपीज सिंप्लेक्स, बर्ड फ्लू, इबोला और रूबेला आदि की रिसर्च की बात तो छोडि़ए, इनकी जांच तक की सुविधा मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में नहीं हैै। मगर वायरोलॉजी लैब बन जाने के बाद यहां पर इन वायरस पर रिसर्च हो सकेगी। साथ ही कोरोना की जीनोम सिक्वेंसिंग भी की जा सकेगी।
खर्च में आएगी कमी
मेडिकल में हर साल मेरठ के अलावा यहां गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, मुरादाबाद, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत आदि जिलों से करीब 10 लाख से ज्यादा लोग इलाज के लिए आते हैं। इनमें से अधिकांश की जांच भी होती हैं। वायरोलॉजी लैब तैयार हो जाने के बाद मरीजों के सैंपल जांच के लिए बाहर नहीं भेजने पड़ेंगे। इससे खर्च में कमी के साथ-साथ मरीजों को जल्द उचित उपचार मिल सकेगा।
फैक्ट्स एक नजर में
वायरोलॉजी लैब के लिए केंद्र सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।
वायरोलॉजी लैब में माइक्रोआर्गेनिज्म एवं कोशिकाओं पर शोध होगा।
वायरोलॉजी लैब मध्यम से खतरनाक और तेजी से फैलने वाले वायरस का पता लगाया जा सकेगा।
वायरोलॉजी लैब से वायरस पर रिसर्च और टेस्टिंग की क्षमता में वृद्धि होगी।
मेडिकल कालेज के स्टूडेंट्स को नए वायरस के अध्ययन का अवसर मिलेगा।
वायरोलॉजी लैब में कोरोना की जीनोम सिक्वेंसिंग हो सकेगी।
वायरोलॉजी लैब से मेरठ के अलावा यहां गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, मुरादाबाद, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत आदि जिलों के भी मरीज को मिलेगी लाभ।
इन वायरस पर हो सकेगी रिसर्च
मंकी पॉक्स, रोटा वायरस, हरपीज सिंप्लेक्स, बर्ड फ्लू, इबोला और रूबेला।
लैब की स्थापना होने से मेडिकल कॉलेज में जहां आधुनिक शोध कार्यों को बल मिलेगा। वहीं मरीजों का इलाज करने में डॉक्टरों को सुविधा मिलेगी। वायरोलॉजी लैब खुलेगी तो इसमें वायरस से फैलने वाली सभी बीमारियों को कंट्रोल करने के तरीके, उनका रेजिस्टेंट और किन दवाओं का उन पर असर होता है आदि पर रिसर्च भी की जा सकेगी। इनका डायग्नोसिस करने में भी मदद मिलेगी।
डॉ। आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल मेडिकल
मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लैब बन जाना वेस्ट यूपी के मरीजों के लिए किसी सौगात से कम नहीं होगा। लैब नए उपकरणों के साथ किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहेगी। उच्च मानकों पर कार्य करेगी। कोरोना काल में माइक्रोबायोलॉजी लैब पर नमूनों का भार बढ़ गया था। वायरोलॉजी लैब बनने से इस तरह की स्थिति में लैब का भार भी कम होगा और रिपोर्ट भी जल्दी दी जा सकेगी।
डॉ। अमित गर्ग, प्रभारी, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, मेडिकल कॉलेज