मेरठ ब्यूरो। यूनिवर्सिटी की यह पहल अन्य यूनिवर्सिटी व कॉलेजों के लिए मिसाल बन सकती है। इससे स्टूडेंट्स को खाने का महत्व बताया जाएगा। खाने को बर्बाद न करने के लिए जागरूक भी किया जाएगा। सीसीएसयू की वेबसाइट के रिकॉर्ड के अनुसार कैम्पस में आठ हॉस्टल हैं, इन सभी में करीब 16 सौ स्टूडेंट्स रहते हैं। सभी में मैस की सुविधा है, हॉस्टल के खाने को लेकर दो तरह की दिक्कतें हैं, पहली स्टूडेंट्स जरुरत से ज्यादा खाना थाली में ले लेते हैं और बाद में उसमें से कुछ छोड़ देते हैं। दूसरी जितने स्टूडेंट्स के लिए खाना बना है, उनमें से सभी ने नहीं खाया तो ये भी बच जाता है। सीसीएसयू में इसी को रोकने की पहल की जा रही है।
ऐसे करेगा प्रयास यूनिवर्सिटी
वीसी प्रो। संगीता शुक्ला ने इस संबंध में सभी वार्डन व असिस्टेंट वार्डन के साथ बैठक की है। वीसी ने निर्देश दिए हैं कि कम से कम खाने को बर्बाद करें। उन्होंने स्टूडेंट्स का क्लब बनाने के लिए कहा है, ताकि यह क्लब सभी को जागरुक करने के लिए अभियान चलाए। इसमें स्टूडेंट्स को जरुरत के अनुसार ही एक बार में प्लेट में जरुरत के अनुसार खाना लेने और जरुरत पडऩे पर दोबारा खाना लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। वीसी ने कहा है कि पहला प्रयास कम से कम खाना बचाने का रहे यदि फिर भी खाना बचता है तो उसे गौशाला व जरुरतमंदों तक पहुंचा दिया जाए।
हमारा प्रयास है स्टूडेंट्स को प्रेरित करने का ताकि वो भोजन की बर्बादी न करें, इसके साथ ही जिनको इस भोजन की वास्तव में जरुरत है उनतक पहुंच सके।
प्रो। संगीता शुक्ला, वीसी, सीसीएसयू
यह बहुत ही अच्छा प्रयास है, जो स्टूडेंट्स भोजन फेंक देते हैं। उनको जागरुक करना जरुरी है। खाने की बर्बादी गलत बात है।
अश्वनी
अक्सर हॉस्टल में मैंने देखा है कि हमारे ही कई साथी भोजन छोड़ देते हैं या फिर फेंक देते हैं जो गलत है। यूनिवर्सिटी का यह प्रयास अच्छा है। जो जरुरी है।
प्रमोद
इससे जरुरतमंद लोगों की मदद होगी। इससे दूसरे कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को भी पे्रेरणा मिलेगी, जो बहुत ही सराहनीय प्रयास है, स्टूडेंट्स को भी पता लगेगा कि भोजन की क्या वैल्यू है।
प्रशांत
यह बहुत ही सराहनीय है, इस अभियान के माध्यम से यूनिवर्सिटी नेकी काम करने जा रहा है, वहीं स्टूडेंट्स को भी भावना आएगी की भोजन को बर्बाद नहीं करना चाहिए।
शान मोहम्मद