मेरठ (ब्यूरो)। इको फ्रैंकली स्कूल बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले इसे लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर और सिद्धार्थनगर व मेरठ जिलों में शुरू किया जाएगा। इसको लेकर शासन ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो अपने यहां के कुछ स्कूलों के नाम दें, जिनको इसमें रखा जा सकता है। यहां सफल होने के बाद इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।
दूसरे माडल स्कूलों से अलग
योजना के मुताबिक यह स्कूल दूसरे माडल स्कूलों से अलग होंगे। इसके लिए 45 सौ से पांच हजार स्क्वायर मीटर तथा अधिकतम स्टूडेंट्स के आधार पर स्कूलों का चयन कर प्रशासन को भेजा जाएगा। ग्रीन स्कूलों के भवन में रोशनी का बेहतर तरीके से प्रबंधन, भूकंपरोधी तथा ताजी हवायुक्त व्यवस्था पर आधारित ढांचा तैयार किया जाएगा। इसके अलावा स्मार्ट क्लासेज, पीने के पानी की व्यवस्था, लाइब्रेरी जिसमें बैठने की व्यवस्था हो, सौर ऊर्जा, खेल का मैदान और झूलों की भी व्यवस्था होगी।
इको फ्रेंडली होंगे स्कूल
इसे पूरी तरह इको फ्रैंडली बनाने की भी तैयारी की जा रही है, जिससे बच्चों को आगे चलकर पर्यावरण से भी जोड़ा जा सके। इस योजना का मेन मोटिव बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करना व उसके बारे में जानकारी देना है।
शासन को भेजा गया प्रस्ताव
प्रस्ताव में मानक पूरा करने वाले, अधिकतम स्टूडेंट्स तथा अधिक आबादी वाले ब्लाकों में स्थित स्कूलों के नाम भेजे जाएंगे, इसको लेकर विभाग तैयारियों में जुटा है, पहले ये नाम शासन को दिए जाएंगे, इसके बाद शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इस दिशा में कार्य शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही शासन स्तर से इस योजना को शुरू किया जाएगा, इससे आने वाले समय में बहुत फायदा होगा ऐसा माना जा रहा है।
इस तरह के स्कूल बनने से बहुत फायदा होगा, इनको देखकर बेसिक स्कूलों में बच्चों को भेजने में रूचि बढ़ेगी।
देवेंद्र, टीचर
अगर वास्तव में बेसिक विभाग के तहत इस तरह के मॉडल स्कूल्स तैयार किए जाए तो वो बहुत ही सराहनीय है।
माला, टीचर
योजना के तहत स्कूलों में बदलाव होना अपने आपमें अच्छी बात है, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर अन्य स्कूलों को भी तैयार करना चाहिए ताकि बेसिक स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़े
गीता, टीचर
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल ग्रीन स्कूल में बदलेंगे। शासन ने फिलहाल अभी पांच ही जिलों में शुरूआत की है, योजना के पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया है, लेकिन जैसे ही इसके परिणाम मिलेंगे तो अन्य जिलों में भी योजना शुरू होगी। एक सप्ताह में स्कूलों के नाम फाइनल कर भेज दिए जाएंगे।
योगेंद्र कुमार, बीएसए, मेरठ