मेरठ ब्यूरो। बरसात के साथ ही शहर में रोजाना बिजली गुल होने का सिलसिला बढऩा शुरु हो गया है। जरा सी हवा या बरसात शुरु होते ही शहर के अधिकतर इलाकों में बिजली की आंख मिचौली शुरु हो जाती है। स्थिति यह है कि छोटे सा फॉल्ट को सही करने में भी बिजली विभाग को कई घंटों का समय लग जाता है। क्योंकि मुख्यालय होने के बाद भी खुद बिजली विभाग के पास फॉल्ट लोकेटर नही है। गर्मी से बरसात तक की परेशानी गौरतलब है कि हर साल 8 माह शहर के लोग बिजली की समस्या से जूझते हैं। अप्रेल से शुरु होने वाली गर्मी में ओवरलोडिंग के कारण बार बार बिजली गुल होना आम सी बात है।
इसके बाद बरसात और तेज हवाओं के कारण बिजली के तार टूटने से यह समस्या ओर अधिक बढ़ जाती है। जरा सी बरसात और तेज हवाओं के चलते ही अधिकतर शहर की बिजली गुल हो जाती है। सबसे अधिक सिविल लाइन क्षेत्र, विवि रोड, रूड़की रोड, परतापुर, मोहकमपुर आदि में ट्रिपिंग की समस्या बनी रहती है। भूमिगत केबिल में आ रहे फॉल्ट इससे अधिक परेशानी शहर के अंदर बिछी अंडरग्राउंड केबिल में आने वाले फॉल्ट को सही करने में आ रही है। शहर में करीब 130 किमी अंडर ग्राउंड केबिल बिझाया जा चुका है। ऐसे में इस लाइन की दूरी बढने के साथ ही फॉल्ट की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है। इसके लिए करीब एक करोड़ की लागत की इलेक्ट्रो मैग्नेट डिवाइस की शहर को जरुरत है। लेकिन अंडर ग्राउंड केबिल तो बिछता जा रहा है पर मशीन नही आ पाई है।
नोएडा का फॉल्ट लोकेटर बना सहारा बिजली की लाइन में कोई बड़ा फॅाल्ट आने के बाद उसे लोकेटर के माध्यम से आसानी से तलाश किया जा सकता है। लोकेटर भूमिगत केबिल के फॉल्ट लोकेट करके तुरंत सही पाइंट बता देता है। इसमें ईयर फोन लगा होता है फॉल्ट मिलते ही बीप की आवाज आती है और फॉल्ट पता लग जाता है। पीवीवीएनएल के पास फाल्ट लोकेटर की कमी है। मेरठ में खुद एमडी पीवीवीएनएल बैठते हैं इसके बाद भी मेरठ के पास अपना एक भी फॉल्ट लोकेटर नही है।
इस डिवाइस की कमी के चलते शहर में बड़ा फॉल्ट होने पर नोएडा से फॉल्ट लोकेशन मंगा कर फॉल्ट को तलाशा जाता है और फिर उसे सही कराया जाता है। फॉल्ट लोकेटर की डिमांड भेजी जा चुकी है। जल्द यह मशीन उपलब्ध होगी।
विजयपाल सिंह, एक्सई