मेरठ (ब्यूरो)। अगर बारिश के पानी को बचाना है। तो इमारतों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा। ताकि हम बारिश की हर बूंद को सहेज सके। मकसद अच्छा है कि लेकिन आम लोगों को छोडि़ए सरकारी विभागों में भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए इंट्रेस्टेड नजर नहीं आते हैं। पहला तो शहर की पुरानी इमारतों में रेन वॉटर को सहेजने की कोई योजना नहीं है। वहीं, नई बिल्डिंगों में जो भी व्यवस्था की भी गई है वह सिर्फ दिखावा भर है। ऐसे में बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि बारिश के जल को बचाने में किसी का इंट्रेस्ट नहीं है।

नियम तो है पर मानते नही
शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू कराने के लिए शासन ने मेरठ विकास प्राधिकरण यानि मेडा को रेग्यूलेटरी एजेंसी बनाया है। ग्रुप हाउसिंग को छोड़कर 300 वर्ग मीटर एवं अधिक के क्षेत्रफल के समस्त उपयोगों के भूखंड़ों में रुफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग कम्प्लसरी है। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी विभाग खुद ही सारी प्लानिंग की धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसे में नए तो दूर शहर के पुराने भवनों में रेन वाटर सिस्टम लगाना टेढ़ी खीर बना हुआ है। हालत यह है कि जिन नई इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है वहां रखरखाव के अभाव में सिस्टम दम तोड़ रहे हैं।

बाइलाज के बाद आई जागरुकता
एक अनुमान के अनुसार शहर में 500 से अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित हो चुके हैं। मगर इतने बड़े शहर के लिए से नाकाफी हैं। शहर में वर्ष 2008 तक गिनती के रेनवाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित हुए थे। एक आंकड़े के अनुसार तब शहर में सिर्फ चार ही यूनिट थे, लेकिन 2011 में एमडीए के बाइलाज में जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित करना अनिवार्य किया गया तो नई इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगने शुरु हो गए। एमडीए के नियोजन अनुभाग व इस कार्य में लगे स्वयंसेवी संस्थाओं के आंकलन को जोडऩे पर यह आंकड़ा सामने आता है कि शहर में 2011 से अब तक 500 से अधिक यूनिट स्थापित हो चुके हैं।

11 यूनिट भी गुमशुदा
बाइलाज में शामिल होने के बाद एमडीए ने अपनी अवस्थापना निधि से 11 यूनिट स्थापित कराने थे, लेकिन सरकारी कार्यालयों में यूनिट स्थापित कराए जाने का काम अभी तक जारी है। हर साल एमडीए तैयारी करता रहा कि 11 और यूनिट स्थापित होंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। पिछले कुछ साल से टेंडर प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अब तक धरातल पर कुछ हुआ नहीं। हालांकि पिछले साल एक यूनिट एमडीए ने जिमखाना मैदान में स्थापित कराया था।

आवासीय भवन बहुत पीछे
साल 2023 में 68 मकानों में यूनिट स्थापित हुए। हालांकि इसमें सच्चाई यह है कि कामर्शियल मकानों में तो यूनिट तो कुछ साल में स्थापित हो जाते हैं, क्योंकि इन्हें पूर्णता प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ती है, इसलिए तब एमडीए यह भी जांच करता है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट है या नहीं, जबकि आवासीय भवन इसमें बहुत पीछे हैं।

खराब पड़े रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम
गौरतलब है कि मेरठ विकास प्राधिकरण ने आवासीय योजनाओं में 16 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए थे। खास बात यह है कि जब इनकी पड़ताल की गई तो एक दर्जन हार्वेस्टिंग सिस्टम खराब मिले। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में कूड़ा जमा है। एमडीए ने न तो इनका मेंटीनेंस कराया जाता है और न ही रेगुलर सफाई कराई।

दफ्तर में खराब पड़ा सिस्टम
मेरठ विकास प्राधिकरण के दफ्तर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सालों से खराब पड़ा है। खराब सिस्टम जहां अफसरों की लापरवाही का दर्शाता है, वहीं इस बात को भी बता रहा है कि जल बचाने को लेकर रेगुलेटरी एजेंसी कितनी गंभीर है। प्राधिकरण के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सालों से साफ नहीं किया गया है। जिसके चलते उसमें कूड़ा करकट भर गया है। हालांकि एमडीए अफसर सिस्टम को ठीक होने का दावा करते हैं।

करीब 1.5 लाख का खर्च
एक सामान्य रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है। इसी खर्चे के साथ एमडीए ने अपनी आवासीय योजनाओं में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए थे, लेकिन लाखों की कीमत के ये सारे सिस्टम लापरवाही की भेंट चढ़ गए।

इन योजनाओं में लगे सिस्टम
गंगानगर, शताब्दी नगर, रक्षा पुरम, सैनिक विहार, वेदव्यासपुरी, लोहियानगर, श्रद्धापुरी, मेजर ध्यान चंद नगर आदि।

फाइलों में हो रहा जल संचय
असल में सरकारी नियम कायदों और अर्बन प्लानिंग एक्ट का अनुपालन करने के लिए एमडीए किसी भी इमारत का नक्शा पास करते समय दस्तावेजों में सारी औपचारिकताएं पूर्ण करा लेता है। दस्तावेजों में तमाम एनओसी के साथ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की औपचारिकता भी पूर्ण करा ली जाती है, ताकि नक्शा पास करने में कहीं कोई परेशानी न खड़ी हो। लेकिन इसके बाद एमडीए मौके पर बिल्डिंग का मुआयना करने भी नहीं जाता।

ये है स्थिति
शहर की पुरानी बिल्डिंग में नहीं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

95 फीसदी सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं

कमिश्नरी और कलक्ट्रेट जैसे दफ्तरों में प्लान पड़ा ठप

वर्षा जल संरक्षण के लिए गंभीर नहीं सरकारी अफसर

एमडीए, निगम और आवास विकास जैसे सरकारी विभागों तक सिस्टम खराब

एमडीए के योजनाओं में भी नहीं लग रहे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम


जल संरक्षण पर पूरी तरह सरकारी सिस्टम पर निर्भर रहना सही नही है। हमें अपने स्तर पर भी प्रयास करने चाहिए ताकि अपने निजी योगदान से हम समाज के हित में योगदान कर सकें।
रवि कुमार, फाउंडर, बूंद फाउंडेशन

जल संरक्षण के लिए सामाजिक जागरुकता बहुत जरुरी है। हम छोटे छोटे प्रयासों के साथ यदि जल संरक्षण का प्रयास करें तो भूगर्भ जल स्तर बहुत तेजी से सुधर सकता है।
मेजर सुनील शर्मा, समाज सेवी

जल संरक्षण की दिशा में प्रशासनिक स्तर पर प्रयास होना बहुत जरुरी है। कम से कम जो रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाए गए है उनके रखरखाव की व्यवस्था ही दुरुस्त कर दें। बाकि इससे अधिक जरुरी आम आदमी की जागरुकता बहुत जरुरी है।
गिरीश शुक्ला, जागरूक नागरिक एसोसिएशन अध्यक्ष

300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के नक्शों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम आवश्यक है। यदि ऐसा नही हो रहा तो जांच के बाद नक्शा निरस्त कर दिया जाएगा।
विजय कुमार सिंह, नगर नियोजक, मेडा