मेरठ ( ब्यूरो)। हालत यह है कि बीते 5 साल के कार्यकाल में शहर में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। इसके साथ ही धूल, जलभराव और अंधेरे से मुक्ति नहीं मिल पाई है। हालांकि, इस कार्यकाल में कोरोना के दो साल भी शामिल रहे, जिनसे शहर का विकास काफी हद तक प्रभावित रहा। शहर के लोगों को सिर्फ स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग के अलावा कुछ खास नहीं मिला।
ये वादे रह गए अधूरे
- गड्ढामुक्त शहर की सडक़ें
- शहर में जगह- जगह कूड़े के ढ़ेर से निजात
- लोहियानगर और मंगतपुरम में कूड़े के पहाड़ का निस्तारण
- शत प्रतिशत डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन
- 90 वार्डों में गंगाजल की सप्लाई
- जलभराव से शहर के मोहल्लों को मुक्ति
- स्मार्ट पार्क, स्मार्ट रोड की प्लानिंग
- मल्टीलेवल पार्किंग की अधूरी व्यवस्था
- नामांतरण शुल्क की वसूली
- जीआईसी सर्वे के बाद भी अधूरी टैक्स व्यवस्था
- नालों की कवरिंग
- एसटीपी प्लांटों का अधूरा संचालन
- कूड़े से बिजली और कूड़े की बिक्री की व्यवस्था
11 में से तीन पार्क का सुंदरीकरण
निगम के रिकार्ड पर नजर डालें तो वित्तीय वर्ष 2019-20 तक कुल 11 पार्कों के सौंदर्यीकरण की योजना बनी थी। इस अमृत योजना के लिए लगभग 13.56 करोड़ रुपये धनराशि स्वीकृत हुई थी। अभी तक 11 में से महज तीन पार्क में ही पूरा काम हो पाया है। जबकि पार्कों के सुंदरीकरण कार्य में 5 करोड़ से अधिक धनराशि खर्च हो चुकी है। नगर निगम अंतर्गत पार्कों की बात करें तो लगभग 500 पार्क शामिल हैं।
छह माह डेढ़ करोड़ का बकाया
गौरतलब है कि नगर निगम की कूड़ा गाडिय़ों के डीजल पर प्रतिमाह 25-30 लाख रुपये का खर्च होता है। पेट्रोल पंपों पर डीजल और पेट्रोल का निगम को हर माह भुगतान करना होता है। पिछले करीब छह माह से नगर निगम में बिल बनकर तैयार हैं, लेकिन धन के अभाव में भुगतान नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि छह माह में डेढ़ करोड़ रुपए के करीब बकाया चल रहा है।
कर्मचारियों को वेतन तक की दिक्कत
नगर निगम के पास राजस्व की कमी के चलते बीवीजी कंपनी के कर्मचारियों की सैलरी तक निगम नही दे पा रहा है। हालत यह है कि वेतन न मिलने से गुस्साए बीवीजी कंपनी के हेल्परों ने अगस्त माह में हड़ताल कर दी थी। नगर निगम पर इन कर्मचारियों का करीब 90 लाख रुपये बकाया चल रहा था।
नहीं हो रही राजस्व वसूली
नगर निगम में राजस्व वसूली की रफ्तार भी बहुत धीमी है। पिछले साल में महज 27 करोड़ की वसूली हो सकी है। जबकि गृहकर के वार्षिक लक्ष्य 55 करोड़ है। राजस्व की वसूली न होने के कारण कई योजनाएं अधर में है। उनको भी निगम की ओर से पूरा नहीं किया जा सका है।
बढ़ रहा एनर्जी प्लांट का इंतजार
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने का प्लान बीते चार साल से चल रहा है। हालांकि, कंपनी के चयन का विवाद खत्म हो गया है, बावजूद इसके, शहर में फ्रेश कूड़े के निस्तारण की योजना अधर में है। इस योजना के तहत गांवड़ी स्थित प्लांट में फ्रेश कूड़े का निस्तारण किया जाना था। इसके लिए प्लांट में लगे कूड़े के पहाड़ को खत्म कर जगह को खाली भी कर दिया गया। लेकिन फ्रेश कूड़े का प्लांट चालू ना हो पाने के कारण अब प्लांट में सन्नाटा पसर गया है।
पार्किंग स्थलों की अधूरी रही तलाश
वाहनों की आवाजाही के हिसाब से नगर निगम ने वाहन पार्किंग स्थलों का चयन करने के लिए महानगर को तीन जोन में बांटा था। पार्किंग की तलाश की थी, लेकिन वह भी अभी तक अधूरी है। इसके तहत शहर में 34 स्थानों का र्पािर्कंग के लिए चयन किया गया था। लेकिन यह कवायद आज तक परवान नही चढ़ पाई।