मेरठ। घर से बाहर निकली लड़कियों को छेडऩा, उनका पीछा करना, तंग करना मनचलों के लिए मनोरंजन का विषय हो सकता है। लेकिन इससे लड़कियों में सीरियस मेेंटल हेल्थ इश्यूज डेवलप हो रहे हैं। उनमें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर नामक बीमारी तेजी से बढ़ रही है। कम उम्र में ही दिमाग में केमिकल इंबैलेंस 60 वर्ष की उम्र में होने वाली समस्याएं पैदा कर रहे हैं। मनोचिकित्सक बताते हैं कि स्थिति काफी चिंताजनक है। लड़कियों में सुसाइडल टेंडेंसी तक देखने में आ रही है।
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ये होता है पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
पीटीएसडी गंभीर मनोरोग है। यह किसी सीरियस ट्रॉमा की वजह से पैदा होता है। लगातार छेड़छाड़ से तंग आई लड़कियों में ऐसे ही लक्षण मिल रहे हैं। मनोचिकित्सक बताते हैं कि काउसंलिंग के लिए आने वाली हर तीसरी लडक़ी में ये डिसऑर्डर मिल रहा है। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग में ही हर दिन 30 से 34 लड़कियों में ये स्थिति मिल रही है।
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ये हैं बीमारी के लक्षण
- मरीज को बार-बार ट्रॉमाटिक घटना का अनुभव होता है। जैसे कि वह घटना फिर से हो रही हो।
- मरीज को रात में डरावने सपने आते हैं जो ट्रॉमाटिक अनुभव से जुड़े होते हैं।
- मरीज अत्यधिक सतर्क और आशंकित रहने लगता है। जिससे चिंता और उत्तेजना, अवसाद बढ़ता है।
- मरीज को फीलिंग्स समझने में कठिनाई होने लगती है। वह दूसरों के साथ जुड़ाव महसूस नहीं कर पाता।
- ट्रॉमाटिक घटना से संबंधित जगहों, लोगों, या गतिविधियों से मरीज बचने की कोशिश करने लगता है।
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छेडछाड़ ऐसे करती है दिमाग पर असर
तनाव से दिमाग में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
-मूड को नियंत्रित करने वाला सेरोटोनिन और खुशी की भावना से जुडा डोपामाइन का संतुलन बिगड़़ जाता है। जिससे अवसाद और चिंता बढऩे लगती है।
-हिप्पोकैम्पस यानी मस्तिष्क में यादों और सीखने से जुड़े हिस्से में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे याददाश्त और सीखने की क्षमताओं में कमी आ जाती है।
- तनावपूर्ण स्थिति से दिमाग में एड्रेनालाईन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शारीरिक और मानसिक प्रतिक्रियाओं में वृद्धि होती है।
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ये है इलाज
- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी
- ईएमडीआर
- मेडिकेशन एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटी-एंजाइटी दवाइयों से उपचार
- स्पोर्ट ग्रुप्स
इनका है कहना
लगातार छेड़छाड़ के कारण पीडि़त में डिप्रेशन हो सकता है। वे खुद को निराश, अकेला या हारा हुआ महसूस कर सकते हैं।अत्यधिक चिंता और डर की वजह से पैनिक अटैक आने लगते हैं।डर और शर्म के कारण वह सामाजिक गतिविधियों से दूर होने लगती हैं। अपने दोस्तों, परिवारों से कट जाती हैं।
डा। विभा नागर ,क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट
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छेड़छाड़ से तंग लड़कियों में आत्महत्या करने का विचार भी बहुत फ्रीक्वेंटली मिल रहा है। यह एक गंभीर स्थिति है। छेड़छाड़ की वजह से उसने आत्मसम्मान को ठेस लगती है। उनका सेल्फ कांफिडेंस कम हो जाता है। कई घटनाओं में वह खुद को ही ट्रॉमाटिक घटनाओं की वजह से जगहों, लोगों, या सोशल गतिविधियों से बचने के प्रयास करती हैं।
डा। रवि राणा, सीनियर साइकैट्रिस्ट
कोई भी ट्रॉमेटिक घटना दिमाग में केमिकल रिएक्शनंस को इंबैलेंस कर सकती है। जिससे मेंटल हेल्थ इश्यूज डेवलप होते हैं। इससे किसी भी व्यक्ति का पूरा जीवन प्रभावित होता है। क्वालिटी ऑफ लाइफ खराब हो जाती है। छेड़छाड़ की घटनाओं से लड़कियों की मेंटल हैल्थ सबसे अधिक प्रभावित होती है।
डा। तरुण पाल, एचओडी मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट,्र मेडिकल कॉलेज
केस-1 : अश्लील फब्तियों से त्रस्त
शास्त्रीनगर निवासी 19 वर्षीय एक छात्रा को कॉलेज आते-जाते हुए मनचले खूब छेड़ते थे। अश्लील फब्तियां कसते।उनकी बातों से वह बहुत परेशान रहने लगी। नींद न आना, चिड़चिड़ापन, बात-बात पर गुस्सा करना, डिप्रेशन बढ़ गया। काउसंलर की मदद ली। पता चला की उसके दिमाग में कई तरह के हानिकारक केमिकल्स की मात्रा बढ़ गई थी। काफी इलाज के बाद वह ठीक हुई।
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केस-2 : डिप्रेशन के कारण बीमारी
गंगानगर निवासी 21 वर्ष की एक छात्रा, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में मनचले छेड़ते थे। घर तक पीछा करने लगे। छात्रा बहुत परेशान रहने लगी। चिंता और डिप्रेशन की वजह से बीमार हो गई। परिजनों ने मनोचिकित्सक को दिखाया। काउंसलिंग के दौरान लडक़ी ने घटना के बारे में बताया। दिमाग में डोपामाइन का संतुलन बिगड़ा हुआ मिला।
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केस 3: परेशान करते थे मनचले
गढ़ रोड़ निवासी 22 वर्ष की एक लडक़ी ने बताया कि ऑफिस जाते हुए उसे मनचले काफी परेशान करते थे। घर तक पीछा करना, सुबह घर के बाहर आकर खड़े हो जाना, आते-जाते छेडऩा रोज की बात थी। डर और शर्म की वजह से किसी को बताया नहीं लेकिन चिंता की वजह से उसे पैनिक अटैक आने लगे। सोशल गैदरिंग में डर लगने लगा। काउंसलर से मदद ली। दिमाग में कई तरह के केमिकल इमबैलेंस हो गए थे। उसे लंबा इलाज करवाना पड़ा।