मेरठ ब्यूरो। शादियों का सीजन शुरु होते ही एक बार अधिकतर बैंक्वेट हॉल, रिसोर्ट व विवाह मंडप बारातियों के स्वागत के लिए तैयार हैं। वहीं निगम ने इन बैंक्वेट हॉल पर निगरानी शुरु कर दी है। निगरानी बैंक्वेट हॉल से निकलने वाले बल्क वेस्ट के लिए की जा रही है जोकि विवाह कार्यक्रम निपटने के बाद बैंक्वेट हॉल के आसपास खाली मैदान या नाले में डाल दिया जाता है। अब ऐसा करने वाले बैंक्वेट हॉल संचालकों से जुर्माना वसूला जाएगा। बैंक्वेट हॉल या विवाह मंडप अपने यहां उत्सर्जित होने वाले कूड़े को निस्तारित नही कर पा रहे हैं। उन पर पेनाल्टी या सीज तक की कार्रवाई हो सकती है। वहीं निगम ने अपने परिसर में मिनी कंपोस्ट प्लांट ना बनाने वाले संचालकों को भी नोटिस जारी किए हैं। इसके तहत 153 से अधिक विवाह मंडपों को नोटिस जारी किए गए हैं।
रातों रात गुम हो रहा बल्क वेस्ट
शहर के बैंक्वेट हाल, विवाह मंडल, कामर्शियल संस्थानों और फैक्ट्रियों आदि से निकलने वाले बल्क वेस्ट को अब नगर निगम नहीं उठाता है। इस कूड़े का फैक्ट्री संचालकों और कामर्शियल संस्थान मालिकों को स्वयं अपने स्तर पर निस्तारित करने का नियम है। इसके लिए बकायदा परिसर में मिनी कंपोस्ट प्लांट लगाने का नियम है, लेकिन शासन के निर्देश के बाद भी इस नियम की खुलेआम अनदेखी हो रही है। इस नियम को ना मानने वाले मंडप संचालकों को हर साल नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी जाती है लेकिन नियम का पालन नही होता है। पिछले साल भी नियम फॉलो ना करने वाले करीब 113 बैंक्वेट हॉल, होटल व विवाह मंडपों नोटिस जारी किया गया था। लेकिन जुर्माना किसी पर नही लगाया गया।
तीन साल से कागजों में आदेश
नगर निगम के नियमानुसार 100 किलो या इससे ज्यादा कूड़ा रोजाना पैदा करने वाले कामर्शियल संस्थानों, फैक्ट्रियों व कारखानों का कूड़ा खुद संचालकों को निस्तारित करना होता है। नगर निगम सिर्फ आवासीय कूड़े को उठाकर निस्तारण करता है। इसके लिए तीन साल पहले नगर निगम ने कामर्शियल और आवासीय इलाकों से निकलने वाले कूड़े की विस्तृत जानकारी एकत्र कर होटल, फैक्ट्री, विवाह मंडप आदि को कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था स्वंय करने का आदेश दिया था। लेकिन 3 साल बाद भी 80 प्रतिशत बैंक्वेट हॉल कूड़ा निस्तारण नही कर रहे हैं।
नही लगी मिनी कंपोस्ट यूनिट
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक 100 किलो से ज्यादा कूड़ा उत्सर्जित करने वाले विवाह मंडपों, कामर्शियल संस्थानों, फैक्ट्रियों और कारखानों आदि को अपने कूड़े का स्वयं निस्तारण करने का नियम है। इसके लिए उन्हें मिनी कंपोस्ट यूनिट लगानी होती है। ताकि निकलने वाले कूड़े का निस्तारण उन्हीं के स्तर पर हो जाए और शहर में कूड़े का ढ़ेर कम हो सके और कंपोस्ट की जरूरत भी पूरी हो सकेगी। लेकिन अभी तक ये सभी कामर्शियल संस्थान, बारात घर, होटल अपने कूड़े को आसपास खाली जगह, नालों या ढलावघर पर फेंक रहे हैं।
रोजाना निकलता है 900 टन कूड़ा
शहर से रोजाना करीब 900 टन कूड़ा निकलता है, जिसे नगर निगम ठिकाने लगाता है। इस कूड़े में करीब 50 फीसदी हिस्सा बैंक्वेट हॉल, विवाह मंडप, होटल, कामर्शियल संस्थानों, कारखानों और फैक्ट्रियों आदि का होता है। शहर में कूड़ा निस्तारण प्लांट नहीं बनने से कई जगह कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए हैं। लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है।
सभी बैेंक्वेट हॉल, विवाह मंडप और होटलों के लिए बल्क वेस्ट खुद ही निस्तारित किया जाना अनिवार्य है। यदि बल्क वेस्ट का निस्तारण नही हुआ तो निगम स्तर पर बैंक्वेट हॉल, विवाह मंडप पर जुर्माने की कार्रवाई होगी। यदि जुर्माना 5 हजार से 50 हजार तक हो सकता है।
- हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी
मंडप में फल व सब्जियों का बचा हुआ छिलका गायों के चारे के रूप में काम आता है, जिसको गाय पालक ले जाते हैं। पार्टी के बाद प्लेटों से बचा हुआ खाना व अन्य भोजन एकत्रित कर सफाई कर्मचारी अपने साथ ले जाते हैं। किसी भी प्रकार का गीला व सूखा कूड़ा मंडप द्वारा बाहर नहीं फेंका जाता है।
- मनोज गुप्ता, अध्यक्ष मेरठ मंडप एसोसिएशन
मिनी कंपोस्ट प्लांट लगाना सभी बैंक्वेट हॉल के लिए आसान नही है, इसके बजाए सभी विवाह मंडप संचालक अपने यहां उत्सर्जित वेस्ट को जानवरों को देकर निस्तारित करा देते हैं।
- विपुल सिंघल, महामंत्री मेरठ मंडप एसोसिएशन
मिनी कंपोस्ट प्लांट उन बैंक्वेट हॉल या रिसोर्ट के लिए होता है जहां अत्याधिक स्पेस हो गया 2 हजार से अधिक लोगों का कार्यक्रम होता है। छोटे बैक्वेट हॉल संचालक तो खुद ही कूड़े निस्तारण कर देते हैं। सारा बचा हुआ भोजन पशुओं को भेज दिया जाता है।
- मनोज गर्ग, एमएस विवाह मंडप