मेरठ । स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में नगर निगम ने ओडीएफ प्लस प्लस का तमगा हासिल किया था। इसके तहत शहर में संचालित सभी पब्लिक टॉयलेट्स का बीते साल सर्वे किया गया था। इसके तहत टॉयलेट्स की व्यवस्थाओं, गंदगी और सुविधाओं आदि की जांच की गई थी। वहीं, जैसे ही सर्वे खत्म हुआ और ओडीएफ प्लस प्लस का तमगा निगम को मिला। वैसे ही निगम ने पब्लिक टॉयलेट्स की हालत देखनी बंद कर दी। इसका नतीजा है कि तमगा मिले एक साल भी नही हुआ कि सार्वजनिक स्थलों पर बने 80 प्रतिशत पब्लिक टॉयलेट खस्ता हाल में हैं। गंदगी की भरमार के कारण इस्तेमाल करने से लोग परहेज करने लगे हैं।
साल भर में सुविधाएं हुई गुमशुदा
नगर निगम ने पब्लिक टॉयलेट्स तो बना दिए, लेकिन मानकों को पूरी तरह अनदेखा किया गया है। हालत यह है कि पब्लिक टॉयलेट्स में बेसिक साफ सफाई तक की सुविधा तक कायम नही है। इतना ही नही जो पब्लिक टॉयलेट्स पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण में तैयार किए गए थे। उनमें बीते एक साल से ताला लटका है।यूरिनल से लेकर टॉयलेट की सीट से लेकर टोंटियां तक टूट चुकी हैं। शौचालयों में पानी तक की सुविधा उपलब्ध नही है।
ये सुविधाएं गुमशुदा-
- दीवार पर स्वच्छता का संदेश देती पेंटिंग होनी चाहिए
- सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय की सफाई बेहतर हो
- हैंडवाश के लिए साबुन और तौलिए की व्यवस्था हो
- शौचालयों में सेनेटरी वेंडिग मशीन, हैंड ड्रायर और इंसीनरेटर की व्यवस्था हो
- शौचालय परिसर में गमले रखे हों
- शौचालय पर 24 घंटे कर्मचारी की मौजूदगी हो
- शहर के सभी घरों के टॉयलेट, पब्लिक व कम्यूनिटी टॉयलेट सीवर लाइन या सेप्टिक टैंक से जुड़े होने चाहिए
- खुले में गंदगी फैलाने वालों के करने होंगे चालान
- टॉयलेट से ओपन डिस्चार्ज नहीं होना चाहिए
- सीवर के वेस्ट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर शोधित करना होगा
- जिन शहरों में सीवर लाइन नहीं है, वहां पर वेस्ट को शोधित कर बहाया जाए
- महिला और पुरुष समेत विकलांगों के लिए सुविधा हो
- विकलांगों के लिए रैंप बना हुआ हो
रख-रखाव में लापरवाही
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार शहर में अभी तक 90 सार्वजनिक यूरिनल बने हुए हैं। इनमें से करीब 51 यूरिनल अभी चालू हालत में नहीं हैं। निगम द्वारा सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव में लापरवाही के कारण हालत सही नही है। मलिन बस्तियों में सार्वजनिक शौचालयों की कमी है लेकिन शहर के प्रमुख मार्गों और चौराहों पर बनाए गए 20 सार्वजनिक पिंक ब्लू शौचालय सही हालत में हैं। इन शौचालयों में सुविधा के नाम पर किराया वसूला जाता है।
पब्लिक टॉयलेट्स की नियमित साफ सफाई के लिए स्थानीय स्तर पर सुपरवाइजर और कर्मचारी तैनात हैं। औचक निरीक्षण कर स्थिति को सुधारा जाएगा।
- डॉ हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी