मेरठ (ब्यूरो)। शिव महापुराण के तीसरे दिन आचार्य संतोष दास महाराज ने रुद्र संहिता का वर्णन किया। इस दौरान भगवान शिव की समरसता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि परिवार में कैसे रहे। सभी धर्मों में श्रेष्ठ और प्रथम संतान धर्म है। शिवजी की पूजा का महत्व बताया। उन्होंने भस्म लगाने की विधि, पुण्य का महत्व, सती चरित्र, दक्ष यज्ञ और पार्वती जन्म, पार्वती तपस्या, शिवजी के दर्शन, कामदेव द्वारा तपस्या भंग करने का प्रयास और शिव बारात पार्वती शंकर विवाह के उत्सव का वर्णन किया।
धूमधाम से मनाया शिव विवाह
इस अवसर पर विवाह की रस्में आदि का वर्णन किया। इस अवसर पर उन्होंने सती चरित्र का वर्णन किया। भोलेनाथ का विवाह धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान जयकारे भी लगाए गए। उन्होंने बताया राजा दक्ष की पुत्री सती ने भगवान शिव को अपना वर चुना था। राजा दक्ष और ऋ षियों ने सती को भोलेनाथ के बारे में बताया कि वे योगी हैं, मदमस्त हैं, कपड़े भी नहीं पहनते और महलों में पली तो उनके साथ जंगल में कैसे रहोगी, लेकिन सती अपनी बात पर अड़ी रहीं और उन्होंने अपने पिता से भगवान शिव से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की।
बारात का निमंत्रण दिया
राजा दक्ष ने अपनी पुत्री से विवाह करने के लिए भगवान शिव को बारात लाने का निमंत्रण दिया। आचार्य ने प्रवचन में कहा कि माताएं सर्वश्रेष्ठ हैं, इसलिए राधे, सीता और पार्वती की स्तुति करने से भगवान कृष्ण, राम और शिव की शरण मिलती है। उन्होंने कहा कि यदि लक्ष्मी की पुत्री और लक्ष्मी का पुत्र लक्ष्मी का पति बने तो भगवान लक्ष्मीनारायण को ही रहने दो। सुख-दुख तो कर्मों का फल है। हर मनुष्य को इसका सामना करना पड़ता है, इसीलिए कहा जाता है कि सुख आएगा और दुख जाएगा।दुख और सुख ज्यादा देर तक नहीं टिकते।
भूत प्रेत संग निकली बारात
उन्होंने बताया भगवान शिव की बारात कैलाश पर्वत से निकली जिसमें भूत-प्रेत, साधु, नंदी शामिल हुए। उन्होंने दूल्हे बन कर नंदी पर सवार होकर निकले हैं भोलेनाथ, डम डम डमरू बजाते हैं भोलेनाथ, मस्त है पूरा कैलाश पर्वत, जैसे भजन प्रस्तुत किए तो पंडाल में मौजूद महिलाएं भाव विभोर होकर नाचने लगीं। तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच शिव और पार्वती बने किरदारों ने एक-दूसरे को माला पहनाई। इस अवसर पर आचार्य नारायण दत्त शास्त्री द्वारा वैदिक पूजन शिव पुराण पाठ किया गया।
ये लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर सागर सपरा, गीता सचदेवा, संगीता जुनेजा, गीता अग्रवाल, परमानंद सपरा, सागर, आशिमा, शिवा सपरा, शैफाली और सौरभ रांचल, समर और सारा आदि मौजूद रहे।