मेरठ (ब्यूरो)। ओम सेवा समिति द्वारा भैंसाली ग्राउंड में आयोजित कथा में सोमवार को महाराज हिमेश शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की दिनचर्या व सुदामा के चरित्र को समझाया। इस अवसर पर महाराज हिमेश शास्त्री ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण द्वारिका के राजा थे। राजा होने के बाद भी उन्होंने सिस्टम में रहकर समाज को जीवन जीने की कला सिखाई। वो ब्रहम मुहूर्त में उठते थे, उन्होंने मनुष्य को नियमों का पालन करने की प्रेरणा दी है। महाराज ने कहा कि हमारे शास्त्रों में उस व्यक्ति को श्रेष्ठ माना गया है जो अपने जीवन की शिक्षा आचरण से लेता है। इसलिए हमें सुबह ब्रहम मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया करने के बाद भगवान का सिमरन करना चाहिए।
मित्रता का दिया संदेश
महाराज हिमेश शास्त्री ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। श्रद्धालुओं को कथा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े-दौड़े चले आए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। उन्होंने कहा कि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। लेकिन समाज में आज बराबरी के वर्ग के साथ ही मित्रता की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा में कोई बराबरी नहीं थी। लेकिन उनमें बहुत प्रेम था, जो वास्तव में मित्रता में होना चाहिए। कथावाचक ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल शब्दों में वर्णन किया कि उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए।
ज्ञान व वैराग्य के भाव
उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। अंत में फूलों की होली खेली गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने झूमते हुए आंनद लिया। इसके बाद कथा को विराम दिया गया। आज मंगलवार को ब्लड डोनेशन कैंप किया जाएगा और कल यानी बुधवार को सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाएगा।
ये रहे मौजूद
कथा में यजमान सौरभ गुप्ता, योगेश मोहनजी गुप्ता, मयंक अग्रवाल, मुख्य अतिथि बीना जैन, योगेश जैन, रितेश जैन रहे। प्रसाद की सेवा साक्षी मदान व राम मदान द्वारा की गई। आरती कर्ता के रुप में तनुज जैन, अनिल जैन, किरण पाहवा, अनिल पाहवा, मधु अग्रवाल, मनिका शर्मा, वरुण शर्मा आदि रहे। विशिष्ट रुप से पिंकी अग्रवाल, जय प्रकाश अग्रवाल, देवेंद्र चौहान, पूरनचंद सैनी, मूलचंद गर्ग, निधि अग्रवाल, रुपेश अग्रवाल, कीर्ति अरोड़ा, कर्मवरी अरोड़ा, आकांक्षा रस्तोगी, शशांक रस्तोगी, आंचल जुनेजा, शाश्वत जुनेजा, सुरेश गुप्ता, ब्रजभूषण गुप्ता, अतुल अग्रवाल, नितिन गुप्ता आदि मौजूद रहे।