हेल्थ डिपार्टमेंट तैयार कर रहा डोनर्स की लिस्ट
प्लाज्मा थेरेपी के लिए जिले में दी जाएगी ट्रेनिंग
कोरोना वायरस से संक्रमित क्रिटिकल मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी की कवायद तेज हो चली है। जिले में जल्द ही इसे लागू करने की योजना तैयार हो रही हैं। इसके लिए डोनर्स को तैयार किया जा रहा है। डोनर्स मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है प्लाज्मा थेरेपी कई जगह शुरु हो चुकी है। मुरादाबाद के बाद मेरठ में इसे लागू करने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं। डोनर्स मिलते ही इसे यहां भी चालू कर दिया जाएगा।
डोनर्स की बन रही ल्सि्ट
ओएसडी डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए रिकवर हो चुके मरीजों के प्लाज्मा की जरूरत होती है। विभाग की ओर से ऐसे सभी मरीजों का डाटा तैयार किया जा रहा, जो प्लाज्मा डोनेट कर सकते हो। इसके साथ ही मरीजों को लगातार डॉक्टर्स इसके लिए मॉटीवेट भी कर रहे हैं। अभी तक पुलिस विभाग के रिकवर हो चुके करीब 50 लोगों का डाटा तैयार किया गया है। इनकी सूची बनाकर सभी को प्लाज्मा डोनेशन के बारे में अवेयर किया जाएगा ताकि दूसरे क्रिटिकल मरीजों के लिए रिकवर मरीज आगे आ सके।
मेडिकल कॉलेज में बनेगा बैंक
प्लाज्मा थेरेपी के लिए मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में प्लाज्मा बैंक तैयार किया जा रहा है। ओएसडी ने बताया कि यहां पहले से ही प्लाज्मा स्टोर करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं। हालांकि कोरोना रिकवर मरीजों का प्लाज्मा स्टोर करने के लिए अलग फ्रीजर व टेस्टिंग की व्यवस्था करवाई जाएगी। इसके अलावा प्लाज्मा निकालने और मरीज को चढ़ाने के लिए भी डॉक्टर्स व टेक्नीशियंश की लखनऊ में ट्रेनिंग करवाई जाएगी।
ये है प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली एक थेरेपी है। इसमें इस वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा को एक्टिव मरीजों के शरीर में डाला जाता है, जिससे उस मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने की एंटीबॉडी बन जाती है। ठीक होने के 28 दिन बाद मरीज प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। एक डोनर का प्लाज्मा 2 से 5 मरीजों के लिए यूज किया जा सकता है। यूपी के सात मेडिकल कॉलेज में इसकी शुरुआत हो चुकी है। जबकि मुरादाबाद के बाद मेरठ में इसे लागू करने की तैयारी चल रही हैं।
हमारी रिकवर हो चुके सभी मरीजों से अपील है कि वह प्लाज्मा डोनेशन के लिए आगे आएं। प्लाज्मा डोनेट करने से किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है। इससे क्रिटिकल मरीजों का इलाज करने में मदद मिलेगी। यह जागरूकता से ही संभव हो सकता है।
डॉ। वेद प्रकाश, ओएसडी, मेरठ।