मेरठ (ब्यूरो)। शहर के उद्योग धंधों को रफ्तार देने के लिए जनपद का प्रशासन कितना सजग है इसका उदाहरण लोहियानगर इंडस्ट्रीयल एरिया में देखने को मिल रहा है। एमडीए की योजना में प्री-प्लांड इस इंडस्ट्रीयल एरिया की हालत 15 साल से जर्जर है। इसी का नतीजा है कि यह इंडस्ट्रीयल एरिया आधा-अधूरा बसा हुआ है। इतना ही नहीं, यहां अव्यवस्थाओं के चलते यहां बसे-बसाए उद्योग धंधे भी अब यहां से पलायन करने की तैयारी में जुट गए हैं।
2008 में हुई थी शुरुआत
दरअसल, एमडीए ने साल 2008 में लोहियानगर को बतौर इंडस्ट्रीयल एरिया विकसित करने की शुरुआत की थी। यह योजना कैंची और बुनकर कारोबारियों को विकसित औद्योगिक क्षेत्र देने के लिए शुरुआत की गई थी लेकिन 15 साल बीतने के बाद आज भी लोहियानगर में कारोबारी जाने से कतरा रहे हैं, उसका कारण सिर्फ एक ही है कि 15 साल बाद भी यहां मूलभूत सुविधाओं और सुरक्षा की दरकार है। लोहियानगर में सड़क, सीवर, स्ट्रीट लाइट, पार्क जैसी बेसिक सुविधाओं का अभाव है। यहां तक की बरसात में इस योजना के खाली प्लॉट से लेकर सड़कों तक जलभराव हो जाता है, जिस कारण से यहां की स्थिति ओर अधिक खराब हो जाती है। और तो और सुरक्षा के लिहाज से यहां एक पुलिस चौकी तक की व्यवस्था नहीं है।
अंधेरा और अपराध रोक रहा इंडस्ट्रीज की राह
इस क्षेत्र में सबसे अधिक परेशानी यहां स्ट्रीट लाइट और पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था ना होना है। यह क्षेत्र विकसित ना होने के कारण यहां अपराधिक घटनाएं होती रहती हैं। जिसके कारण उद्योगपति इस क्षेत्र में अपनी इंडस्ट्रीज लगाने से दूरी बना रहे हैं। हालत यह है कि यहां सड़क किनारे स्ट्रीट लाइट तक नहीं है। जबकि लोहियानगर गढ़ रोड को हापुड़ रोड से जोडऩे वाली लिंक रोड पर स्थित है। इसके बाद भी यहां शाम होते ही सड़क पर अंधेरा पसर जाता है।
सालों से अधूरे विकास कार्य
हर साल एमडीए ने लोहियानगर को विकसित करने के लिए विकास कार्यों के टेडर निकालता है लेकिन अधिकतर टेंडर अधूरे हैं। जिसमें से सड़क निर्माण के काम तो हुआ लेकिन वह भी आवासीय क्षेत्र तक सीमित रहा। जबकि औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें आज भी अधूरी हैं। लेकिन बाकि काम अधर में अटके हुए हैं। इन टेंडर के तहत लोहियानगर में पार्क, सड़क, जल निकासी, नाले नालियां, निर्माणाधीन ईडब्ल्यूएस भवनों के निर्माण को पूरा कराया जाना था। इसके साथ ही इस क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाना था जो कि अभी तक अधर में है।
टेंडर के बाद भी ये काम अधर में
लोहिया नगर योजना के पॉकेट-एफ बुनकर उद्योग में पार्क की बाउंड्रीवाल का निर्माण
लोहिया नगर योजना के पॉकेट-एम में क्षतिग्रस्त सड़क, नाली, पुलिया के स्लैब का कार्य
फैक्ट्स एक नजर में
2008 में एमडीए ने तैयार की लोहियानगर इंडस्ट्रीयल एरिया योजना
इस योजना में 179 प्लॉट बुनकर और 275 करीब कैंची कलस्टर के लिए प्लॉट का हुआ था आवंटन
अभी तक मात्र 6 कैंची कलस्टर इंडस्ट्रीज का शुरु हुआ संचालन
लोहियानगर की आई पॉकेट में अन्य इंडस्ट्रीज के लिए प्लॉट हुए थे आवंटित
आई पाकेट में फैब्रिकेशन, पब्लिकेशन, बाइंडिंग, प्रिटिंग और कास्टिंग से जुडी करीब 17 इंडस्ट्रीज का हो रहा संचालन
यह है समस्याएं
उद्योगों के लिए आवंटित प्लॉटों मं जलभराव
औद्योगिक क्षेत्रों के लिए कच्ची सड़कें
जल निकासी के लिए अधूरी सीवर लाइन
क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट का अभाव
पुलिस चौकी की सुविधा नहीं
मेन लिंक रोड पर नगर निगम का कूड़ा निस्तारण प्लांट
लोहियानगर में बेसिक सुविधाओं का अभाव है जिसके कारण यहां 15 साल बाद भी उद्योगपति आने से कतरा रहे हैं। पुलिस सुरक्षा की मांग लगातार की जा रही है लेकिन एक चौकी तक नहीं बन पा रही है। सीवर लाइन, स्ट्रीट लाइट आज तक अधूरी है। लिंक रोड को छोड़ दें तो अंदर की सड़कें आज तक कच्ची हैं।
शरीफ अहमद, उपाध्यक्ष, कैंची कलस्टर एसोसिएशन
इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा समस्या पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की है। यहां अपराध बहुत अधिक होते हंै। उद्योग विकसित करने के लिए सबसे पहले उद्योगपतियों को सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए, यहां एक पुलिस चौकी तक नहीं है। रोड कनेक्टिविटी तक का अभाव है।
जाहिद सैफी, करोबारी
बुनकर कारोबारियों को जो प्लॉट आवंटित किए गए, उनमें दो दो फुट गहरे गड्ढे बने हुए हैं। बरसात का पानी पूरे साल भरा रहता है। प्लॉट से मेन रोड तक सड़कें कच्ची हैं। एक लाइट तक नहीं लगी हुई है। रात को जंगल जैसा माहौल हो जाता है।
हाजी फरमान, कारोबारी
इंडस्ट्रीयल एरिया का नाम तो दे दिया लेकिन सुविधाएं आज तक नहीं दी गई है। उद्योग लगाने के लिए पहले यहां मूलभूत सुविधाएं तो विकसित की जानी चाहिए। सड़क, सीवर लाइन, स्ट्रीट लाइट, जलभराव से निपटने के इंतजाम कुछ भी नही है।
शमी सैफी, कारोबारी