मेरठ (ब्यूरो)। हाउस टैक्स के नाम पर सालों से खाली चल रही नगर निगम की जेब जीआई सर्वे की मदद से भरेगी। जीआईएस सर्वे में नगर निगम के दायरे में आने वाली कई ऐसी संपत्तियों की पहचान हो रही है जो अभी तक हाउस टैक्स के दायरे में थी ही नहीं यानि निगम की सीमा में आने के बाद भी निगम उनसे हाउस टैक्स की वसूली नहीं कर पा रहा था। अब जीआईएस सर्वे में ऐसे भवनों की पहचान होने के बाद निगम के खाते में हर साल मात्र 70 प्रतिशत से अधिक टैक्स आ सकेगा।
55 वार्ड में
गौरतलब है कि पिछले कई सालों से नगर निगम शहर के 2.44 लाख भवनों से करीब 40 करोड़ रुपये वसूल रहा है। जबकि पिछले दो साल से जारी जीआईएस (जियोग्राफिक इंफॉरर्मेशन सिस्टम) सर्वे में सिर्फ 35 वार्डों में ही 2,48,995 घरों की पहचान हो चुकी है। जबकि अभी करीब 55 वार्ड बचे हुए हैं। संभावना है कि इन 55 वार्ड के सर्वे के बाद करीब पांच लाख नई संपत्ति सामने आ सकती हैं। जिनसे हाउस टैक्स नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में यह बड़ा सवाल यह है कि अब तक इन भवनों से टैक्स वसूली क्यों नहीं की जा रही थी।
हो रही कमर्शियल एक्टिविटी
दरअसल, नगर निगम के रिकॉर्ड में सिर्फ 29 हजार भवन ही कमर्शियल हैं। जबकि शहर के कई आवासीय इलाके बाजारों में तब्दील होते जा रहे हैं। महानगर के आवासीय इलाकों में तेजी से दुकानें, अस्पताल, मंडप आदि संचालित हो रहे हैं। शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट, जागृति विहार, गंगानगर, पल्लवपुरम, कंकरखेड़ा, सोतीगंज, शारदा रोड, बागपत रोड, किला रोड समेत अधिकतर इलाकों में तेजी से दुकानें आदि बनकर तैयार हुई हैं। निगम एक्ट के मुताबिक आवासीय और कमर्शियल भवनों के हाउस टैक्स में कई गुना का अंतर होता है। इसलिए भवन स्वामी चोरी-छिपे आवासीय में ही कमर्शियल एक्टिविटी कर रहे हैं। ऐसे ही शास्त्रीनगर, माधवपुरम, शारदा रोड, ब्रह्मïपुरी, सोतीगंज का भी बड़ा आवासीय हिस्सा कमर्शियल में बदल चुका है, लेकिन यहां नगर निगम ने वसूली की दरें नहीं बदली हैं।
यूनिक आइडी नंबर एलॉट
जीआईएस सर्वे पूरा होने के बाद इस सर्वे की भी दोबारा भी जांच होगी। उसके बाद मकान के भवन स्वामी को एक यूनिक आईडी जारी की जाएगी। यह यूनिक आईडी हर घर के बाहर नंबर प्लेट के रूप में चस्पा होगी। यूनिक आईडी नंबर से भवन स्वामी मोबाइल के जरिए घर बैठे हाउस टैक्स की जानकारी कर सकेंगे। सभी प्रकार की जानकारियां ऑनलाइन होंगी। हाउस टैक्स ऑनलाइन जमा किया जा सकेगा। जीआईएस सर्वे से नगर निगम के छूटे हुए सभी आवासीय और कमर्शियल भवन अब हाउस टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। इससे नगर निगम की आय बढ़ेगी।
ये है जीआईएस
जीआईएस (जियोग्राफिक इंफॉरर्मेशन सिस्टम) एक भू-विज्ञान सूचना प्रणाली है। यह संरचनात्मक डाटा बेस पर आधारित है। यह भौगोलिक सूचनाओं के आधार पर जानकारी प्रदान करती है। संरचनात्मक डाटाबेस तैयार करने के लिए वीडियो, भौगोलिक फोटोग्राफ और जानकारियों आधार का कार्य करती हैं। इसके बाद टैक्स की दरों में संशोधन किया जाता है। इसमें आरसीसी, आरबीसी, पत्थर की छत, सीमेंट या चादर व खुली भूमि सभी जोन की दरें अलग-अलग निर्धारित की गई हैं।
जीआईएस सर्वे कोरोना के कारण अधर में अटक गया था। जिसे अब तेजी से पूरा कराया जा रहा है। जितने भवनों की पहचान हो रही है उनको नोटिस भेजकर कर वसूली की जाएगी।
मनीष बंसल, नगरायुक्त