मेरठ (ब्यूरो)। मौसम में सर्दी का अहसास होने लगा है। इसके बाद भी मच्छरों से निजात नहीं मिल रही है। हालांकि, कम तापमान में मच्छर नहीं पनपते हैं लेकिन घरों के अंदर का तापमान थोड़ा अधिक होने की वजह से अभी भी डेंगू और मलेरिया के मच्छरों का आतंक बढ़ रहा है। अभी भी शहर के अस्पतालों में 150 से अधिक डेंगू के मरीजों का इलाज हो रहा है।
अनदेखी पड़ रही भारी
गौरतलब है कि मौसम बदलने के बाद भी अचानक मच्छर जनित रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज सहित विभिन्न निजी जांच लैब में ब्लड सैंपल की जांच में डेंगू और मलेरिया के मरीज अब भी मिल रहे हैं। हालांकि इस बार डेंगू का असर पिछले साल की तुलना में इस बार कुछ कम है। पिछले साल डेंगू का ज्यादा प्रकोप था क्योंकि 2023 में दिसंबर तक एक हजार से अधिक मरीज मिले थे जबकि इस बार अब तक 153 मरीज मिले हैं। लेकिन इस साल भी अधिकतर मरीज जनपद में बने डेंगू के हॉट स्पॉट से ही आ रहे हैं।
यहां लार्वा मिलने की आशंका
जल भंडारण और जल जमाव के कारण बनता है लार्वा।
जहां पाइप्ड वाटर सप्लाई के दौरान लीकेज के कारण पानी फैला या जलजमाव हुआ, वहां भी लार्वा मिला।
शहर में जगह-जगह डेंगू ब्रीडिंग ग्राउंड बने हैं।
घरों के भीतर और खिड़कियों से सटाकर रखे गए कूलर और फ्रि ज के पीछे की ओर लगी पानी की ट्रे की जांच की गई।
इन स्थानों पर डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज एजिप्टी मच्छरों का कुनबा पलता मिला।
सतत कम्यूनिटी क्लीनिंग डेंगू में कारगर
मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। जिसे देखते हुए डेंगू से बचाव के प्रति कम्यूनिटी अवेयरनेस बढाने और लोगों में साफ़ सफाई के महत्व के बारे में जागरुकता जरुरी है। स्वच्छता का ध्यान रखकर और कुछ सावधानियां बरतकर डेंगू के प्रकोप से बचा जा सकता है। क्योंकि डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर सामान्यता दिन में काटता है और यह स्थिर पानी में पनपता है। ऐसे में जरुरी है कि अपने घर के आसपास साफ या गंदा पानी एकत्र ही ना होने दें और अपने आसपास लोगों को इसके प्रति जागरुक करें।
ये दिखते हैं लक्षण
इससे अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगती है।
जबकि चिकनगुनिया का असर शरीर में 3 माह तक होता है।
गंभीर स्थिति में यह 6 माह तक रह सकता है।
डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण करीब एक जैसे ही होते हैं।
इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है।
जलभराव से निजात के लिए 40 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की मशीनरी।
शहर में छोटे-बड़े नालों की संख्या 309.
इनके अलावा ओडियन नाला, सूरजकुंड, कसेरूखेड़ा, आबू नाला, थापरनगर, काजीपुर गुर्जर चौक, शताब्दीनगर, रुड़की रोड सहित 14 बड़े नाले।
छिड़काव तक सीमित प्रयास
मेरठ में लार्वा साइड से डेंगू के लार्वा को नष्ट करने का प्रयास स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के स्तर पर जारी है। लार्वा साइड्स एक प्रकार का कीटनाशक है जिसका उपयोग घर के अंदर और बाहर मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। आमजन और पेशेवर लोग मच्छरों के लार्वा और प्यूपा को वयस्क मच्छर बनने से पहले ही मारने के लिए लार्वा साइड का उपयोग कर सकते हैं। क्योंकि लार्वा साइड्स लोगों, पालतू जानवरों या पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
अवेयरनेस है जरुरी
डेंगू से बचाव के लिए स्कूल कॉलेज और सोसाइटी में अवेयरनेस जरुरी है। तीन माह पहले संचारी रोग अभियान के तहत जागरुकता के बाद विभाग इसके प्रति लापरवाह हो गए हैं। जबकि इसके लिए नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, जिला मलेरिया विभाग के स्तर पर लगातार स्कूल कालेज में अवेयरनेस कार्यक्रम चलाया जाना जरुरी है।
वाटर लॉगिंग से खतरा
बरसात के बाद हर साल डेंगू का खतरा बढऩा शुरु हो जाता है। इसका कारण है बरसात के बाद जगह जगह जलभराव होता है। हालांकि, अब सर्दियों के सीजन में जलभराव की समस्या काफी हद तक कम हो गई लेकिन शहर के कई इलाके जलभराव से जूझ रहे हैं। ऐसे में निगम ने इस बार शहर की तीन दर्जन से अधिक कालोनियों का चयन किया था जहां स्थिति गंभीर है।
ये क्षेत्र जलभराव संभावित
दिल्ली चुंगी, अहमदनगर, खैरनगर, भगवतपुरा, मकबरा डिग्गी, नगर निगम परिसर, जैदी सोसाइटी, लेडीज पार्क, नौचंदी मैदान, वैशाली कॉलोनी, ब्रहमपुरी, सुभाषनगर, मोहनपुरी, जेल चुंगी, प्रवेश विहार, पोदीवाड़ा, दिल्ली रोड डिपो, सराय लालदास, हरीनगर, खत्ता रोड, माधवपुरम, स्पोर्ट्स कांपलेक्स, रुड़की रोड, भोला रोड, बच्चा पार्क, भैसाली बस अड्डा, सोतीगंज, डिफेंस कॉलोनी, बेगमबाग, गंगानगर, अब्दुल्लापुर, मलियाना मेट्रो मॉल, पल्लवपुरम फेज-1, समर गार्डन, मजीद नगर, लाला का बाजार।
डेंगू के मच्छरों का दायरा साल दर साल बढ रहा है। इस बार अधिकांश तहसील और ब्लॉकों तक डेंगू पहुंच रहा है। जरुरी है कि लार्वा को पनपने से रोकें। इसके लिए घर के अंदर या आसपास हीं पानी एकत्र ना होने दें।
डॉ। सत्य प्रकाश, जिला मलेरिया अधिकारी