लापरवाही से ट्रैक हो रहा लाल

यहां रेलवे ट्रैक पर खून बहता है। इस खूनी ट्रैक ने पिछले चार सालों में 244 लोगों के खून से अपनी प्यास बुझाई है। जबकि 15 लोग तो इस साल की शुरुआत में ही अपनी जान गवां चुके हैं। रेलवे के दावे और जागरुकता अभियान धरे के धरे रह जाते हैं जब यह ट्रैक खून से लाल हो जाता है। चलिए आपको भी ले चलते हैं इस खूनी ट्रैक पर

- पब्लिक फुट ओवरब्रिज का नहीं करती इस्तेमाल

- जान पर खेलकर सीधे ट्रैक पार करते हैं यात्री

- जीआरपी पुलिस भी नहीं करती है कोई कार्रवाई

- पुलिस कर्मचारी भी नहीं करते हैं नियमों का पालन

Meerut : क्क् फरवरी ख्0क्ब् को को कैंट रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पार कर रहे एक युवक की मौत हो गई थी। युवक की पहचान नहीं हो सकी थी। ख्0 जनवरी ख्0क्ब् को सिटी रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पार कर रहे लुधियाना निवासी हरी राम मौर्य (भ्0) को सुपर एक्सप्रेस ने कुचल दिया। ये दो केस महज एग्जाम्पल हैं। यात्री फुट ओवर ब्रिज का सहारा न लेकर सीधे रेलवे ट्रैक से होते हुए प्लेटफार्म पर पहुंचते है। नतीजा यात्रियों की मौत। हादसों की संख्या बढ़ने के बावजूद जीआरपी पुलिस ने इसके खिलाफ कोई अभियान नहीं छेड़ा है। अगर कोई हादसा हो जाता है तो उसे जीडी में दर्ज कर हाथ झाड़ लेते हैं।

चार साल में ख्ब्ब् मौत

रेलवे स्टेशन पर लापरवाही से काफी संख्या में यात्री अपनी जान गंवा रहे हैं। पिछले चार सालों की बात करें तो ख्ब्ब् यात्री ट्रेन से कुचलकर अपनी जान गंवा चुके है। मेरठ कैंट और सिटी स्टेशन पर ख्0क्0 में 70 यात्रियों की ट्रेन से कुचलकर मौत हो चुकी है जबकि ख्0क्क् में म्ब् यात्री अपनी जान गंवा चुके है। ख्0क्ख् में भ्8 और ख्0क्फ् में भ्ख् यात्रियों को ट्रेन ने कुचदिया है।

साढ़े तीन महीने में क्भ् कुचले

सन् ख्0क्ब् में भी ट्रेन से यात्रियों का कुचलना शुरू हो चुका है। साढ़े तीन महीने में अभी तक जीआरपी के रिकार्ड में क्भ् मौत दर्ज ट्रेन से कुचलकर दर्ज हो चुकी है। हादसे होने के बावजूद यात्री अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं, जिसका परिणाम मौत के रूप में सबके सामने अरहा है।

पुलिस भी करती है अनदेखी

यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले जीआरपी के जवान भी बेखौफ ट्रैक को पार करते हैं। उनको भी ट्रैक पर चलने से कोई परहेज नहीं है। जब उन्हें एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाना होता है, तो वे फुट ओवर ब्रिज से नहीं बल्कि ट्रैक से होकर चले जाते हैं, सवाल यह है जब जीआरपी ही नियमों का पालन नहीं करेगी तो बाकी लोगों पर कार्रवाई कौन करेगा?

आखिर सुनता कौन है?

यात्रियों की जागरुकता के लिए रेलवे भी जागरुकता अभियान चलाता रहता है, लेकिन रेलवे की सुनता कौन है? रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की जागरुकता के लिए एनाउंसमेंट होता रहता है कि प्लेटफार्म पर पहुंचने के लिए फुट ओवर ब्रिज से जाएं, रेलवे ट्रैक से न जाएं, लेकिन बावजूद इसके यात्री अपनी चलाते हैं। इतना ही नहीं रेलवे ने एसएमएस सेवा भी शुरू की थी, जिसमें उपभोक्ताओं के पास एक एसएमएस आता था कि फाटक और ट्रैक पार करते हुए लापरवाही न बरते। फाटक पार करते वक्त पहले दोनो ओर देखें इसके बाद ही पार करें। वहीं रेलवे ट्रैक सीधा पार करने से एसएमएस के माध्यम से मना भी किया था। इस सुविधा के बावजूद भी यात्रियों में कोई जागरुकता नहींाई है।

पुलिस नहीं करती कार्रवाई

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जीआरपी के जवानों की होती है, लेकिन बावजूद इसके जीआरपी के जवान भी कोई अभियान यात्रियों के खिलाफ नहीं चलाती। यदि जीआरपी सतर्क होगी न केवल कइयों की जान बचेगी, बल्कि ट्रेन की पटरी भी लाल नहीं हो सकेगी। जीआरपी की सुस्ती यात्रियों के ऊपर भारी पड रही है।

रेलवे ट्रैक पार करना गलत है, कई बार हादसे होते रहते हैं। रेलवे के साथ जीआरपी भी मिलकर जागरुकता अभियान चलाती रहती है। पिछले सालों के मुकाबले अब हादसों में कमी देखने को मिल रही है।

-कृष्ण कुमार शर्मा

एसआई, जीआरपी