मेरठ (ब्यूरो)। खो-खो एक भारतीय खेल है। इस खेल में मैदानों के दोनो ओर खंभो के अलावा किसी अतिरिक्त साधन की आवश्यकता नहीं होती है। यह ऐसा खेल है जो युवाओं में स्वस्थ एवं संघर्षशीलता को भरता है। यह खेल युवाओं में अत्यधिक तंदुरस्ती कौशल, गति और ऊर्जा का संचार करता है। यह बात चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के खेल मैदान पर अंतर विश्वविद्यालय खो-खो प्रतियोगिता के शुभारंभ के अवसर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। संगीता शुक्ला ने कही।
कुलपति ने किया ध्वजारोहण
विश्वविद्यालय में खो-खो के शुभारंभ के अवसर पर कुलपति प्रो। संगीता शुक्ला ने अंतर विश्वविद्यालय व चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का ध्वजारोहण किया। इसके अलावा कुलपति के सामने देश भर से आई 16 विश्वविद्यालयों की टीम ने फ्लैग मार्च किया। इसके पश्चात कुलपति प्रो। संगीता शुक्ला से टॉस करके खो-खो प्रतियोगिता का शुभारंभ किया।
ट्रॉफी व मेडल्स का अनावरण
इससे पूर्व कुलपति ने खो-खो प्रतियोगिता के विजेताओं व प्रतिभागियों को दी जाने वाली ट्रॉफी व गोल्ड, सिलवर व ब्रांज मेडल का भी शुभारंभ किया।
यह 16 टीम ले रही हैं भाग
खो-खो अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में 16 टीम भाग ले रही हैं 16 टीमों के चार ग्रुप बनाए गए हैं। खेल विभाग के प्रभारी व कुलानुशासक प्रो। बीरपाल सिंह ने खिलाडियों से परिचय प्राप्त किया।
हार-जीत का महत्व नहीं
उन्होंने कहा कि खेल में हार जीत महत्व नहीं रखती है बल्कि खेल में भाग लेना बडी बात है। खो-खो खेल एकजुटता सिखाता है एक दूसरे का सहयोग कर अपनी टीम को विजय बनाना सिखाता है। इस अवसर पर डॉ। गुलाब सिंह रूहल, डॉ। ओमपाल सिंह, इंजीनियर मनीष मिश्रा, प्रेस समिति के सदस्य इंजीनियर प्रवीण पंवार, मितेंद्र कुमार गुप्ता आदि मौजूद रहे।