मेरठ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में भले ही मेरठ कैंट बोर्ड ने दूसरी रैंक पा ली हो, लेकिन कैंट में सौंदर्यीकरण के नाम पर कुछ भी नहीं है। कैंट बोर्ड की तस्वीरें बता रही हैं कि वहां पर कितना मेंटीनेंस किया जा रहा है। हालांकि कैंट बोर्ड की मानें तो सौंदर्यीकरण न होने के पीछे टोल नाकों का बंद होना और कोरोना काल में टैक्स कलेक्शन कम होना बड़ा कारण है। टैक्स कलेक्शन की कमी के चलते कैंट बोर्ड का पर्स खाली हो चुका है। जिसकी वजह से कैंट का सौंदर्यीकरण नहीं हो पा रहा है।
फव्वारे-चौक और गमले खराब
मेरठ कैंट की बात करें तो यहां आबूलेन, सोफिया चौक, बेगमपुल पर बना फव्वारा और शिव चौक के पास का डिवाइडर आदि भी टूट चुका है। आबूलेन व सदर बाजार सहित विभिन्न इलाकों में कैंट द्वारा 10 लाख पौधे लगाए जाने थे। इनमें से 10 हजार पौधे ही लग सके हैं, लेकिन उनका भी रखरखाव नहीं हो पा रहा है। इन पौधों को वन विभाग की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत कैंट को दिया गया था।
सड़कें उखड़ी व कूड़ेदान टूटे
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटीचेक के दौरान कैमरे में कैद हुईं तस्वीरें बता रही हैं कि इन दिनों कैंट के क्या हालात हैं। कैंट के हनुमान चौक व सेंट जोंस स्कूल के पास सड़कें उखड़ी पड़ी हैं। वहीं, जगह-जगह कूड़ेदान भी टूटे हुए हैं। दास मोटर के पीछे लगा कूड़ेदान और सदर बोम्बे बाजार के पास का कूड़ेदान इस बात का सबूत दे रहे हैं कि कैंट को सौंदर्यीकरण की जरूरत है।
बजट बना समस्या
कैंट सीईओ नवेंद्र नाथ के अनुसार कैंट में सौदर्यीकरण के लिए कोई स्पेशल बजट नहीं आता है। हाउस, कूड़ा, पानी आदि के टैक्स ही सौंदर्यीकरण के लिए बजट निकालना पड़ता है। सबसे बड़ा रैवेन्यू टोल टैक्स से आता था जो अब रक्षा मंत्रालय के आदेश के बाद टोल नाके बंद होने से बंद हो चुका है। वहीं कोरोना काल में हाउस टैक्स, कूड़ा बिल आदि के बकायेदारों ने भी पैसा नहीं दिया है। जबकि कैंट द्वारा उनको छूट देने का भी वादा किया गया है। ऐसे में सौंदर्यीकरण के लिए कहां से खर्च किया जाए ये बड़ी समस्या बना हुआ है। हालांकि लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह अपने बकाये का भुगतान करें। जिससे कि कैंट के हालात सुधारे जा सकें।
ये है उधारी
04 करोड़ रुपये बकायेदार टैक्स
03 करोड़ रुपये कूड़े के बिल के बकायेदार
01 करोड़ रुपये छोटे बकायेदार
ये हुआ बड़ा नुकसान
कैंट के पास रैवेन्यू का सबसे बड़ा जरिया टोल टैक्स था। यहां नौ प्वाइंट हैं जहां से करीब 3 लाख चार हजार रुपये रोजाना बोर्ड को इनकम होती थी, लेकिन अब रक्षा मंत्रालय द्वारा 62 छावनियों में इसको बंद कर दिया गया है। इसके चलते बड़ा नुकसान हुआ है। कैंट पर आर्थिक संकट आ गया है।
कोट्स
कैंट बोर्ड ने टैक्स वसूलने पर ही हमेशा जोर दिया है, लेकिन सौंदर्यीकरण के नाम पर यहां कुछ नहीं है। सबकुछ खराब पड़ा है।
अमित बंसल, महामंत्री सदर व्यापार संगठन
कूड़ेदान रखने की सुविधाएं काफी जगह नहीं हैं। पौधे भी टूटे पड़े हैं। फव्वारे चौक तक खराब हैं। इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अमरदीप वाधवा, संगठन मंत्री सदर व्यापार संगठन
कैंट द्वारा बार बार स्वच्छता व सौंदर्यीकरण का दावा किया जाता है। हकीकत तो यह है कि कैंट में सुविधाएं ही नहीं हैं। यहां बहुत अव्यवस्था है।
ब्रजमोहन अग्रवाल, मंत्री सदर व्यापार मंडल
हमें यहां बहुत सारी परेशानियां हैं। यहां गंदगी इतनी है जिससे बीमारियां भी हो सकती हैं। सौंदर्यीकरण का दावा करने वाला कैंट कुछ भी संरक्षित नहीं रख पा रहा है।
राजीव बंसल, व्यापारी नेता
वर्जन
चुनौतीपूर्ण स्थितियां कोरोनाकाल के बाद से बढऩे लगी हैं। फाइनेनशियल संसाधनों की कमी से जूझने के बाद भी कैंट को दूसरा स्थान मिला है। लगातार तीसरी बार मेरठ कैंट टॉप थ्री के बीच आया है। स्वच्छता एक सतत प्रक्रिया है। इसमें जनता का सहयोग जरूरी है। हम इस दिशा में आगे भी प्रयास कर रहे हैं। यदि जनता अपनी जिम्मेदारियां ठीक से निभाए और समय पर टैक्स दे तो कैंट की सूरत बदल सकती है।
नवेंद्र नाथ, सीईओ, कैंट बोर्ड मेरठ