मेरठ (ब्यूरो)। देश में स्पोट्र्स को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने खेलो इंडिया योजना शुरू की है। मकसद है कि नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें। शहर के कैलाश प्रकाश स्टेडियम से शूटिंग, रेस वॉक, रेसलिंग, एथलेटिक्स आदि खेलों में इंटरनेशनल स्तर से खिलाड़ी निकले हैं। अब यहां पर स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी भी बनने वाली है। बावजूद इसके, स्टेडियम में 8 स्पोट्र्स ऐसे हैं जिनके कोच तक नहीं हैं। लिहाजा खिलाड़ी एकलव्य की तरह ही प्रैक्टिस कर रहे हैं। ऐसे में खिलाडिय़ों ने सोशल मीडिया के जरिए आवाज उठाई है। उन्होंने ट्विटर पर सीएम योगी आदित्यनाथ को टैग करते हुए समस्या बताई है।

बिना कोच के ही तैयारी
करीब 8 स्पोट्र्स के कोच न होने से खिलाड़ी बिना कोच के ही सीखने को मजबूर हैं। कई साल से कैलाश प्रकाश स्टेडियम में खिलाड़ी कोच की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। स्टेडियम में कुल 15 स्पोट्र्स में खिलाड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं। इनमें सिर्फ सात खेलों के ही कोच हैं। वहीं, आर्चरी, कबड्डी, बास्केटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस समेत 8 स्पोट्र्स में अभी तक कोच की तैनाती नहीं हुई है।

सोशल मीडिया से उठाई समस्या
कैलाश प्रकाश स्टेडियम में कोच नहीं हैं, लिहाजा प्लेयर्स को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कई साल से इनकी नियुक्ति की मांग उठाई जा रही है। अब सोशल मीडिया के जरिए भी प्लेयर्स ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। बीते दिनों इस संबंध में प्लेयर्स ने ट्विटर पर सीएम योगी आदित्यनाथ और खेल मंत्री को टैग करते हुए समस्या बताई थी।

कोच न होने से दिक्कत
गौरतलब है कि स्टेडियम में बैडमिंटन, जूडो, वुशू और क्रिकेट के कोच स्टेडियम में नहीं हैं। हालांकि, तैराकी के लिए भी परमानेंट लाइफगार्ड है, लेकिन स्वीमिंग की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। स्वीमिंग पूल में वही अभ्यास करते हैं जो तैराक हैं। इनके अलावा बैडमिंटन, भारोत्तोलन, कबड्डी, वॉलीबाल के भी कोच नहीं हैं। ट्रेनिंग की आस में बच्चे स्टेडियम में तो आते हैं।रजिस्ट्रेशन भी कराते हैं। बावजूद इसके उन्हें प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है।कैलाश प्रकाश स्टेडियम में हॉकी के लिए एस्टोटर्फ मैदान तो तैयार है।लेकिन हॉकी के लिए परमानेंट कोच की नियुक्ति नहीं है।

जल्द होगी कोच की नियुक्ति
इस मामले में कैलाश प्रकाश स्टेडियम के आरएसओ वाईपी सिंह ने कहा कि कोच की जल्द ही नियुक्तियां होंगी।इस संबंध में शासन से डिमांड की है।सिंथेटिक एस्टोटर्फ के लिए प्रपोजल तैयार किया गया है। शासन के निर्देशों के बाद आगे का कार्य होगा।

सीनियर खिलाड़ी ही दे रहे प्रशिक्षण
तीरंदाजी और कबड्डी की बात की जाए तो सीनियर खिलाड़ी ही जूनियर खिलाडिय़ों को प्रैक्टिस कराते हैं।कई बार खिलाडिय़ों को सीखने में परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। क्योंकि तीरंदाजी कर रहे खिलाडिय़ों के अनुसार तो टारगेट से लेकर अन्य प्रकार की सभी व्यवस्थाएं भी उन्हें खुद करनी पड़ती हैं। यहां तीरंदाजी, कबड्डी, बास्केटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस सहित अन्य आठ खेलों में कोच उपलब्ध नहीं हैं, जिसके चलते यहां दो से लेकर पांच तक ही खिलाडिय़ों की भी संख्या है। खिलाड़ी भी रूचि नहीं ले रहे हैं, उनकी संख्या इन खेलों में कम है।

इन खेलों के कोच नहीं
तीरंदाजी, कबड्डी, बास्केटबॉल, क्रिकेट,बैडमिंटन, टेनिस, वुशू, जूडो