केस-1
18 साल की महिमा अपने ब्वायफ्रेंड के साथ रिलेशन में थी। प्रेग्नेंट हुई तो बदनामी के डर से घबराकर बिना परामर्श ही मेडिकल स्टोर से लेकर गर्भपात की दवा खा ली। दो दिन बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टर के पास पहुंची तो पता चला की यूट्रस में इंफेक्शन हो गया है। काफी इलाज के बाद वह ठीक हुई।

केस-2
गंगानगर की 21 साल की रिंकी शादी से पहले की गर्भवती हो गई। ब्वॉयफ्रेंड ने पास के ही मेडिकल स्टोर से दवा लाकर दी। जिससे गर्भपात सही प्रकार नहीं हो पाया और इंफेक्शन हो गया। डॉक्टर को उसकी बच्चेदानी निकालनी पड़ी।

केस-3
15 साल की मोनिका को कई दिनों से पेट दर्द की शिकायत थी। परिजन उसे डॉक्टर के पास ले गए। यहां जांच में पता चला कि उसने तकरीबन पांच महीने पहले अपनी प्रेग्नेंसी दवा से खत्म की थी लेकिन ओवरी में क्लॉट रह गए थे, जिसकी वजह से उसकी ओवरी में इंफेक्शन हो गया था।

मेरठ (ब्यूरो)। महिमा, रिंकी और मोनिका ही नहीं डॉक्टर्स के पास गर्भपात के 20 फीसदी केस ऐसी ही अनमैरिड लड़कियों के ही आ रहे हैैंं। डॉक्टर्स का कहना है कि लड़कियां पहले खुद से ही गर्भपात की दवा खा लेती हैं। मामला बिगड़ता है, तब अस्पताल या क्लीनिक पहुंचती हैं। जिससे न केवल उनकी जान पर खतरा बन जाता है बल्कि भविष्य में कई गंभीर बीमारियां होने का भी डर भी बन जाता है।

गंभीर समस्याएं आ रही सामने
शादी से पहले असुरक्षित तरीके से प्रेग्नेंसी खत्म करने के चक्कर में कई बड़ी समस्याएं लड़कियों को झेलनी पड़ रही हैं। डॉक्टर्स बताते हैं कि शुरुआती दिनों में घरेलू उपाय जैसे हल्दी का दूध या अधिक गर्म चीजों का सेवन कर लड़कियां प्रेग्नेंसी खत्म करने की कोशिश करती हैं। कुछ आई पिल या ऐसी ही अन्य दवा खा ले रही हैं। जबकि कुछ मेडिकल स्टोर से लेकर दवा खा रही है। इसकी वजह से ओवरी में सिस्ट, पीसीओडी, पीसीओएस, गर्भाशय में संक्रमण, दर्द, बुखार, पेल्विक इंफेक्शन, हाई ब्लीडिंग, एनीमिया, गर्भाशय और री-प्रोडक्टिव सिस्टम में गड़बड़ी, अधूरे गर्भपात की वजह से गर्भाशय में छेद, डिप्रेशन, चिंता प्रजनन क्षमता पर असर तक देखने को मिल रहा है।

इंफर्टिलिटी का भी डर
डॉक्टर्स बताती हैं कि किसी भी उम्र या कंडीशन में असुरक्षित गर्भपात ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। दवाओं के गलत प्रयोग या बिना परामर्श दवा खाने की वजह से रिएक्शन होने लगते हैं। इससे इंफर्टिलिटी का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। शुरुआती दो से चार महीने तक गर्भधारण का पता नहीं चलता। अधिकतर अनमैरिड लड़कियां दवाइयों का प्रयोग कर अनचाहे गर्भ को खत्म करने का प्रयास करती हैं। जब कॉम्पलीकेशन हो जाते हैं तब भी बदनामी के डर से अनुभव हीन या झोलाछाप के पास जाती हैं। जिससे उनकी स्थिति और खराब हो जाती है।

सुरक्षित टर्मिनेशन बेहद जरूरी
एक्सपर्टस के अनुसार गर्भपात के लिए सुरक्षित टर्मिनेशन होना बेहद जरूरी है। गर्भपात की वजह कुछ भी हो, दवाओं से इसे खत्म करना भविष्य में नुकसानदायक साबित हो सकता है। मॉर्डन ऐज में लिव-इन का कल्चर चल पड़ा है। ऐसे में इस तरह के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए ऐसे मामलों में भी एहतियात, सावधानी या डॉक्टर्स का कंसल्टेशन बहुत जरूरी है। कई बार ऐसे मामलों में जान भी जा सकती है।

एबॉर्शन बहुत ही सीरियस कंसर्न हैं। इसके लिए पहले कई डॉक्टर्स की राय ली जाती है। प्रेग्नेंट वूमन ही हेल्थ, उसकी ऐज, वेट आदि पैरामीटर्स चेेक किए जाते हैं। ऐसे ही दवा खाने से कई तरह के कॉम्पलीकेशन होते ही हैं। इंफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण भी ये बाद में बन जाता है। डॉक्टर्स की राय और परामर्श सबसे जरूरी है।
डॉ। मनीषा त्यागी, सीनियर गायनी

शादी से पहले लड़कियों का गर्भपात करवाना किसी अभिशाप से कम नहीं होता है। परिस्थितियां ऐसी होती है कि वह असुरक्षित तरीकों से गर्भपात करने की कोशिश करती हैं। केस बिगडऩे पर उनको कई कॉम्पलीकेशन हो जाते हैं और बाद में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
डॉ। कंचन मलिक, सीनियर गायनी

अनमैरिड लड़कियों में प्रेग्नेंसी के मामले बढ़े हैं। अनवांटेड प्रेग्नेंसी खत्म करने की वजह से उनमें डिप्रेशन, एनजाइटी समेत कई मेंटल हेल्थ इश्यूज भी आ जाते हैं। कई बार प्रेग्नेंसी का किसी को पता नहीं चलती लेकिन मन में अपराधबोध घर कर जाता है। इससे भी समस्या बढ़ जाती है।
डॉ। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट