मेरठ (ब्यूरो)। बरसात के बाद जलभराव से निजात और जल संरक्षण की एक बहुत ही कारगर और सफल व्यवस्था है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, लेकिन यह सिस्टम भी सिस्टम और खुद शहर के लोगों की लापरवाही की भेंट चढ़ रहा है। इस लापरवाही का नतीजा यह है कि जमीन के अंदर जाकर संरक्षित होने वाला बरसात का पानी भी सड़कों पर जाकर जलभराव का कारण बन रहा है। आम लोगों को छोडि़ए सरकारी विभागों में भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए इंट्रेस्टेड नजर नहीं आते हैं। इसी का नतीजा है कि खुद सरकारी विभाग तक के परिसर बरसात के बाद जलभराव से जूझते हैं।

नियम तो है, पर मानते नहीं
शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू कराने के लिए शासन ने मेरठ विकास प्राधिकरण यानि मेडा को रेग्यूलेटरी एजेंसी बनाया है। ग्रुप हाउसिंग को छोड़कर 300 वर्ग मीटर एवं अधिक के क्षेत्रफल के समस्त उपयोगों के भूखंडों में रुफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग कंम्प्लसरी है। हैरानी की बात यह है कि सरकारी विभाग खुद ही सारी प्लानिंग की धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसे में नए तो दूर शहर के पुराने भवनों में रेन वाटर सिस्टम लगाना टेढ़ी खीर बना है। हालत यह है कि जिन नई इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है वहां रखरखाव के अभाव में सिस्टम दम तोड़ रहे हैं।

नाममात्र भवनों में चालू रेन वाटर सिस्टम
गौरतलब है कि 2011 में एमडीए के बाइलाज में रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित करना अनिवार्य किया था। इसके बाद नई इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगने शुरु हो गए थे। एक अनुमान के अनुसार शहर में 500 से अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित हो चुके हैं। लेकिन आधे भवनों में भी वे संचालित नहीं हो सके हैं। हाल ही में मेडा ने 26 से 29 जुलाई तक मानचित्र स्वीकृत 729 भवनों में सत्यापन कराया था। जिनमें 220 भवनों में रेन वाटर सिस्टम पाया गया बाकि 390 में यह सिस्टम नही मिला। इसके अलावा 64 में यूनिट निर्माणाधीन मिला और 55 भवनों में हार्वेस्टिंग सिस्टम का सत्यापन नही हो सका।

सरकारी भवनों से भी गुमशुदा
बाइलाज में शामिल होने के बाद एमडीए ने अपनी अवस्थापना निधि से 11 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित कराने थे, लेकिन सरकारी कार्यालयों में यूनिट स्थापित कराए जाने का काम अभी तक जारी है। पिछले कुछ साल से टेंडर प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत पिछले साल एक यूनिट एमडीए ने जिमखाना मैदान में स्थापित कराया था। लेकिन वहां भी हर बरसात के बाद जलभराव होता है। इसके अलावा मेरठ विकास प्राधिकरण ने आवासीय योजनाओं में 16 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए थे।

इन योजनाओं में लगे सिस्टम
गंगानगर, शताब्दी नगर, रक्षा पुरम, सैनिक विहार, वेदव्यासपुरी, लोहियानगर, श्रद्धापुरी, मेजर ध्यान चंद नगर आदि में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे होने के बाद भी हर साल जलभराव होता है। क्योंकि यहां ये सिस्टम फेल हैं।

ये है स्थिति
शहर की पुरानी बिल्डिंग में नहीं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

95 फीसदी सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं

कमिश्नरी और कलक्ट्रेट जैसे दफ्तरों में प्लान पड़ा ठप

वर्षा जल संरक्षण के लिए गंभीर नहीं सरकारी अफसर

एमडीए, निगम और आवास विकास जैसे सरकारी विभागों तक सिस्टम खराब

एमडीए के योजनाओं में भी नहीं लग रहे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

इनका है कहना
रेन वाटर सिस्टम के प्रति विभागों को सख्त होना पड़ेगा। जहां सिस्टम लगे भी हुए हैं उनकी मेंटिनेंस नही होती है। ऐसे में बरसात में ये सिस्टम काम ही नही करते और जलभराव होता है।
रवि कुमार, फाउंडर, बूंद फाउंडेशन

जो रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाए गए हैं, उनके रखरखाव की व्यवस्था ही दुरुस्त हो जाए तो बरसात का पानी सड़कों पर वेस्ट ना हो उसका संरक्षण भी होगा और जलभराव भी नही होगा।
गिरीश शुक्ला, जागरूक नागरिक एसोसिएशन अध्यक्ष

रेन वाटर सिस्टम जलभराव रोकने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। कम से कम मॉल्स, कालेज परिसर, सरकारी भवनों का परिसर तो जलभराव नही होगा।
मनोज गर्ग

300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के नक्शों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम आवश्यक है। हाल ही में 290 भवनों पर एक्शन लिया गया है। लापरवाही पर लगातार कार्रवाई जारी रहेगी।
विजय कुमार सिंह, प्रभारी मुख्य नगर नियोजक, मेडा