मेरठ (ब्यूरो)। मेडिकल कॉलेज में मिल्क बैंक बनाने की योजना थी। इस योजना के तहत किसी भी कारणवश मां के दूध से वंचित बच्चों को बेस्ट मिल्क उपलब्ध करवाया जाना था। मगर दो साल बाद भी ये योजना अधर में अटकी है। दरअसल, नेशनल हेल्थ मिशन के तहत केंद्र सरकार की ओर से इसे योजना को आमलीजामा पहनाया जाना था। मगर बजट के अभाव में योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

ये है योजना
छह महीने तक शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार होता है। यदि शिशु किसी कारणवश इससे वंचित रह जाता है, तब मिल्क बैंक से उसे दूध मुहैया करवाया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज में इसके लिए बाल रोग विभाग में अलग से बैंक बनाकर दूध स्टोर किया जाना था। इसके लिए जो मां चाहें वो अपनी इच्छा से नवजात के लिए बैैंक में अपना दूध डोनेट कर सकती हैैं। ताकि दूसरे बच्चों को इसे प्रोवाइड करवाया जा सके। डोनेट किया हुआ दूध डीप फ्रीजर में स्टोर कर तीन दिन तक चल सकता है।

इसलिए पड़ रही जरूरत
एक्सपट्र्स बताते हैं कि पहले के दौर में ज्वाइंट फैमिली में शिशु के लिए दूध का संकट नहीं होता था। घर-पड़ोस में दूसरी नई मां इसकी पूर्ति कर देती थी। लेकिन अब छोटे होते परिवारों में ये स्थिति संकट बनकर उभर रही है। डिलीवरी के दौरान यदि मां की मृत्यु हो जाए या मां बच्चे को दूध पिलाने की स्थिति में न हो तब ये योजना काफी लाभदायक साबित होती है। यूपी में पहला मिल्क बैंक केजीएमयू में वर्ष 2019 में तैयार हुआ था। इस प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद ही इसे मेरठ में भी शुरू करना था।

मां का दूध है अमृत
एक्सपर्ट बताते हैं कि जन्म से छह महीने तक मां का दूध ही जरूरी होता है। इससे इम्यूनिटी बिल्ड होती है जो बच्चों को बीमारियों से बचाती है। वहीं मां की सेहत भी इससे दुरुस्त रहती है। डिलीवरी के बाद होने वाले डिप्रेशन, तनाव को कम करने में भी इससे राहत मिलती है। मां का स्पर्श बच्चों के विकास के लिए भी जरूरी होता है। बच्चा मेंटली, फिजिकली स्ट्रांग होता है।

इनका है कहना
मिल्क बैंक बनाने की योजना पाइपलाइन में है। केंद्र सरकार से इसका बजट आना है। इसके बाद ही आगे का प्रोसेस करवाया जाएगा। अलग से भवन तैयार कर एडवांस इक्यूपमेंटृस इसमें आने हैं।
डॉ। आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज

मां के दूध में संपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। यह मानव शिशु के लिए प्राकृतिक रूप से डिजाइन होता है। तभी छह महीने तक अनिवार्य रूप से ब्रेस्ट फीडिंग की सलाह दी जाती है।
डॉ। अरविंद कुमार, एचओडी मेडिसिन, मेडिकल कॉलेज

जिन बच्चों को मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है, उनका विकास भी देरी से होता है। बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार होते हैं। उनकी इम्यूनिटी वीक रहती है।
डॉ। नवरत्न गुप्ता, एचओडी बाल रोग, मेडिकल कॉलेज

मां का दूध नवजात और मां दोनों को ही कई बीमारियों से बचाता है। दोनों का बांड मजबूत होता है। ऐसे बच्चे शांत रहते हैं। उनको मां के दूध से ही भरपूर पोषण मिलता है।
डॉ। वंदना धामा, गायनी, मेडिकल कॉलेज

मां का स्पर्श नवजात में कई तरह के हार्मोनल बदलाव करता है। ऑक्सिटोक्सिन, प्रोलैक्टिन, इंसुलिन, कोर्टिसोल जैसे हार्मोन दोनों को ही पॉजिटिव एनर्जी देते हैं।
डॉ। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट