मेरठ (ब्यूरो)। असौड़ा हाउस स्थित श्री 1008 शांति दिगंबर जैन मंदिर में श्री महामंडल विधान पूजन हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री 108 ज्ञानानंद महाराज के सानिध्य में यह 48 दिवसीय कार्यक्रम हुआ। 25वें दिन सुबह शांतिधारा एवं अभिषेक हुआ। जिसमें सौधर्म इंद्र एवं कुबेर इंद्र बनने का सौभाग्य अतुल जैन-शिवांग जैन-निधि जैन परिवार को प्राप्त हुआ। महोत्सव में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुनिश्री ज्ञानानंद महाराज ने मानव जीवन का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि सृष्टि के प्रत्येक प्राणी को मानव जन्म के महत्व को समझना चाहिए, उसके मूल्यों को समझना चाहिए और कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। किंतु आज का प्राणी मानव जन्म के महत्व को न जानकर खुद के अहंकार में जी रहा है। स्वार्थ जैसे मूल्यों को धारण कर रहा है अपने मानव जन्म के महत्व को मिटा रहा है। जबकि प्राणी को यह समझना चाहिए की मानव जन्म सौभाग्यशाली लोगों को मिलता है। जिन्हें मानव जन्म मिला है, उन्हें अपने आत्म कल्याण के मार्ग पर चलने के लिए दूसरे प्राणियों के ख्याल भी रखना चाहिए।
मानव जन्म श्रेष्ठ जन्म
ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि पशु, पक्षी, प्राणी, वस्तु सभी का जन्म होता है किंतु जैनत्व में कहा गया है की आत्म कल्याण करने का मार्ग मानव जन्म में ही मिलता है। क्योंकि एक मात्र प्राणी है, जो सब मार्गों का अनुसरण कर सकता है। इसलिए मानव जन्म को श्रेष्ठ जन्म बताया गया है। जिनको मानव जन्म का सुख मिलता है वह सौभाग्यशाली होते हैं। ऐसे सौभाग्यशालियों को आपने आत्म कल्याण के लिए दूसरों का कल्याण करना चाहिए और मानव जन्म के सुख की प्राप्ति करनी चाहिए।
48 दीपकों से महाआरती
इसी के साथ शाम को मंदिर में 48 दीपकों से भक्तांबर दीप प्रज्ज्वलन महाआरती हुई। जिसका सौभाग्य श्रद्धालुओं को मिला