मेरठ (ब्यूरो)। पॉल्युशन और ग्लोबल वार्मिंग का असर अब सर्दी के पैटर्न पर पड़ रहा है। इसका असर यह है कि दिसंबर का महीना बीतने के बाद भी सर्दी ने बीते वर्षों की अपेक्षा असर नहीं दिखाया है। हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि आगामी 23 से 25 दिसंबर के बीच मेरठ और आसपास के जिलों में हल्की बूंदाबांदी के आसार है। इसके बाद कड़ाके की सर्दी पड़ेगी। वहीं, दूसरी ओर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की संख्या भी कम है। इसलिए भी सर्दी ने इस बार असर नहीं दिखाया है।
पश्चिमी विक्षोभ की संख्या कम
मौसम वैज्ञानिक डॉ। यूपी शाही ने बताया कि बीते वर्षों में नवंबर से फरवरी के बीच 4 से 6 बार वेस्टर्न डिस्र्टेंब यानि पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति बनती थी। इसका असर मौसम पर दिखता था और सर्दी बढ़ती थी। हालांकि, इस बार 3 या 4 बार ही पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति बन रही है। इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग है। इस कारण सर्दी के पैटर्न में भी बदलाव दिख रहा है। कृषि यूनिवर्सिटी के मौसम वैज्ञानिक यूपी शाही के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के कारण आने वाले दिनों में कोहरा बढऩे के आसार है। 23 दिसम्बर के बाद मेरठ के आसपास के जिलों में बूंदाबांदी के आसार हैं। इसके बाद सर्दी और बढ़ेगी।
पछुआ हवाओं से बढ़ी सर्दी
मौसम वैज्ञानिक डॉ। यूपी शाही के अनुसार पछुआ हवाओं का भी हिमालय से टकराव होने लगा है। हिमालय से टकराने की वजह से गलन बढऩे लगी है और इससे बर्फबारी और बारिश होगी।
सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ कम
सर्दी के मौसम में कोल्ड वेव या सर्द दिनों का दौर पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद तब आता है, जब पहाड़ों की सर्द हवाएं मैदानी इलाकों में पहुंचती हैं और आसमान बिल्कुल साफ हो जाता है। लेकिन, इस बार बर्फबारी भी सामान्य से कम रह सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक सक्रिय और प्रभावशाली पश्चिमी विक्षोभ की संख्या कम रहेगी।
ग्लोबल वार्मिंग का असर
मौसम वैज्ञानिक डॉ। यूपी शाही के अनुसार नवंबर से फरवरी के दौरान 4 से 6 पश्चिमी विक्षोभ प्रति माह आते हैं, जो इस बार 3 या 4 हो सकते हैं। जो अन्य सालों की तुलना में कम है, ग्लोबल वार्मिंग के चलते इनके पैटर्न में भी बदलाव आ रहा है। मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार बर्फबारी भी कम होने की आशंका जताई है। मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार बर्फबारी भी कम होने की आशंका जताई है।
पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले दिनों में सब हिमालयी पश्चिमी बंगाल, शिमला, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय में तेज बारिश के बन रहे आसार बन रहे हैं। शिमला, हिमाचल प्रदेश जैसे इलाकों में पश्चिमी विक्षोभ के चलते दो दिनों से बर्फबारी हो रही है। लिहाजा, वेस्ट यूपी, हरियाणा-चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब के ज्यादातर इलाकों में न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट हो रही है।
चल सकती है कोल्ड वेब
मौसम विभाग के अनुसार इन राज्यों में न्यूनतम तापमान 6 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकार्ड किया जा सकता है। कहीं -कहीं इससे भी कम हो सकता है। आगामी तीन दिनों में विभिन्न सब हिमालयी पश्चिमी बंगाल, शिमला, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश मेघालय, हिमाचल प्रदेश में तेज बारिश हो रही है। इससे वेस्ट यूपी के इलाकों में शीत लहर का प्रभाव दिखेगा। साथ ही कोहरा भी बढ़ेगा। बीते मंगलवार को मेरठ में अधिकतम तापमान 22 डिग्री और न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। जो सामान्य की तुलना में दो डिग्री कम है।
क्या होता है वेस्टर्न डिस्टर्बेंस
दरअसल, पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक तरह की आंधी है या हवा का कम दबाव है, जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र, यूरोप के अन्य भाग और अटलांटिक महासागर से उठता है। इसमें कम दबाव के चलते हवा में डिस्टर्बेंस या विक्षोभ होता है। इस कारण मौसम में बदलाव होता है। इसका सीधा असर बारिश और बर्फबारी पर देखा जाता है।
पश्चिमी विक्षोभ का असर
पश्चिमी विक्षोभ पश्चिम से चलता है और देश में हिमालयी क्षेत्र की तरफ से प्रवेश करता है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान से होते हुए भारत में प्रवेश करता है और इससे उठी पछिया हवा देश के पश्चिम से पूर्वी हिस्से की ओर चलती है। अपने सफर के दौरान यह हवा भूमध्य सागर, काला सागर, कैस्पियन सागर और अरब सागर से नमी सोखती है। नमी से भरी यह हवा जैसे ही हिमायल के पहाड़ों से टकराती है, अपनी नमी को बारिश और बर्फबारी के रूप में छोड़ देती है। इससे हिमालय से सटे राज्यों में बारिश और बर्फबारी होती है।