मेरठ (ब्यूरो)। पिछले साल से कोरोना के बावजूद भी स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में 21वीं रैंक हासिल करने वाला मेरठ नगर निगम साल 2022 में टॉप 10 में शामिल होने का दावा कर रहा है। लेकिन, निगम के इस दावे पर खुद निगम की कार्यप्रणाली और लापरवाही पानी फेर सकती है। हालत यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण के दावों का सत्यापन करने के लिए खुद क्यूआईसी की टीम शहर में निरीक्षण करके जा भी चुकी है। लेकिन, इसके बाद भी शहर की हालत में बदलाव केवल वीआईपी इलाकों तक सीमित है। बाकि पुराने शहर की सड़कों पर सर्वेक्षण का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।

गार्बेज फ्री सिटी के दावे खोखले
हर साल की तरह इस साल भी नगर निगम की प्राथमिकता में शहर से कूड़ा निस्तारण और गार्बेज फ्री सिटी बनाना है। इसके लिए गत सप्ताह शनिवार को क्यूआईसी यानि क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया की टीम शहर में गोपनीय निरीक्षण के लिए आई थी। टीम ने शहर की सड़कों पर सफाई और कूड़ा स्थलों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट तैयार की। सूत्रों की मानें तो टीम का मूवमेंट शहर के केवल वीआईपी इलाकों, चौराहों और सड़कों तक ही रहा। असल में शहर की गंदगी तक तो टीम पहुंच ही नहीं पाई।

ये चुनौतियां करनी होंगी दूर
-नगर निगम के पास कूड़ा निस्तारण प्लांट नहीं है। प्रतिदिन 900 मीटिक टन कूड़ा निकलता है। लोहिया नगर में कूड़ा डंप किया जा रहा है। हालत यह है कि डंपिंग ग्राउंड ओवर फ्लो हो चुका है।
-नगर निगम के पास खुद का एसटीपी नहीं है। जलनिगम का एक तथा एमडीए के 13 एसटीपी हैं। शहर का अधिकांश सीवरेज नालों के जरिए बिना ट्रीट किए नदी में बहाया जा रहा है।
-शहर के 40 फीसद हिस्से में सीवर लाइन नहीं है।
-शहर में जलनिकासी की समस्या है। 300 से अधिक छोटे-बड़े खुले नाले हैं। जिनमें कूड़ा, गोबर बहाया जा रहा है।
-गंदगी और सिल्ट से बरसात में नाले शहर को डुबा देते हैैं। नालों की बाउंड्री जगह-जगह टूटी हुई है। इससे शहर के लोगों के लिए नाले खतरा बने हैं। आए दिन नालों में गिरकर लोगों की मौत हो रही हैं।
-शहर में अतिक्रमण पर रोजाना निगम द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसके बाद भी अतिक्रमण एक प्रतिशत कम नहीं हो रहा है। अभियान के बाद जस की तस सड़कों की हालत हो जाती है।
-जाम की समस्या शहर के लिए जंजाल बनी हुई है। हालात यह हैं कि पांच मिनट का रास्ता तय करने के लिए तीस मिनट से एक घंटा तक लगता है।
-शहर में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। मंगतपुरम, गांवडी के बाद अब लोहियानगर में भी कूड़े का पहाड़ लग चुका है जो बरसात में और अधिक परेशानी का सबब बन जाता है।
- शहर की खस्ताहाल सड़कों पर लोगों के लिए वाहन लेकर चलना तक दूभर हो गया है। गड्ढों के कारण बरसात के दौरान लगातार हादसे बढ़ रहे हैं।
-शहर में पानी की निकासी नहीं है। नालों की सफाई नहीं होती है। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।

कोट्स

क्यूआईसी की टीम पॉश कॉलोनियों में निरीक्षण करके जा चुकी है। जबकि मलिन बस्तियों में गंदगी का अंबार है। ऐसे में कैसे व्यवस्था सुधरेगी।
-मुर्तजा खान

निरीक्षण करने आई टीम को कैसे पता चलेगा कि शहर में गंदगी का अंबार है। टीम ने भी निरीक्षण के नाम पर पॉश कॉलोनियों में जाकर खानापूर्ति की है।
-गौरव शर्मा

नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंक पाने के लिए सिर्फ साफ-सुधरे इलाकों में ही काम कर रहा है। निरीक्षण करने आई टीम ने भी वहीं निरीक्षण किया है। ऐसे में शहर का स्वच्छ होना नामुमकिन है।
मनोज अग्रवाल

निरीक्षण के लिए आई क्यूआईसी की टीम को मलिन बस्तियों में निरीक्षण करना चाहिए था। जिससे शहर की हकीकत का पता लगता। पॉश कॉलोनियां तो पहले से ही साफ हैं।
संजीव गुर्जर


वर्जन
टीम का सर्वे पूरी तरह गोपनीय था। लेकिन, टीम अपने निरीक्षण में संतुष्ट रही। सड़कों पर सफाई, कूड़ा विलोपित स्थल आदि का इस बार फायदा मिलेगा। दो टीमें और आनी हैं। उसके लिए नालों की सफाई का काम तेज करा दिया गया है। कूड़ा निस्तारण के लिए लोहियानगर में प्लांट चालू है। इस बार रैंक में सुधार होगा।
-डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी