मेरठ (ब्यूरो)। आप जो दूध पी रहे हैं कहीं वो नकली तो नहींउसमें कैल्शियम, प्रोटीन जैसे पोषक तत्व नहीं, बल्कि कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट, ईजी, रिफाइंड, आटा, मैदा, यूरिया, अमोनिया नाइट्रेट, फर्टिलाइजर, चीनी आदि हो सकती है। फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हो रहा है। विभाग द्वारा दूध के लिए जो सैंपल लिए गए उसमें आधे से अधिक फेल निकले हैं। इनमें कई खतरनाक पदार्थों की मिलावट पाई गई है।
बड़े पैमाने पर सैंपल फेल
फूड सेफ्टी विभाग की रिपोर्ट में हर साल दूध में बड़ी मात्रा में मिलावट पाई जा रही है। मिलावटखोर इसकी शुद्धता को भंग कर इसमें जहरीली मिलावट कर रहे हैं। विभाग की वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट के मुताबिक दूध के तकरीबन सात सौ सैंपल लिए गए थे। जिसमें 430 सैंपल में अलग-अलग तरह की मिलावट पाई गई। इसमें 80 से अधिक सैंपल मानकों के विपरीत मिले। 220 सैंपल अधोमानक मिले। 15 फेल हुए। 40 पर मुकदमा दर्ज हुआ। 57 सैंपल असुरक्षित पाए गए। विभाग द्वारा कुल डेढ़ करोड़ का जुर्माना मिलावटखोरों पर लगाया गया। वर्ष 2021-22 में भी ढाई सौ सैंपल से 130 सैंपल फेल मिले थे। 2020-21 में 68 सैंपलों में मिलावट पाई गई थी।
10 मिनट में तैयार होता है नकली दूध
दो लीटर दूध से कई लीटर दूध बनाने में मिलावट खोर 10 मिनट का समय ही लगाते हैं। इसमें जो उत्पाद मिलाएं जाते हैं वह चौंकाने वाले हैं। 400 ग्राम ईजी या इससे मिलते जुलते प्रॉडक्ट में बढिय़ा झाग उठाकर इसमें 6 से 8 लीटर पानी मिला दिया जाता है। इस मिक्चर में दो लीटर दूध, पांच लीटर रिफाइंड, जरूरत के अनुसार यूरिया और मिठास के लिए चीनी मिलाई जाती है। इसे अच्छी तरह से मिक्स करने के बाद इसमें 12 से 15 लीटर पानी और मिलाकर कई लीटर नकली दूध तैयार हो जाता है। फेस्टिव सीजन में डिमांड बढऩे पर सप्लाई बढ़ाने के लिए मिलावट खोर अधिक सक्रिय हो जाते हैं।
उत्पादन से अधिक खपत
शहर में दूध की सप्लाई और डिमांड में बड़ा अंतर है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिलेभर में पांच लाख दूध देने वाले पशु हैं। डेयरी और पैकेट आदि मिलाकर तकरीबन 22 लाख लीटर दूध सप्लाई ही है। खपत की बात करें तो कुल 45 लाख लीटर दूध की मांग हैं। ये आंकड़ा सिर्फ पीने भर वाले दूध का है। इसमें दही, पनीर, मावा आदि के लिए प्रयोग होने वाले दूध की सप्लाई अलग है।
ऐसे पहचानें मिलावट
दूध को चखें। अगर कड़वा लगे, तो मिलावट हो सकती है।
दूध को हिलाएं। ज्यादा झाग बनता है तो केमिकल हो सकता है।
दूध को चिकनी सतह पर बहाएं। अगर झाग छोड़ता है, तो मिलावट हो सकती है।
अंगूठे पर दूध की बूंदें डालें। अगर बहती नहीं हैं, तो दूध में पानी मिलाया गया हो सकता है।
टेस्ट ट्यूब में दूध, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और शक्कर मिलाएं। अगर रंग लाल हो जाए, तो वनस्पति ऑयल हो सकता है।
दूध और सल्फ्यूरिक एसिड मिलाएं। अगर वॉयलेट/ब्लू रिंग्स बनें, तो फॉर्मालिन हो सकता है।
ये है सजा का प्रावधान
जानलेवा पदार्थ मिलाने पर आजीवन कारावास।
5 लाख रुपए तक जुर्माना।
फूड सेफ्टी विभाग की वेबसाइट या ऐप पर शिकायत की जा सकती है।
इनका है कहना
मिलावट के प्रति हम लगातार अभियान चलाते रहते हैं। आमजन को भी जागरूक करते है। मिलावट पकड़े जाने पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है।
दीपक कुमार, डीओ, मेरठ
यूरिया, डिटर्जेंट खाने की वस्तुएं नहीं हैं। यदि इनका सेवन किया जाए तो इससे कैंसर तक हो सकता है।
डॉ। उमंग मित्थल, कैंसर रोग विशेषज्ञ
मिलावटी खाना शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है।बच्चों से लेकर बड़ों के लिए गंभीर बीमारियां पनपने का खतरा रहता है।
डॉ। अरविंद कुमार, सीनियर फिजिशयन, मेडिकल कॉलेज