मेरठ (ब्यूरो)। सवाल यह है कि बिना रिजल्ट के मेधावियों की सूची कैसे बनेगी। कई स्टूडेंट्स डिजर्व होने के बावजूद भी दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसे में दीक्षांत समारोह में कम संख्या में छात्र शामिल होंगे। इससे दीक्षांत समारोह की चमक फीकी पड़ेगी।

पिछले साल 206 को मिले थे मेडल
गौरतलब है कि बीते साल 33वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था। इस दौरान 206 मेधावियों को गोल्ड मेडल दिए गए थे। वहीं 42 हजार 492 यानी 33 फीसदी छात्रों और 85 हजार 496 छात्राओं यानि 66 फीसदी छात्राओं को डिग्रियां मिलीं थीं। बीते साल डिग्री पाने वाली छात्राओं की संख्या ज्यादा थी। इसके साथ ही 75.24 फीसदी छात्राओं को मेडल मिले थे।

छात्राओं ने जमाया था कब्जा
बीते साल कुल 206 मेडल बांटे गए थे। इनमें छात्राओं की संख्या 155 थी। जबकि 51 छात्रों को मेडल दिए गए। वहीं, कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने 50 छात्र-छात्राओं को प्रायोजित मेडल दिए थे। एक कुलाधिपति स्वर्ण पदक, एक पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक, दो चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार, 50 प्रायोजित स्वर्ण पदक, 155 कुलपति स्वर्ण पदक एवं 177 विशिष्ट योग्यता प्रमाण पत्र दिए गए। वहीं वर्ष 2020 के लिए एक प्रायोजित स्वर्ण पदक, छह कुलपति स्वर्ण पदक और नौ विशिष्ट प्रमाणपत्र दिया गया था।

150 में से 40 कोर्स का रिजल्ट
हालांकि, इस बार हालत कुछ अलग है। आगामी 15 दिसंबर को दीक्षांत समारोह है। अभी तक यूनिवर्सिटी ने 150 में से महज 40 कोर्स के रिजल्ट रिलीज किए हैं। बाकी 110 रिजल्ट आने बाकी है। ऐसे में अगर रिजल्ट नहीं आए तो कैसे टॉपर्स निकलेंगे और कैसे वो समय पर मेडल की सूची के लिए अप्लाई करेंगे और कैसे उनको मेडल के लिए सिलेक्ट किया जाएगा।

कोशिश में जुटा यूनिवर्सिटी प्रशासन
रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा का कहना है कि रिजल्ट को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी चिंता है, कोशिश की जा रही है जल्द से जल्द सभी रिजल्ट निकाल दिए जाए ताकि मेडल धारकों की सूची तैयार हो सकें, समारोह को सफल बनाया जा सके।