मेरठ (ब्यूरो). आम बजट को लेकर शहर के इंडस्ट्रीयलिस्ट से लेकर छोटे-बड़े उद्यमियों तक को एक बार फिर राहत की उम्मीद बंध गई है। इंडस्ट्री के विकास में सबसे बड़ी बाधा औद्योगिक जमीन की कमी तो इंडस्ट्री का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योगपतियों की सबसे प्रमुख उम्मीद है। इसके साथ ही पीएनजी पर सब्सिडी, जीएसटी के सरलीकरण से लेकर मेरठ की ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए नए एयर और रेल कनेक्टिविटी के साधनों के संबंध में घोषणा की इस आम बजट से उद्योगपतियों को काफी उम्मीदें हैं। वहीं स्पोर्ट्स हब के रूप में देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुके मेरठ के स्पोट्र्स कारोबारियों को इस बजट में कश्मीरी विलो की उपलब्धता आसान और अधिक होने की उम्मीद है। कैंची कलस्टर को जीएसटी 18 प्रतिशत के स्लैब से पांच प्रतिशत स्लैब में शामिल करने के साथ ही चाइनीज कैंची पर लगाम के संबंध में घोषणा की उम्मीदें बंधी हुई हैं। देखना यह है कि अब यह आम बजट उद्योगपतियों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है।
औद्योगिक जमीन का विस्तार
मेरठ क्षेत्र में पिछले 25 से 30 सालों से कोई भी सरकारी औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं किया जा सका है। ऐसे में इंडस्ट्रीज की सबसे बड़ी उम्मीद मेरठ में औद्योगिक क्षेत्र के विकास के संबंध में रहेगी। पुराने बजटों में औद्योगिक प्लांट बनाने को लेकर कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई गई थी। उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) की लापरवाही के कारण से तमाम कंपनियां वापस चली गईं थी।
एमएसएमई सेक्टर को उम्मीद
बजट में एमएसएमई सेक्टर के प्रोत्साहन के लिए पैकेज की इंडस्ट्रीज को इस बजट से उम्मीद है। प्रोत्साहन पैकेज के लिए हर साल बजट से उम्मीद रहती है इसलिए इस बार यह जरुरी है। इंडस्ट्रीज के विकास के लिए एमएसएमई के तहत रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पैकेज या इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की उपलब्धता होनी चाहिए। साथ ही पीएनजी पर सब्सिडी से राहत की प्रमुख उम्मीद उद्योगपतियों की इस बजट से है।
जीएसटी से बाहर हो
खेल के सामान जीएसटी में शामिल होने के बाद यह स्पोर्ट्स कारोबार लगातार प्रभावित हो रहा है। ऐसे में आम बजट में खेल कारोबारियों को वित्त मंत्री से उम्मीद है कि वे जीएसटी स्लैब में कुछ सुधार करेंगी। लकड़ी के बल्लों पर 12 प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ती है। जबकि खिलाडिय़ों की ड्रेस सहित अन्य सामान पर पांच प्रतिशत से लेकर 18 प्रतिशत तक जीएसटी लगा है। जीएसटी से पहले खेल सामान पर किसी प्रकार का कोई कर नहीं देना पड़ता था। इसलिए इस उद्योग को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए।
चाइनीज कैंची पर लगाम
मेरठ की कैंची की धार विदेशों तक चर्चित है लेकिन पिछले कुछ साल से कैंची की धार को चाइनीज कैंची नामक जंग लगने लगा है। इसके अलावा लॉकडाउन के बाद से कैंची कारोबारी बुरी तरह प्रभावित हो चुके है। ऐसे में कैंची कारोबारियों को भी इस बजट में चाइनीज कैंचियों की इंपोर्ट ड्यूटी में इजाफे से लेकर जीएसटी दरों में राहत और लोन प्रक्रिया आसान होने की उम्मीद हैं।
कारोबारियों को बजट से प्रमुख उम्मीदें
पीएनजी पर मिले सब्सिडी
उद्योगों के विकास के लिए इंफ्रस्ट्रक्चर में सुधार
एमएसएमई के लिए प्रोत्साहन पैकेज
पर्सनल इंकम टैक्स में कमी से संबंधित घोषणा
माल वाहन ट्रेनों के लिए विशेष गलियारा
जीएसटी का सरलीकरण कराया जाए
इंसेटिव और सब्सिडी का समय पर भुगतान
एयर कनेक्टिीविटी और रेल माध्यमों का विस्तार
प्रयागराज के लिए नई ट्रेन
फूड प्रोसेसिंग यूनिट मेरठ में लगाई जाए
स्पोर्ट्स गु्ड्स को एक ही टैक्स स्लैब में शामिल करें
आयकर में छूट
ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए विकल्पों का विस्तार
इंडस्ट्री लोन के लिए बैंक का रेट ऑफ इंट्रेस्ट कम हो
ई-मार्केटिंग पर नियमावली बने
ब्याज की दर को रेपो रेट से जोड़ा जाए
इनका है कहना
एमएसएमई के लिए प्रोत्साहन योजनाओं के साथ जीएसटी दरों के सरलीकरण और आयकर की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके साथ ही इंडस्ट्रीज के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट में घोषणा होनी चाहिए। आगरा की तरह इंडस्ट्रीज को पीएनजी पर सब्सिडी मिलनी चाहिए।
अनुराग अग्रवाल, डिवीजनल चेयरमेन आईआईए
इंडस्ट्रीयल प्रोडक्ट पर एचएसएन कोड खत्म किया जाना चाहिए। जीएसटी की दरों को पांच व 18 प्रतिशत की बजाए कोई बीच का प्रतिशत निर्धारित किया जाना चाहिए। वहीं बजट में बैंक के रेट ऑफ इंट्रेस्ट में कमी के संबंध में घोषणा होनी चाहिए।
सुमनेश अग्रवाल, अध्यक्ष आईआईए