मेरठ (ब्यूरो)। असौड़ा हाउस स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर में ज्ञानानंद महाराज ने कथावाचन किया। इसके पहले अभिषेक एवं शांतिधारा कराई गई। इस समें सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य पंकज जैन नीतू जैन परिवार को मिला एवं कुबेर का सौभाग्य पंकज जैन शशी जैन परिवार को प्राप्त हुआ। जिसके बाद मुनिश्री ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि भाषा से इंसान के चरित्र व व्यवहार की पहचान होती है। इसलिए हमें अपनी भाषा पर पूर्ण ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कौन व्यक्ति किस प्रकार की भाषा का प्रयोग करता है तथा व्यक्ति के मनोभाव क्या है, यह जानने का माध्यम भाषा ही बनती है। ऐसे में मनुष्य को अपनी भाषा पर कंट्रोल रखना चाहिए।उन्होंने कहा कि मनुष्य की पांच इंद्रियों में से रत्न इंद्रिय बोलने और खाने का काम करती है तथा दोनों पर नियंत्रण जरूरी है।यदि बोलने में चूक होती है तो विवाद पैदा होता है और खाने में संयम व विवेक नहीं हो तो स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।
मधुर भाषा का करें प्रयोग
मुनिश्री ने कहा कि व्यक्ति को थोड़ा धीमे, कम और मधुर भाषा का प्रयोग करना चाहिए।जहां ज्यादा शोरगुल होता है वहां के लोगों में अनुशासनहीनता, मानसिक असंतुलन एवं हृदय रोग जैसी बीमारियां पाई जा सकती है।मौन रखने वाले को ऊंचा स्थान प्राप्त होता है वहीं ज्यादा बोलने वाले को नीचा देखना पड़ता है। मुनिश्री ने कहा कि कि अच्छी सोच, अच्छा चिंतन व अच्छे विचार वाला व्यक्ति स्वयं के साथ दूसरे का भी कल्याण कर सकता है।जहां व्यक्ति में दूसरे को नीचे गिराने, ईष्र्या, द्वेष भावना की मनोवृति होती है, वहां समाज भी विकास नहीं कर सकता। ऐसे मामले में संबन्धित व्यक्ति के साथ परिवार व समाज का भी पतन होना निश्चित है। महाराज ने कहा कि ऐसे इंसान का साथ भी छोड़ देना चाहिए जो दूसरों को नीचे दिखाने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि दूसरों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए यह बहुत ही गलत है, हमेशा सभी के साथ अच्छा व्यवहार करो अच्छा बोलो।
ये रहे मौजूद
मुनिश्री ने सभी को कहा दूसरे को बोलने से पहले अपने कमियों को तलाशना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरों में कमी निकालने से बेहतर है कि हम खुद को सुधार ले। इस अवसर पर मंदिर में विनोद जैन, कपिल जैन, सुभाष जैन, अजय जैन, विपुल जैन, शोभा मंजू, नीलम आदि मौजूद रहे।