मेरठ (ब्यूरो)। न्यू एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के तहत बीए, बीकॉम, बीएससी में सेमेस्टर सिस्टम में न केवल पढ़ाई बदली बल्कि पास होने के नियम पूरी तरह बदल गए हैैं। अब इसे कॉलेजों का दोष कहें या सीसीएसयू का ढीला रवैया कि नए नियम स्टूडेंट्स को समझाए ही नहीं गए। जिसके चलते एनईपी के तहत एक साल के बाद जारी हुए फस्र्ट सेमेस्टर के रिजल्ट को लेकर स्टूडेंट्स कैंपस में लगातार नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे हैैं।
जरा समझ लें
पहले व दूसरे सेमेस्टर में कुल 46 क्रेडिट हैं। यदि स्टूडेंट पहले सेमेस्टर में पास नहीं कर पाता तो भी वह दूसरे सेमेस्टर में एडमिशन ले सकेगा।
तीसरे सेमेस्टर यानी दूसरे वर्ष में एडमिशन लेने के लिए दूसरे सेमेस्टर में 46 के आधे 23 क्रेडिट हर हाल में पास करने होंगे। तभी स्टूडेंट दूसरे साल यानि तीसरे सेमेस्टर में पहुंचेगा।
स्टूडेंट को पहले-दूसरे सेमेस्टर के बचे क्रेडिट तीसरे व चौथे सेमेस्टर में पास करने होंगे।
23 क्रेडिट पास करने के साथ-साथ मेजर एवं माइनर दोनों ही सेमेस्टर में 18-18 क्रेडिट भी पास करने जरुरी होंगे।
दूसरे व तीसरे वर्ष में स्टूडेंट को एडमिशन तभी मिलेगा, जब वह पहले वर्ष के सभी 46 सेमेस्टर को पास कर लेगा।
स्टूडेंट पहले व दूसरे दोनों सेमेस्टर में 18 क्रेडिट से अधिक के पेपर में फेल नहीं होना चाहिए।
अगर स्टूडेंट फेल होता है तो वह एक्स का फार्म भरेगा। मगर स्टूडेंट केवल जिन क्रेडिट में फेल है उन्हीं का पेपर देगा।
स्टूडेंट 18 क्रेडिट के पेपर में ही बैक या इम्प्रूवमेंट दे सकेगा।
समझे कैसे होंगे पास और फेल
1. मेजर और माइनर सब्जेक्ट में 100 नंबर में से 75 नंबर एक्स्टर्नल एग्जाम के हैं, जिसमें से पास होने के लिए 33 प्रतिशत यानि 25 नंबरों सहित 100 नंबर के पेपर में पास होने के लिए 33 अंक चाहिए। लेकिन यदि किसी स्टूडेंट ने इंटरनल एग्जाम में 25 और एक्सटर्नल में आठ नंबर पाकर 33 हासिल किए हैैं तो वह फेल है। हालांकि यदि स्टूडेंट ने एक्स्टर्नल एग्जाम में न्यूनतम 25 अंक की बजाए 33 और इंटरनल में 0 अंक पाए तो वो पास हो जाएगा। इंटरनल एग्जाम में स्टूडेंट के भले ही शून्य आए अथवा वह गैर हाजिर रहे, लेकिन एक्सटर्नल एग्जाम में 33 नंबर लाने पर ही वह पास माना जाएगा।
2. स्किल डेवलेपमेंट के 100 नंबर के पेपर में 40 नंबर थ्योरी और 60 नंबर प्रैक्टिकल के हैं। लेकिन इसमें एक्स्टर्नल अंक की बाध्यता नहीं है। दोनों को मिलाकर न्यूनतम 40 नंबर होने पर वह पास हो जाएगा। थ्योरी में नंबर कम होंगे मगर पै्रक्टिकल में 40 नंबर होने पर पास हो जाएगा। यानि को-करिकुलम सब्जेक्ट में 40 नंबर जरूरी हंै। इस पेपर की परीक्षा भी यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि कॉलेज कराएगा।
3. को-करिकुलम के पेपर क्वालिफाइंग हैं, स्टूडेंट को इन्हें पास करना जरूरी है। इसमें 75 नंबर की एक्स्टर्नल व 25 की इंटरनल परीक्षा है। मेजर माइनर में जहां एक्स्टर्नल में पास होने को 75 में से न्यूनतम 25 नंबर चाहिए, वहीं को-करिकुलम में 75 में से 40 प्रतिशत यानि 30 नंबर जरूरी हैैं। इसमें इंटरनल व एक्स्टर्नल को मिलाकर पास होने के लिए 40 नंबर अनिवार्य हैं। लेकिन इसमें से भी 30 केवल एक्स्टरनल के होने चाहिए। इंटरनल के 10 अंक पाए तो दोनों में उसके 40 अंक होंगे, वह पास माना जाएगा। लेकिन किसी स्टूडेंट के एक्स्टर्नल में 20 और इंटरनल में 25 में से पूरे 25 अंक लिए तो उसे कुल नंबर 45 मिलेंगे लेकिन वह फेल श्रेणी में आएगा। यूनिवर्सिटी में इस संबंध में शुक्रवार को एक मीटिंग भी हुई जिसमें एप लिमिट के चलते पूरे स्टूडेंट्स नहीं जुड़ पाए, यानि मीटिंग से भी स्टूडेंट्स को पूरी जानकारी नहीं मिल सकी।
केस 1
अभी सोमवार को ही यूनिवर्सिटी में यूजी के फस्र्ट इयर के फस्र्ट सेमेस्टर में बड़ी संख्या में फेल होने पर स्टूडेंट्स ने हंगामा किया था। जो एनईपी का ही कंफ्यूजन था।
केस 2
16 नवंबर को सीसीएसयू के संबद्ध कालेजों में बीएससी द्वितीय वर्ष के फेल स्टूडेंट्स ने सीसीएसयू के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया था।
नई एजुकेशन पॉलिसी के चक्कर में समझ ही नहीं आ रहा है कौन पास है और कौन फेल है।
अरुण
कॉलेज खुद भी इस पॉलिसी को ठीक से समझ नहीं पाए, ऐसे में वो स्टूडेंट्स को क्या समझाएंगे।
अश्वनी
कॉलेज के टीचर्स भी अभी इस पॉलिसी से परेशान है। इसी चक्कर में स्टूडेंट को पास और फेल का फंडा समझ नहीं आ रहा हैं।
आशु
सीसीएसयू और कॉलेज न्यू एजुकेशन पॉलिसी को स्टूडेंट्स को समझाने में पूरी तरह से फेल हो गए हैैं। जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है।
अंकित अधाना, छात्रनेता
एनईपी को लेकर स्टूडेंट्स और कुछ कॉलेज भी कंफ्यूज हैं। इसके लिए लगातार टे्रनिंग दी जा रही है, शुक्रवार को भी एक मीटिंग हुई हैं।
धीरेंद्र कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार, सीसीएसयू