-कैटल कालोनी की अवमानना पर हाईकोर्ट ने लगाई नगर निगम को फटकार
-कोर्ट ने 21 अप्रैल तक शहर से बाहर डेयरियां शिफ्ट करने के दिए निर्देश, नगरायुक्त तलब
Meerut: कैटल कालोनी के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने नगर निगम को आड़े हाथों लिया है। बुधवार को कैटल कालोनी पर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने निगम को 21 अप्रैल तक डेयरियां शहर से बाहर शिफ्ट करने के आदेश दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने की गई कार्रवाई के शपथपत्र के साथ नगर आयुक्त से जवाब भी मांगा है।
कैटल कालोनी प्रकरण
दरअसल, 24 जून 1998 को शासन ने शहर की डेयरियों को शिफ्ट कर उसके लिए कैटल कालोनी बनाने आदेश दिए थे। शासनादेश के मुताबिक नगर निगम को शहर में गंदगी का सबब बनी डेयरियों को किसी बाहय क्षेत्र में शिफ्ट करना था। लेकिन नगर निगम ने शासनादेश को ठेंगा दिखा दिया। इसको लेकर आरटीआई एक्टीविस्ट लोकेश खुराना ने इस बाबत हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। पीआईएल पर कोर्ट ने 22 सितंबर 2015 को शहर से बाहर कैटल कालोनी विकसित करने का आदेश दिए, लेकिन निगम अफसरों ने हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया। याचिका कर्ता ने बताया कि इस पर 21 जनवरी 2016 को दाखिल अवमानना याचिका पर न्यायधीश सुनीता अग्रवाल की कोर्ट ने नए आदेश जारी किए है।
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रोजाना 800 मीट्रिक टन गोबर बहता है नालियों में
शहर में इस समय 1705 डेयरियां हैं। ये तो वो डेयरियां हैं जो नगर निगम में रजिस्टर्ड हैं, जबकि शहर में 2000 से अधिक डेयरियां अवैध रूप से चल रही हैं। इन डेयरियों में 30 हजार से अधिक पशु हैं। डेयरियों से से रोजाना 800 मीट्रिक टन गोबर बाहर आता है। निकलने वाला सैकड़ों टन गोबर पानी के माध्यम से नालियों में बहा दिया जाता है। नालियों में पड़ने वाला यह गोबर सीवेज और नालियों को चोक कर देता है।
इस संबंध में अधिवक्ता से वार्ता कर जवाब तैयार कराया गया है। कोर्ट के आदेशों का सम्मान किया जाएगा। कैटल कालोनी का प्रयास जारी है।
उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त
हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब तलब किया है। इसके साथ 21 अप्रैल तक कैटल जोन बनाकर सभी डेयरियां शिफ्ट करने के आदेश दिए हैं। कृत कार्रवाई से नगर आयुक्त से जवाब भी मांगा है।
लोकेश खुराना, याचिका कर्ता