मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएसयू व उससे जुड़े स्टूडेंट्स के साथ यूनिवर्सिटी में पैसों का धोखा को किया गया है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, मुख्यमंत्री के पोर्टल पर जनसुनवाई के माध्यम से की गई शिकायत के आधार पर इसका पता लगा है। जी हां यहां चार लाख के करीब स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिनको प्रमोट किया गया, पर उनका परीक्षा शुल्क अगले फॉर्म में एडजेस्ट नहीं किया गया। इसको लेकर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की है। जिसका संज्ञान लेकर शासन ने जवाबदेही भी मांग ली है। हालांकि यूनिवर्सिटी में मामले को लेकर एक कमेटी भी गठित है, पर कमेटी द्वारा कब निर्णय लिया जाएगा। जिसका स्टूडेंट्स इंतजार कर रहे हैं।
80 करोड़ का है मामला
बता दें कि कोविड के चलते यूजी व पीजी के फस्र्ट ईयर के सभी स्टूडेंट्स को अगले ईयर में प्रमोट कर दिया गया था। लेकिन, इससे पहले ही स्टूडेंट्स परीक्षा शुल्क जमा कर चुके थे। अब स्टूडेंट्स द्वारा जो फीस जमा की गई थी उसको लेकर 25 अक्टूबर 2021 को हुई मीटिंग में तय किया गया था कि अगले ईयर की फीस में एडजेस्ट कर दिया जाएगा। लेकिन, बाद में दोबारा विचार के लिए 24 मार्च को 2022 को मीटिंग हुई। जिसमें यह कहा गया कि ऐसे रेगुलर स्टूडेंट जिन्होंने एक भी एग्जाम नहीं दिया उनका शुल्क एडजेस्ट होगा। इस तरीके से दो से तीन बार इस मामले पर मीटिंग हुई। लेकिन, अभी तक एक भी स्टूडेंट का परीक्षा शुल्क न तो वापस हुआ न ही एडजेस्ट हुआ। शिकायत करने वाले स्टूडेंट्स का कहना है कि करीब 80 करोड़ रुपए विभिन्न कोर्स में परीक्षा शुल्क के नाम पर स्टूडेंट्स के खर्च हुए हैं।
शासन ने मांगा जवाब
मीटिंग के दौरान कोई हल न निकलने पर नौ मई को यूनिवर्सिटी परिसर के स्टूडेंट लीडर अंकित अधाना के नेतृत्व में मुख्यमंत्री पोर्टल पर इस मामले की शिकायत की गई। साथ ही समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने की मांग की गई। शिकायत का संज्ञान लेकर शासन ने मामले की पूरी जानकारी देने के लिए यूनिवर्सिटी को लेटर लिखा है। साथ ही स्टूडेंट्स को जल्द समस्या का समाधान करने का भी आश्वासन दिया है। लेटर मिलने के बाद अब यूनिवर्सिटी प्रशासन इस मामले में एक बार फिर मीटिंग करने का विचार बना रहा है।
हाथ खींच रहे अधिकारी
इस मामले में यूनिवर्सिटी के आलाधिकारी एक दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। जब परीक्षा नियंत्रक से इस बारे में पूछा जाए तो उन्होंने वित्त नियंत्रक से संबंधित मामला बताकर टाल दिया। वहीं, रजिस्ट्रार ने भी मामला वित्त नियंत्रक से संबंधित बताया। जबकि वित्त नियंत्रक का कहना है कि मामले में गठित कमेटी ही निर्णय लेगी। वहीं, उच्च शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कमेटी द्वारा जल्द ही मामले में निर्णय लिया जाएगा।
क्या कहते हैं स्टूडेंट्स
यूनिवर्सिटी द्वारा परीक्षा शुल्क वापस नहीं किया गया है और न ही एडजेस्ट किया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स का पैसा लूटा है।
मुजम्मिल
यूनिवर्सिटी द्वारा स्टूडेंट्स के साथ पैसों का धोखा किया गया है। सभी का मिलाकर करीब 80 करोड़ रुपए यूनिवर्सिटी के पास है।
अंकुश
शिकायत की गई है। मुख्यमंत्री पोर्टल से मामले का जल्द समाधान किए जाने का जवाब भी आया है।
राहुल कुमार
नौ मई को मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की थी। जवाब मिला है कि शासन स्तर से यूनिवर्सिटी को लेटर भेजकर मामले में जवाब मांगा गया है।
अंकित अधाना
वर्जन
इस मामले में वित्त समिति के माध्यम से फैसला लिया जाना था। वित्त नियंत्रक के माध्यम से शासन को लेटर भेजा जाना था।
धीरेंद्र कुमार, रजिस्ट्रार, सीसीएसयू
वर्जन
इस संबंध में कमेटी द्वारा मीटिंग करके फैसला लिया जाएगा। जल्द ही इस मामले में गठित कमेटी की मीटिंग की जाएगी।
डॉ। राजीव गुप्ता, उच्च शिक्षा अधिकारी
वर्जन
कमेटी को फैक्ट्स बता दिए हैं। कमेटी ने भी अपना निर्णय कार्य परिषद समिति में रख दिया है। अब इस बारे में ईसी के स्तर से ही निर्णय लिया जाएगा।
सुशील गुप्ता, वित्त नियंत्रक, सीसीएसयू