मेरठ (ब्यूरो)। स्मार्ट मीटर, एरियल बंच कंडक्टर, प्री पेड मीटर के जमाने में भी पीवीवीएनएल का बिजली सप्लाई सिस्टम देखकर आप हैरान हो जाएंगे। शहर के कई ऐसे इलाके में जहां पर बांस बल्लियों से सहारे बिजली आपूर्ति हो रही है। घरों मेंं बल्लियों के सहारे बिजली की सप्लाई की जा रही है। जीहां, यही कहानी शहर के भोपाल विहार और शिवशक्ति पुरम की है।
आए दिन होते रहते हैं हादसे
बिजली विभाग के दावों से दूर ये वार्ड या मोहल्ले शहर से बाहर नही बल्कि शहर के अंदर ही हैं, जहां लाखों की आबादी रहती है। बावजूद इसके, यहां बिजली के खंभों तक सुविधा नही हैं। आए दिन तेज हवा बरसात में यह बल्लियां टूट कर गिरती रहती हैं और हादसे होते रहते हैं, लेकिन विद्युत विभाग का ध्यान नही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन के तहत इसी समस्या को दूर करने का प्रयास किया गया है।
बल्ली बनीं बिजली का सहारा
शहर की प्रमुख गढ़ रोड कई प्रमुख कॉलोनियों में बल्लियों पर एचटी लाइन से बिजली सप्लाई होती है। इस क्षेत्र में गढ़ रोड़ स्थित 132 केवी मेडिकल बिजलीघर से आसपास के इस क्षेत्र में शिवशक्ति विहार, भोपाल विहार, संगम विहार कुछ ऐसी प्रमुख कालोनी हैं जो एमडीए और नगर निगम के दायरे में आने के बाद भी आज भी बिजली से संबंधित मूलभूत सुविधा से महरूम है।
दीवारों के सहारे टिकी बल्लियां
इन कालोनियों के अंदर कुछ दूर तक ही पॉवर सप्लाई सीमेंट के खंभो पर होती है। बाकी कॉलोनी के अंदर मेन रोड से लेकर सैकड़ों गलियों में बल्लियों पर बिजली के तारे हाई वोल्टेज का करंट लेकर दौड़ रहे हैं। दीवारों से सहारे टिकी बल्लियों पर बिजली के तार लगाए गए हैं। घरों से लेकर स्कूल, दुकानें, सब में बल्लियों के सहारे ही बिजली आपूर्ति हो रही है।
एबीसी का कई साल से इंतजार
बिजली चोरी रोकने के लिए विद्युत विभाग ने शहर के अधिकतर क्षेत्रों में एबीसी यानि एरियल बंच कंडक्टर तार को बदल दिया है ताकि बिजली चोरी कम हो सके। लेकिन भोपाल विहार, शिवशक्ति नगर में आज भी खुले तारों से ही बिजली सप्लाई हो रही है। जबकि यहां मीटर की व्यवस्था भी शत प्रतिशत घरों में नही है। वहीं स्थिति यह है कि खंभा लगाने के लिए स्थानीय लोगों से ही 20 हजार रुपए तक खर्च की डिमांड की जाती है। ऐसे में लोग बल्लियों के सहारे ही लाइन को अपने घरों तक ले जाने को मजबूर हैं।
फैक्ट्स एक नजर में
7.20 लाख घरों और प्रतिष्ठानों पर प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य है मेरठ में
3.20 लाख शहरी और 4 लाख ग्रामीण उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड मीटर लगेंगे जिले के
13 हजार करोड़ में से करीब 3700 करोड़ रुपये मीटर खरीद पर खर्च होंगे
30 फीसदी बिजली बिल हर माह बकाया पीवीवीएनएल का
5000 करोड़ के आसपास रहती है हर माह यह रकम
25 फीसदी से अधिक बना हुआ है लाइन लॉस का ग्राफ
इस क्षेत्र में 132 केवीए की लाइन जा रही है जिसके नीचे अनाधिकृत रुप से लोगों ने घर बना लिए हैं। इस 132 केवीए लाइन के नीचे एलटी लाइन के पोल नही लगाए जा सकते हैं। इसके लिए योजना बनाकर अंडर ग्राउंड केबिल डाले जाएंगे।
राजेंद्र बहादुर, अधीक्षण अभियंता