मेरठ (ब्यूरो)। गौरतलब है कि हर साल मेडिकल और जिला अस्पताल के ब्लड बैंकों में रक्तदान शिविरों के माध्यम से खून एकत्र किया जाता है। पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण रक्तदान की गति कुछ कम रही लेकिन इस साल अप्रैल तक लोगों ने जमकर रक्तदान किया। आंकड़ों पर नजर डालें तो जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में इस साल पिछले पांच माह में 4571 यूनिट रक्तदान किया गया। इसमें जिला अस्पताल में 1621 और मेडिकल कॉलेज में 2802 यूनिट रक्तदान हुआ। लेकिन इन 4571 यूनिट ब्लड में से 192 यूनिट ब्लड जानलेवा बीमारी से ग्रस्त मिला है।

192 को जानलेवा बीमारी
मेेडिकल कालेज के ब्लड बैंक में एक जनवरी 2022 से 30 अप्रैल तक रक्तदान करने वालों में 73 हेपेटाइटिस सी और 56 हेपेटाइटिस बी और 11 एचआईवी पॉजिटिव की पुष्टि हुई। वहीं, जिला अस्पताल के ब्लड बैंक की रिपोर्ट में छह लोग एचआईवी पॉजिटिव समेत 27 हेपेटाइटिस सी और 19 हेपेटाइटिस बी से पीडि़त पिछले पांच माह में मिल चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस रिपोर्ट के आधार पर इन रक्तदाताओं को सूचित कर इलाज शुरू कर दिया है। वहीं संक्रमित रक्त को नष्ट किया जा चुका है।

एचआईवी और हेपेटाइटिस सी यानि काला पीलिया एक संक्रामक और जानलेवा रोग है। समय से पहचान कर इनका इलाज संभव है। रक्तदाताओं में कई अंजान कारणों से यह संक्रमण हुआ है, जिनकी उनको खुद भी जानकारी नहीं थी।
डॉ। कौशलेंद्र, ब्लड बैंक प्रभारी, जिला अस्पताल

यह मिल रही बीमारियां
एचआईवी
ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस एक ऐसा वायरस है, जिसकी वजह से एड्स होता है। एचआईवी पॉजिटिव होने के करीब 8-10 साल बाद इस बीमारियों के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।

हेपेटाइटिस-सी
हेपेटाइटिस-सी को इसे काला पीलिया भी कहते हैं। यह एक संक्रामक रोग है, जो हेपेटाइटिस-सी वायरस एचसीवी की वजह से होता है और यकृत को प्रभावित करता है। इलाज में देरी पर यह जानलेवा हो जाती है।

हेपेटाइटिस-बी
हेपेटाइटिस-बी एक संक्रामक बीमारी है। इसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है।