मेरठ (ब्यूरो)। 16 साल बाद भी विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में पीडि़तों के जख्म अभी तक हरे हैं। पार्क में आयोजित कंज्यूमर मेले में एक छोटी सी चिंगारी से भड़की आग ने 65 से अधिक घरों की खुशियां छीन ली थीं। जो जिंदा बच गए वो आज तक उस भयानक मंजर को भुला नहीं पा रहे हैं। अधिकतर मृतक आश्रितों की जिंदगी भले ही पटरी पर आ गई हो। लेकिन, उस खौफनाक मंजर की यादें और अपनों को खोने का गम दूर नहीं हो रहा है। बड़ी विडंबना यह है कि 16 साल बाद भी आज तक अग्निकांड के पीडि़तों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद भी पूरी नहीं मिली है। पीडि़तों को मुआवजे का इंतजार आज भी है।
मृतकों के दी श्रद्धांजलि
हर साल की तरह इस साल भी रविवार को विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की 16वीं बरसी का आयोजन किया गया। 10 अप्रैल 2006 को यहां भयावह मंजर हुआ था जिसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार 65 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों की याद में हर साल पार्क में हवन का आयोजन किया जाता है। विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति द्वारा स्मृति स्थल पर शांति यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। शाम पांच बजे कैंडिल जलाकर मृतकों को श्रृद्धांजलि दी गई।
याद आया मंजर
यहां आयोजित कंज्यूमर मेले के आखिरी दिन शाम के समय अचानक आग लग गई थी। आग की चपेट में आकर 161 लोग घायल हुए थे। हादसे में मारे गए लोगों की याद में विक्टोरिया पार्क में स्मृति स्तंभ बनाया गया है। जहां हर साल परिजन श्रद्धांजलि देने एकत्र होते हैं।
भटक रहे पीडि़त
हादसे में झुलसे लोगों के शरीर आज भी घटना की भयावहता को दर्शाते हैं। लेकिन, उनको सरकार द्वारा जो मरहम मिल सकता था वह भी नहीं मिला। घायल पिछले इलाज के लिए पैसे-पैसे को मोहताज हैं। सरकार ने घायलों को आखिरी तक इलाज का आश्वासन दिया था जो एक साल में ही झूठा साबित हो गया।
अटका मुआवजा
विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति के सचिव संजय गुप्ता ने बताया कि मृतक आश्रितों का मुआवजा अभी पेडिंग है। सुप्रीम कोर्ट से पांच से दो लाख का अग्रिम मुआवजा तो मिल गया है। लेकिन, उपहार कांड के तर्ज पर जो हमने 20-20 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की थी वह अधर में है। पिछले तीन साल से कोरोना के कारण इस पर निर्णय नहीं हो सका है।
नहीं मिली सजा
इस कांड के दोषी आयोजक और प्रशासनिक अधिकारियों को अभी तक सजा नहीं मिल सकी है। लोकल ट्रॉयल अभी चालू ही नहीं हुआ। जिस कारण से दोषियों पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। सरकार ने दोषियों पर मुकदमा लिखा था। लेकिन, अभी तक इस पर सरकार की तरफ से पैरवी तक नहीं हुई है।